रुत आगी रे बाबा जी से बोलन की —यह भजन श्याम बाबा के दरबार में प्रेम और भक्ति के नए मौसम के आगमन को दर्शाता है। जब भक्तों का मन व्याकुल हो उठता है और वे अपने बाबा से बातें करने को तरसते हैं, तब यह भजन हृदय को छू जाता है। यह सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक पुकार है, जो भक्तों को बाबा श्याम के और करीब लाती है।
Rut Aagi Re Baba Ji Se Bolan Ki
रुत आगी रे,
बाबा जी से बोलन की,
रुत आगी रें,
बोलन की रे बतलावण की,
रुत आगी रें।1।
कई दिना सु उडीक रयो थो,
इब यो फागण आयो जी,
खाटू वालो सब भगता ने,
झालो देर बुलायो जी,
श्याम मिलन की हर एक मन में,
खुशी समागी रे,
रुत आगी रें,
रुत आगी रें,
बाबा जी से बोलन की,
रुत आगी रें।2।
होली खेलन श्याम के संग में,
रळ मिल के सब आए रया,
रिंगस से खाटू नगरी तक,
रंग गुलाल उड़ाय रया,
खाटू नगरी स्वर्ग सरीखी,
मन ने भागी रे,
रुत आगी रें,
रुत आगी रें,
बाबा जी से बोलन की,
रुत आगी रें।3।
ग्यारह महीना सुने है सबकी,
फागण में यो बात करे,
तीखा तीखा नैना सु यो,
देखे दिल पे घात करे,
जीपे चलावे तीर नजर का,
वो बड़ भागी रे,
रुत आगी रें,
रुत आगी रें,
बाबा जी से बोलन की,
रुत आगी रें।4।
संकट पीड़ा दुख तकलीफा,
के बुरो के चोखो रे,
श्याम ने बतला दे तेरो,
सारो लेखो जोखो रे,
हर संकट की राखे बाबो,
हाथ में चाबी रे,
रुत आगी रें,
रुत आगी रें,
बाबा जी से बोलन की,
रुत आगी रें।5।
खींचो चल्यो आवे जी की,
डोर सांवरो खींचे है,
श्याम लगन में नाचे वो तो,
दोन्यों आंख्या मीचे है,
‘रजनी’ और ‘सोनू’ की भी तो,
किस्मत जागी रे,
रुत आगी रें,
रुत आगी रें,
बाबा जी से बोलन की,
रुत आगी रें।5।
रुत आगी रे,
बाबा जी से बोलन की,
रुत आगी रें,
बोलन की रे बतलावण की,
रुत आगी रें।7।
जब भक्त श्रद्धा और प्रेम के रंग में रंग जाते हैं, तो श्याम बाबा से बातचीत करने की अद्भुत अनुभूति होती है। यह भजन हमें श्याम से जुड़ने, उनसे मन की बात करने और उनके प्रेम में खो जाने की प्रेरणा देता है। यदि यह भजन आपको पसंद आया, तो “खाटू में रंगों की बौछार है“, “सिर पे पगड़ी राजस्थानी, बागो रंग केसरिया“, और “सांवरिया म्हाने थारो दीदार चाहिए” जैसे भजनों को भी अवश्य पढ़ें और श्याम भक्ति में रम जाएं। जय श्री श्याम! 🙏💙