Tharo Mharo Mawadi Ghani Purani Preet
थारो म्हारो मावड़ी घणी पुराणी प्रीत
केड आवां तो लागे है, जईयां आग्या म्हे तो पीर
थारो म्हारो मावड़ी ………..
जठै जठै मैं चालूँ मावड़ी थे तो फूल बिछाओ हो
जी कानी मैं देखूँ मावड़ी नजर मन्ने थे ही आओ
मिलतो रवे दादी म्हाने, इक थारो प्यार दुलार
थारो म्हारो मावड़ी ………..
सासरिये में चिंता मावड़ी केड में आराम है
पिहरिये के लाड में दादी बीते चारों याम हैं
म्हारे सासरिये में सगला, सब जावण केड तैयार
थारो म्हारो मावड़ी……………..
थारी किरपा से ही मधु को हरयो भरयो परिवार है
थारो जवाईं भी म्हारी दादी करे थारी मनुहार है
थारा टाबरिया भी दादी, बस करै थाने ही याद
थारो म्हारो मावड़ी…………
विदा होने की जब घड़ी आवे हिवड़ो भर-भर जावे है
आंख्या का पानी मोती बन चरणां में चढ़ जावे है
मन्ने हिवड़े लगाकर दादी, बोली आती रहिज्ये पीर
थारो म्हारो मावड़ी……………….

मैं शिवप्रिया पंडित, माँ शक्ति का एक अनन्य भक्त और विंध्येश्वरी देवी, शैलपुत्री माता और चिंतापूर्णी माता की कृपा से प्रेरित एक आध्यात्मिक साधक हूँ। मेरा उद्देश्य माँ के भक्तों को उनके दिव्य स्वरूप, उपासना विधि और कृपा के महत्व से अवगत कराना है, ताकि वे अपनी श्रद्धा और भक्ति को और अधिक दृढ़ बना सकें। मेरे लेखों में इन देवी शक्तियों के स्तोत्र, चालीसा, आरती, मंत्र, कथा और पूजन विधियाँ शामिल होती हैं, ताकि हर भक्त माँ की आराधना सही विधि से कर सके और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भर सके। जय माता दी! View Profile