राम रक्षा स्तोत्र, भगवान राम की स्तुति के लिए बनाया गया है जो भक्तों की रक्षा और समृद्धि के लिए किया जाता है। यह स्तोत्र महर्षि वाल्मीकि के द्वारा लिखे गए रामायण से लिया गया है।
राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से भक्त अध्यात्म से जुड़ते है और खुद को जान पाते हैं। इस Ram raksha stotra का जाप करने के बाद सभी भक्त हनुमान चालीसा का भी पाठ अवश्य करें इसका लाभ आप को दोगुना मिलता है।
Ram Raksha Stotra
॥विनियोग:॥
अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः।
श्री सीतारामचंद्रो देवता।
अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः।
श्रीमान हनुमान कीलकम।
श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः।
॥अथ ध्यानम॥
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं,
पीतं वासो वसानं नवकमल दलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्।
वामांकारूढ़ सीता मुख कमल मिलल्लोचनं नीरदाभं,
नाना लंका रदीप्तं दधत मुरुजटा मण्डलं रामचन्द्रम्।
॥स्तोत्रम॥
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥1॥
ध्यात्वा नीलोत्पलश्याम रामं राजीवलोचनम।
जानकी लक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम ॥2॥
सासितूण – धनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम ॥3॥
रामरक्षां पठेत प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम।
शिरो में राघवं पातु भालं दशरथात्मज: ॥4॥
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥5॥
जिव्हां विद्यानिधि पातु कण्ठं भरतवन्दित:।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥6॥
करौ सीतापति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥7॥
सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुत्मप्रभु:।
ऊरू रघूत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत ॥8॥
जानुनी सेतकृत्पातु जंघे दशमुखान्तक:।
पादौ विभीषणश्रीद: पातु रामोsखिलं वपु: ॥9॥
एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठेत।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत ॥10॥
पातालभूतलव्योमचारिण श्छद्मचारिण:।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥11॥
रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन।
नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥12॥
जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय: ॥13॥
वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम ॥14॥
आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर:।
तथा लिखितवान्प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥15॥
आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान्स न: प्रभु: ॥16॥
तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥17॥
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥18॥
शरण्यौ सर्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम।
रक्ष: कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥ 9॥
आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशावक्षयाशुगनिषंगसंगिनौ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत: पथि सदैव गच्छताम ॥20॥
सन्नद्ध: कवची खड़्गी चापबाणधरो युवा।
गच्छन्मनोरथान्नश्च राम: पातु सलक्ष्मण: ॥21॥
रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्लेयो रघूत्तम: ॥22॥
वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम:।
जानकीवल्ल्भ: श्रीमानप्रमेयपराक्रम: ॥23॥
इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्त: श्रद्धयान्वित:।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशय: ॥24॥
रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरा: ॥25॥
रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरं।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम ॥26॥
राजेन्द्रं सत्यसन्धं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्ति।
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम ॥27॥
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।
रघुनाथय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥28॥
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम श्रीराम राम भरताग्रज राम राम।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥29॥
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि श्रीरामचन्द्रवरणौ वचसा गृणामि।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥30॥
माता रामो मत्पिता रामचन्द्र: स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्र:।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥31॥
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम ॥32॥
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्र रघुवंशनाथम।
कारुण्यरुपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥33॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥34॥
कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम ॥35॥
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम ॥36॥
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम ॥37॥
रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे,
रामेणाभिहता निशाचरचमू, रामाय तस्मै नम: ॥38॥
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोsस्म्यहं,
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥39॥
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥40॥
इस आरती के साथ-साथ आप प्रभु श्री Ram Ji Ki Aarti, hanuman vadvanal stotra, hanuman stotra, hanuman ashtak paath भी कर सकते हैं, क्योंकि महावीर हनुमान को प्रभु श्री राम के सबसे प्रिय एवं बड़ा भक्त माना जाता है। यह पाठ सिर्फ आपके दिन को भक्तिमय और ऊर्जावान ही नहीं, बल्कि आपके ऊपर प्रभु की कृपा सदैव बनी रहती है। जिसके फलस्वरूप आपको सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।
पाठ कैसे करें की आपका पूजा सफल हो
- शुभ मुहूर्त चयन: सबसे पहले, स्तोत्र का पाठ करने के लिए आप शुभ मुहूर्त यानि सुबह और शाम के समय का आप चुनाव कर सकते हैं।
- शुद्धि: पूजा करने से पहले आप स्नान करके शुद्ध हो जाये।
- आसन स्थापना: शुद्ध होने के बाद आप कुश के आसन पर बैठें। कुश के आसन पर बैठने का मतलब यह ऐसा आसन है जिसपर बैठने पर आप ध्यान मग्न हो या न हो लेकिन आरामदायक हो जिससे आप का ध्यान पूजा से न हटे।
- गणपति पूजा: इस शुभ पूजा को शुरू करने से पहले आप गणेशजी की पूजा जरूर करें, जिससे आप के शुभ कार्य में कोई बाधा न आयें।
- कलश स्थापना: इसके बाद आप पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें और पूजा की शुरुआत करें।
- मन्त्र सुनना: पूजा शुरू करने के बाद पाठ का जाप पूरी श्रद्धा से और ध्यान से करें।
- हनुमान चालीसा : इस स्तोत्र जाप के बाद हनुमान चालीसा अवश्य पढ़े क्युकि इससे आप को अधिक लाभ मिलता है।
- आरती: स्तोत्र का पाठ करने के बाद आप राम जी की आरती करें। राम जी की आरती के बाद आप हनुमान आरती करें।
- पुनः कलश पूजा: आरती खत्म करने के बाद आप फिर से स्थापित कलश की पूजा करें।
- प्रसाद वितरण: कलश पूजा के बाद आप भगवान को प्रसाद का भोग लगाएं और सभी में बाट दें।
- समापन: पूजा को समाप्त करने के साथ ही आप भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनसे प्रार्थना करें और धन्यवाद करें।तथा पूजा में कोई अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे।
पाठ करने से और उसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ करने से लाभ
- शांति और मानसिक स्थिति में सुधार: स्तोत्र और चालीसा का पाठ करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बना रहता है और हमारा जीवन चिंतामुक्त होता है।
- सुरक्षा और संरक्षण: भगवान राम की पूजा करने से राम जी अपने भक्तों की रक्षा करते है और उनके सभी कष्टों को दूर करते हैं। और रामभक्तों पर हनुमान जी की भी कृपा बनी रहती हैं।
- आत्म-विकास: स्तोत्र का पाठ करने से आप अपने अंतरात्मा को जान पाते है। और आप के आत्मा का विकास होता है।
- शक्ति और साहस: इस स्तोत्र का जाप करने से व्यक्ति में शक्ति और साहस बढ़ती है जिससे व्यक्ति को अपने जीवन के बेकार परिस्थितियों का सामना करने के लिए शक्ति मिलती है।
- भक्ति और आदर्श जीवन: इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों में भक्ति की भावना बढ़ती है और व्यक्ति आदिपुरुष राम जी की तरह ही आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित होता है।
- कर्मयोग की शिक्षा: इस स्तोत्र का पाठ करने से ही आप अपने कर्मों को करने में कभी आलस नहीं करते जिससे आप कर्मयोगी इंसान बन पाते हैं।
- परिवार और समाज में सुख-शांति: राम जी की पूजा करने से परिवार में एकता बनी रहती हैं, परिवार सम्पन्न और समाज में सुख-शांति बना रहता है।
- संतान की प्राप्ति : स्तोत्र का पाठ करने से निःसंतान को संतान की प्राप्ति होती है।
FAQ
राम रक्षा स्तोत्र किसे करना चाहिए ?
सभी लोग कर सकते है।
कब करना चाहिए ?
स्तोत्र का पाठ आप प्रतिदिन सुबह और शाम के समय में कर सकते है ,यह आप की पूजा और मानसिक शांति के लिए उचित समय है इसके अलावा आप नवरात्रि में इस पाठ का शुभारम्भ कर सकते हैं।
स्तोत्र का पाठ कितना दिन करना चाहिए की लाभ मिले ?
अधिक लाभ पाने के लिए और कष्टों को जल्दी समाप्त करने के लिए आप 45 दिन तक लगतार करना चाहिए।
I am Shri Nath Pandey and I am a priest in a temple, which is located in Varanasi. I have been spending my life worshiping for the last 6 years. I have dedicated my soul completely to the service of God. Our website is a source related to Aarti, Stotra, Chalisa, Mantra, Festivals, Vrat, Rituals, and Sanatan Lifestyle.