वह राम भक्त तुलसी ब्रजधाम जा रहा है

भक्ति का मार्ग प्रेम, समर्पण और त्याग से भरा होता है। जब कोई सच्चा भक्त प्रभु श्रीराम के चरणों में अपने जीवन को अर्पित कर देता है, तब वह सांसारिक मोह-माया से परे होकर प्रभु की भक्ति में लीन हो जाता है। वह राम भक्त तुलसी ब्रजधाम जा रहा है भजन उसी भक्तिरस से भरी भावना को प्रकट करता है। यह केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की परमात्मा से मिलन की यात्रा है, जहां हर कदम श्रीराम के प्रेम और कृपा से आलोकित होता है।

Vah Ram Bhakt Tulsi Brajdham Ja Raha hai

दोहा –
राम श्याम दोउ एक है,
नहिं कछु अन्तर शेष,
उनके नयन गंभीर है,
इनके चपल विशेष।
वृन्दावन के वृक्ष को,
मरम न जाने कोय,
डाल डाल और पात पात पे,
राधे राधे होय।

वह राम भक्त तुलसी,
ब्रजधाम जा रहा है,
जहाँ राधे राधे राधे,
हर कोई गा रहा है।1।

धुन राधे राधे मानो,
पत्तों से आ रही है,
कण कण से आ रही है,
जन जन से आ रही है,
क्या दिव्य कीर्तन है,
क्या दिव्य कीर्तन है,
आनन्द आ रहा है,
जहाँ राधे राधे राधे,
हर कोई गा रहा है।2।

गोविन्द को तुलसी ने,
माथा झुका दिया क्या,
बोला पुजारी हस के,
पाला बदल लिया क्या,
भक्ति में बल है कितना,
भक्ति में बल है कितना,
तुलसी बता रहा है,
जहाँ राधे राधे राधे,
हर कोई गा रहा है।3।

दोहा –
मैं क्या कहूँ छवि आप की,
तुम भले बने हो नाथ,
तुलसी मस्तक तभी नवे,
जब धनुष बाण हो हाथ।

गोविन्द कृष्ण देखो,
अब राम बन गए है,
उनको प्रणाम करके,
तुलसी जी कह रहे है,
मेरा राम ही यहाँ पर,
मेरा राम ही यहाँ पर,
मुरली बजा रहा है,
जहाँ राधे राधे राधे,
हर कोई गा रहा है।4।

वह रामभक्त तुलसी,
ब्रजधाम जा रहा है,
जहाँ राधे राधे राधे,
हर कोई गा रहा है।5।

राम भक्तों का हृदय प्रेम, त्याग और भक्ति से भरा होता है। वे अपने जीवन का हर क्षण श्रीराम की आराधना में व्यतीत करते हैं, क्योंकि उनके चरणों में ही सच्ची शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि यह भजन आपके हृदय में भक्ति का दीप प्रज्वलित कर रहा है, तो आप “राम नाम की महिमा, श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन, हनुमान जी के श्रीराम प्रेम की कथा, और “अवधपुरी में दीप जले हैं सिया संग मेरे राम चले हैं” जैसे अन्य भजन और लेख भी पढ़ सकते हैं। 🚩 जय श्रीराम! 🚩

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