जब भक्त का तन-मन प्रभु श्रीराम की भक्ति में रंग जाता है, तो उसे संसार की कोई अन्य वस्तु आकर्षित नहीं कर पाती। तन रंगा मेरा, मन रंगा भजन इसी गहरे भक्ति भाव को प्रकट करता है। जब कोई भक्त पूरी श्रद्धा और प्रेम से प्रभु राम का नाम जपता है, तो उसका समस्त अस्तित्व राममय हो जाता है। यह भजन हमें सिखाता है कि जब तन और मन दोनों प्रभु श्रीराम की भक्ति में समर्पित हो जाते हैं, तब जीवन में शांति, आनंद और कृपा का संचार होने लगता है।
Sonu Ranga Mera Man Ranga
तन रंगा मेरा मन रंगा,
इस रंग में अंग अंग रंगा।
सीता जी के रंग में,
राम जी रंग में।
राधेश्याम जी रंग में,
तन रंगा मेंरा मन रंगा।
इस रंग में अंग अंग रंगा।।
ओढ़ी है जबसे मैंने प्रेम की चुनरिया,
सीताराम रटते रटते बीते री उमरिया।
राधेश्याम रटते रटते बीते री उमरिया,
राम के सिवा ना कोई।
श्याम के सिवा ना कोई,
सूझे रे डगरिया।
तन रंगा मेंरा मन रंगा,
इस रंग में अंग अंग रंगा।।
बांह पकड़ के मेरी दे दे सहारा,
राम प्रभु जी मैंने तुझको पुकारा।
श्याम प्रभु जी मैंने तुझको पुकारा,
तेरी दया से मिले।
तेरी कृपा से मिले,
सबको किनारा।
तन रंगा मेंरा मन रंगा,
इस रंग में अंग अंग रंगा।।
पाऊं कहाँ मैं तुझको कुछ तो बता दे,
जनम मरण से तू मुझको बचा ले।
खुद को किया रे मैंने तेरे हवाले,
तेरा ही रूप हूँ मैं।
मेरा ही रूप है तू,
खुद में छिपा ले।
तन रंगा मेंरा मन रंगा,
इस रंग में अंग अंग रंगा।।
तेरी शरण में आया और कहाँ जाऊं,
तुझसे ही बिछड़ा हूँ मैं तुझमे समाऊँ।
चरणों में धाम चारों यहीं सर झुकाऊं,
यही मुझे जीना प्रभु जी।
यही मुझे जीना प्रभु जी,
यही मर जाऊं।
तन रंगा मेंरा मन रंगा,
इस रंग में अंग अंग रंगा।।
तन रंगा मेरा मन रंगा,
इस रंग में अंग अंग रंगा।
सीता जी के रंग में,
राम जी रंग में।
राधेश्याम जी रंग में,
तन रंगा मेंरा मन रंगा,
इस रंग में अंग अंग रंगा।।
श्रीराम की भक्ति में रंगा हुआ तन-मन ही वास्तविक मोक्ष और आनंद का अनुभव कर सकता है। तन रंगा मेरा, मन रंगा भजन हमें यह संदेश देता है कि जब हम पूरी तरह से प्रभु श्रीराम के चरणों में समर्पित हो जाते हैं, तभी हमें भक्ति का असली रस प्राप्त होता है। प्रभु की इस दिव्यता को और अधिक अनुभव करने के लिए राम से बड़ा राम का नाम, राम नाम का जप लूं राम, अगर राघव के चरणों में जगह थोड़ी सी मिल जाए, श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन भजनों को भी पढ़ें और राम भक्ति में मग्न हो जाएं। जय श्रीराम! 🙏🚩
मैं आचार्य ब्रह्मदत्त, सनातन धर्म का एक साधक और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचारक हूँ। मेरा जीवन देवी-देवताओं की आराधना, वेदों-पुराणों के अध्ययन और भक्ति मार्ग के अनुसरण में समर्पित है। सूर्य देव, खाटू श्याम, शिव जी और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का गुणगान करना मेरे लिए केवल एक लेखन कार्य नहीं, बल्कि एक दिव्य सेवा है। मैं अपने लेखों के माध्यम से भक्तों को पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान सरल भाषा में प्रदान करने का प्रयास करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने आध्यात्मिक पथ को सुगम और सार्थक बना सके। View Profile 🚩 हर हर महादेव 🚩