भक्ति के मार्ग पर चलते हुए कई बार ऐसे भाव प्रकट होते हैं जो सीधा हमारे हृदय को छूते हैं। सीता के राम थे रखवाले जब हरण हुआ तब कोई नहीं भजन एक ऐसा ही मार्मिक भाव लिए हुए है, जो हमें रामायण की उस घड़ी की याद दिलाता है जब माता सीता का हरण हुआ। इस भावपूर्ण भजन के माध्यम से मैं, रोहन पंडित, आपको आमंत्रित करता हूँ कि आप इस प्रसंग की गहराई को समझें, आत्मा से जुड़ें और प्रभु श्रीराम की लीलाओं को नमन करें।
Sita Ke Ram The Rakhwale Jab harad Hua Tab Koi Nahi
द्रोपदी के पांचो पांडव थे,
जब चीर हरण तब कोई नहीं।
दशरथ के चार दुलारे थे,
जब प्राण तजे कब कोई नहीं।।
रावण भी बड़े शक्तिशाली थे,
जब लंका जली तब कोई नहीं।
श्री कृष्ण सुदर्शन धारी थे,
जब तीर चुभा तब कोई नहीं।।
लक्ष्मण जी भी भारी योद्धा थे,
जब शक्ति लगी तब कोई नहीं।
सर शय्या पे पड़े पितामह थे,
पीड़ा का सांझी कोई नहीं।।
अभिमन्यु राज दुलारे थे,
पर चक्रव्यूह में कोई नहीं।
सच है ‘देवेंद्र’ दुनिया वाले,
संसार में अपना कोई नहीं।।
सीता के राम थे रखवाले,
जब हरण हुआ तब कोई नहीं।।
सीता के राम थे रखवाले जब हरण हुआ तब कोई नहीं भजन हमें यह बताता है कि ईश्वर की लीला को समझ पाना हर किसी के बस की बात नहीं। हर घटना में उनकी गहरी योजना होती है जो अंततः धर्म की विजय को सुनिश्चित करती है। इस गहन अर्थवत्ता को और गहराई से महसूस करने हेतु आप दो राजपुत्र दो तेजवंत दो शक्तिमान टकरावे, वनवास जा रहे है रघुवंश के दुलारे, जन जन का उद्धार करेगी राम कथा और राम नाम जप ले एक यही संग जाई राम सुमिरले भाई जैसे भजनों को भी ज़रूर पढ़ें और श्रीराम की महिमा को हृदयंगम करें। जय श्रीराम! 🌺🙏

मैं आचार्य ब्रह्मदत्त, सनातन धर्म का एक साधक और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचारक हूँ। मेरा जीवन देवी-देवताओं की आराधना, वेदों-पुराणों के अध्ययन और भक्ति मार्ग के अनुसरण में समर्पित है। सूर्य देव, खाटू श्याम, शिव जी और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का गुणगान करना मेरे लिए केवल एक लेखन कार्य नहीं, बल्कि एक दिव्य सेवा है। मैं अपने लेखों के माध्यम से भक्तों को पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान सरल भाषा में प्रदान करने का प्रयास करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने आध्यात्मिक पथ को सुगम और सार्थक बना सके। View Profile