श्री राम अमृतवाणी : भक्ति और शांति का दिव्य संगम

श्री राम अमृतवाणी भजन भगवान श्रीराम की महिमा का मधुर गान है, जो हमारे हृदय को भक्ति और शांति से भर देता है। इस दिव्य भजन में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के गुणों, उनकी कृपा और भक्तों पर होने वाली उनकी अपार अनुकंपा का वर्णन किया गया है। इसे सुनने मात्र से मन को सुख, शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा की अनुभूति होती है।

Shri Ram Amritvani

रामामृत पद पावन वाणी, राम-नाम धुन सुधा सामानी।
पावन-पाथ राम-गन-ग्राम, राम-राम जप राम ही राम॥

परम सत्य परम विज्ञान, ज्योति-स्वरूप राम भगवान।
परमानंद, सर्वशक्तिमान राम परम है राम महान॥

अमृत ​​वाणी नाम उच्चाहरान , राम-राम सुख सिद्धिकारण।
अमृतवानी अमृत श्री नाम, राम-राम मुद-मंगल -धाम॥

अमृतरूप राम-गुण गान, अमृत-कथन राम व्याख्यान।
अमृत-वचन राम की चर्चा , सुधा सम गीत राम की अर्चा ॥

अमृत ​​मनन राम का जाप, राम राम प्रभु राम अलाप।
अमृत ​​चिंतन राम का ध्यान, राम शब्द में सूचि समाधन॥

अमृत ​​रसना वही कहवा, राम-राम, जहां नाम सुहावे।
अमृत ​​कर्म नाम कमानी, राम-राम परम सुखदायी॥

अमृत ​​राम-नाम जो ही ध्यावे , अमृत पद सो ही जन पावे।
राम-नाम अमृत-रास सार , देता परम आनन्द अपार॥

राम-राम जप हे माणा , अमृत वाणी मान।
राम-नाम मे राम को , सदा विराजित जान॥

राम-नाम मद-मंगलकारी, विध्ण हरे सब पातक हारी।
राम नाम शुभ-शकुण महान, स्वस्ती शांति शिवकर कल्याण॥

राम-राम श्री राम-विचार, मानी उत्तम मंगलाचार।
राम-राम मन मुख से गाना, मानो मधुर मनोरथ पाना॥

राम-नाम जो जन मन लावे, उसमे शुभ सभी बस जावे।
जहां हो राम-नाम धुन-नाद, भागे वहा से विषम विषाद॥

राम-नाम मन-तप्त बुझावे, सुधा रस सीच शांति ले आवे।
राम-राम जपिये कर भाव, सुविधा सुविध बने बनाव॥

राम-नाम सिमरो सदा, अतिशय मंगल मूल।
विषम विकट संकट हरन, कारक सब अनुकूल ॥

जपना राम-राम है सुकृत, राम-नाम है नाशक दुष्कृत।
सिमरे राम-राम ही जो जन, उसका हो शुचित्र तन-मन॥

जिसमे राम -नाम शुभ जागे , उस के पाप -ताप सब भागे।
मन से राम -नाम जो उच्चारे , उस के भागे भ्रम भय सारे॥

जिस मन बस जाए राम सुनाम , होवे वह जन पूर्णकाम।
चित में राम-राम जो सिमरे, निश्चय भव सागर से तारे॥

राम-सिमरन होव साहै, राम-सिमरन है सुखदायी।
राम सिमरन सब से ऊंचा ,राम शक्ति सुख ज्ञान समूचा॥

राम-राम हे सिमर मन, राम-राम श्री राम।
राम-राम श्री राम-भज, राम-राम हरि-नाम॥

मात पिता बांधव सूत दारा, धन जन साजन सखा प्यारा।
अंत काल दे सके ना सहारा, राम -नाम तेरा तारण हारा॥

सिमरन राम-नाम है संगी,सखा स्नेही सुहिर्द शुभ अंगी।
यूग-यूग का है राम सहेला,राम-भगत नहीं रहे अकेला॥

निर्जन वन विपद हो घोर,निबर्ध निशा तम सब ओर।
जोत जब राम नाम की जागे , संकट सर्व सहज से भागे॥

बाधा बड़ी विषम जब आवे , वैर विरोध विघ्न बढ़ जावे।
राम नाम जपिये सुख दाता , सच्चा साथी जो हितकर त्राता ॥

मन जब धैर्य को नहीं पावे , कुचिन्ता चित्त को चूर बनावे।
राम नाम जपे चिंता चूरक , चिंतामणि चित्त चिंतन पूरक॥

शोक सागर हो उमड़ा आता , अति दुःख में मन घबराता।
भजिये राम -राम बहु बार , जन का करता बेड़ा पार॥

करधी घरद्धि कठिनतर काल , कष्ट कठोर हो क्लेश कराल।
राम -राम जपिये प्रतिपाल , सुख दाता प्रभु दीनदयाल॥

घटना घोर घटे जिस बेर, दुर्जन दुखरदे लेवेँ घेर।
जपिये राम-नाम बिन देर, रखिये राम-राम शुभ टेर॥

राम-नाम हो सदा सहायक, राम-नाम सर्व सुखदायक।
राम-राम प्रभु राम की टेक, शरण शान्ति आश्रय है एक॥

पूँजी राम-नाम की पाइये, पाथेय साथ नाम ले जाइये।
नाशे जन्म मरण का खटका, रहे राम भक्त नहीं अटका॥

राम-राम श्री राम है, तीन लोक का नाथ।
परम-पुरुष पावन प्रभु, सदा का संगी साथ॥

यज्ञ तप ध्यान योग ही त्याग, वन कुटी वास अति वैराग।
राम-नाम बिना नीरस फोक, राम-राम जप तरिये लोक॥

राम-जाप सब संयम साधन, राम-जाप है कर्म आराधन।
राम-जाप है परम-अभ्यास, सिम्रो राम-नाम ‘ सुख-रास’॥

राम-जाप कही ऊंची करनी, बाधा विघ्न बहु दुःख हरनी।
राम -राम महा -मंत्र जपना , है सुव्रत नेम तप तपना॥

राम-जाप है सरल समाधि, हरे सब आधी व्याधि उपाधि।
रिद्धि-सिद्धि और नव-निधान, डाटा राम है सब सुख-खान॥

राम-राम चिन्तन सुविचार, राम-राम जप निश्चय धा।
राम-राम श्री राम-ध्याना, है परम-पद अमृत पाना॥

राम-राम श्री राम हरी, सहज पराम है योग।
राम-राम श्री राम जप, देता अमृत-भोग॥

नाम चिंतामणि रत्न अमोल, राम-नाम महिमा अनमोल।
अतुल प्रभाव अति-प्रताप, राम-नाम कहा तारक जाप॥

बीज अक्षर महा-शक्ति-कोष, राम-राम जप शुभ-संतोष।
राम -राम श्री राम -राम मंत्र , तंत्र बीज परात्पर यन्त्र॥

बीजाक्षर पद पद्मा प्रकाशे, राम-राम जप दोष विनाशे।
कुण्डलिनी बोधे, सुष्मना खोले, राम मंत्र अमृत रस घोले॥

उपजे नाद सहज बहु-भांत, अजपा जाप भीतर हो शांत।
राम-राम पद शक्ति जगावे, राम-राम धुन जभी रमावे॥

राम-नाम जब जगे अभंग, चेतन-भाव जगे सुख संग।
ग्रंथि अविद्या टूटे भारी, राम-लीला की खिले फुलवारी॥

पतित-पावन परम-पाठ, राम-राम जप योग।
सफल सिद्धि कर साधना, राम-नाम अनुराग॥

तीन लोक का समझीये सार, राम-नाम सब ही सुखका।
राम-नाम की बहुत बरदाई, वेद पुराण मुनि जन गाई॥

यति सती साधू संत सयाने , राम – नाम निष् -दिन बखाने।
तापस योगी सिद्ध ऋषिवर, जाप्ते राम-नाम सब सुखकर॥

भावना भक्ति भरे भजनीक, भजते राम-नाम रमणीक।
भजते भक्त भाव-भरपूर, भ्रम-भय भेद-भाव से दूर॥

पूर्ण पंडित पुरुष-प्रधान, पावन-परम पाठ ही मान।
करते राम-राम जप-ध्यान, सुनते राम अनहद तान॥

इस में सुरति सुर रमाते, राम राम स्वर साध समाते।
देव देवीगन दैव विधाता, राम-राम भजते गनत्राता॥

राम राम सुगुणी जन गाते , स्वर-संगीत से राम रिझाते।
कीर्तन-कथा करते विद्वान् , सार सरस संग साधनवान॥

मोहक मंत्र अति मधुर, राम-राम जप ध्यान।
होता तीनो लोक में, राम-नाम गन-गान॥

मिथ्या मन-कल्पित मत-जाल, मिथ्या है मोह-कुमद-बैताल।
मिथ्या मन-मुखिआ मनोराज, सच्चा है राम-राम जप काज॥

मिथ्या है वाद-विवाद विरोध, मिथ्या है वैर निंदा हाथ क्रोध।
मिथ्या द्रोह दुर्गुण दुःख कहाँ, राम-नाम जप सत्य निधान॥

सत्य-मूलक है रचना साड़ी, सर्व-सत्य प्रभु-राम पसारि।
बीज से तरु मक्करधी से तार, हुआ त्यों राम से जग विस्तार॥

विश्व-वृक्ष का राम है मूल, उस को तू प्राणी कभी न भूल।
सां-साँस से सीमार सुजान, राम-राम प्रभु-राम महान॥

लाया उत्पत्ति पालना-रूप, शक्ति-चेतना आनंद-स्वरुप।
आदि अन्त और मध्य है राम, अशरण-शरण है राम-विश्राम॥

राम-राम जप भाव से, मेरे अपने आप।
परम-पुरुष पालक-प्रभु, हर्ता पाप त्रिताप॥

राम-नाम बिना वृथा विहार, धन-धान्य सुख-भोग पसार।
वृथा है सब सम्पद सम्मान, होव तँ यथा रहित प्रान॥

नाम बिना सब नीरस स्वाद, ज्योँ हो स्वर बिना राग विषाद।
नाम बिना नहीं साजे सिंगार, राम-नाम है सब रस सार॥

जगत का जीवन जानो राम, जग की ज्योति जाज्वल्यमान।
राम-नाम बिना मोहिनी-माया, जीवन-हीं यथा तन-छाया॥

सूना समझीये सब संसार, जहां नहीं राम-नाम संचार।
सूना जानिये ज्ञान-विवेक, जिस में राम-नाम नहीं एक॥

सूने ग्रन्थ पंथ मत पोथे, बने जो राम-नाम बिन थोथी।
राम-नाम बिन वाद-विचार, भारी भ्रम का करे प्रचार॥

राम-नाम दीपक बिना, जान-मन में अंधेर।
रहे, इस से हे मम-मन, नाम सुमाला फेर॥

राम-राम भज कर श्री राम, करिये नित्य ही उत्तम काम।
जितने कर्त्तव्य कर्म कलाप, करिये राम-राम कर जाप॥

करिये गमनागम के काल, राम-जाप जो कर्ता निहाल।
सोते जागते सब दिन याम, जपिये राम-राम अभिराम॥

जाप्ते राम-नाम महा माला, लगता नरक-द्वार पै टाला।
जाप्ते राम-राम जप पाठ, जलते कर्म बंध यथा काठ॥

तान जब राम-नाम की तूती, भांडा-भरा अभाग्य भया फूटे।
मनका है राम-नाम का ऐसा, चिंता-मणि पारस-मणि जैसा॥

राम-नाम सुधा-रस सागर, राम-नाम ज्ञान गुण-अगर।
राम-नाम श्री राम-महाराज, भाव-सिंधु में है अतुल-जहाज॥

राम-नाम सब तीर्थ-स्थान, राम-राम जप परम-स्नान।
धो कर पाप-ताप सब धुल, कर दे भया-भ्रम को उन्मूल॥

राम जाप रवि -तेज सामान महा -मोह -ताम हरे अज्ञान।
राम जाप दे आनंद महान , मिले उसे जिसे दे भगवान्॥

राम-नाम को सिमरिये, राम-राम एक तार।
परम-पाठ पावन-परम, पतित अधम दे तार॥

माँगूँ मैं राम-कृपा दिन रात, राम-कृपा हरे सब उत्पात।
राम-कृपा लेवे अंट सँभाल, राम-प्रभु है जन प्रतिपाल॥

राम-कृपा है उच्तर-योग, राम-कृपा है शुभ संयोग।
राम-कृपा सब साधन-मर्म, राम-कृपा संयम सत्य धर्म॥

राम-नाम को मन में बसाना, सुपथ राम-कृपा का है पाना।
मन में राम-धुन जब फिर, राम-कृपा तब ही अवतार॥

रहूँ मैं नाम में हो कर लीं, जैसे जल में हो मीन अड़ीं।
राम-कृपा भरपूर मैं पाऊँ, परम प्रभु को भीतर लाऊँ॥

भक्ति-भाव से भक्त सुजान, भजते राम-कृपा का निधान।
राम-कृपा उस जान में आवे, जिस में आप ही राम बसावे॥

कृपा प्रसाद है राम की देनी, काल-व्याल जंजाल हर लेनी।
कृपा-प्रसाद सुधा-सुख-स्वाद, राम-नाम दे रहित विवाद॥

प्रभु-पसाद शिव-शान्ति-दाता, ब्रह्म-धाम में आप पहुँचाता।
प्रभु-प्रसाद पावे वह प्राणी, राम-राम जापे अमृत-वाणी॥

औषध राम-नाम की खाईये, मृत्यु जन्म के रोग मिटाइये।
राम-नाम अमृत रस-पान, देता अमल अचल निर्वाण॥

राम-राम धुन गूँज से, भाव-भया जाते भाग।
राम-नाम धुन ध्यान से, सब शुभ जाते जाग॥

माँगूँ मैं राम-नाम महादान, करता निर्धन का कल्याण।
देव-द्वार पर जनम का भूखा, भक्ति प्रेम अनुराग से रूखा॥

पर हूँ तेरा-यह लिए टेर, चरण पारधे की राखियो मेर।
अपना आप विरद-विचार, दीजिये भगवन! नाम प्यार॥

राम-नाम ने वे भी तारे, जो थे अधर्मी-अधम हत्यारे।
कपटी-कुटिल-कुकर्मी अनेक, तर गए राम-नाम ले एक॥

तर गए धृति-धारणा हीं, धर्म-कर्म में जन अति दीन
राम-राम श्री राम-जप जाप, हुए अतुल-विमल-अपाप॥

राम-नाम मन मुख में बोले, राम-नाम भीतर पट खोले।
राम-नाम से कमल-विकास. होवें सब साधन सुख-रास॥

राम-नाम घट भीतर बसे, सांस-साँस नस-नस से रसे.
सपने में भी न बिसरे नाम, राम-राम श्री राम-राम-राम॥

राम-नाम के मेल से, साध जाते सब-काम।
देव-देव देवी यादा, दान महा-सुख-धाम॥

अहो! मैं राम-नाम धन पाया, कान में राम-नाम जब आया।
मुख से राम-नाम जब गाया, मन से राम-नाम जब ध्याया॥

पा कर राम-नाम धन-राशि, घोर-अविद्या विपद विनाशी।
बर्धा जब राम प्रेम का पूर, संकट-संशय हो गए दूर॥

राम-नाम जो जापे एक बेर, उस के भीतर कोष-कुबेर.
दीं-दुखिया-दरिद्र-कंगाल, राम-राम जप होव निहाल॥

हृदय राम-नाम से भरिये, संचय राम-नाम दान करिए।
घाट में नाम मूर्ती धरिये, पूजा अंतर्मुख हो करिये॥

आँखें मूँद के सुनिये सितार, राम-राम सुमधुर झनकार।
उस में मन का मेल मिलाओ , राम -राम सुर में ही समाओ॥

जपूँ मैं राम -राम प्रभु राम , ध्याऊँ मैं राम -राम हरे राम।
सिमरूँ मैं राम -राम प्रभु राम , गाऊं मैं राम -राम श्री राम॥

अमृतवाणी का नित्य गाना, राम-राम मन बीच रमाणा।
देता संकट-विपद निवार, करता शुभ श्री मंगलाचार॥

राम -नाम जप पाठ से , हो अमृत संचार।
राम-धाम में प्रीति हो, सुगुण-गैन का विस्तार॥

तारक मंत्र राम है, जिस का सुफल अपार।
इस मंत्र के जाप से , निश्चय बने निस्तार ॥

बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम॥

Shri Ram Amritvani सुनकर मन और आत्मा दोनों पवित्र हो जाते हैं। यह भजन हमें राम भक्ति के अमृत से सराबोर कर देता है और हमें धर्म, प्रेम और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यदि आप और भी श्रीराम के भजन सुनना चाहते हैं, तो “रामायण का पाठ करो”, “राम नाम की लूट है”, और “हे राम तेरा नाम पायूं” जैसे भजन भी जरूर सुनें।

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