राम को देखकर श्री जनक नंदिनी लिरिक्स

जब माता सीता ने पहली बार श्रीराम को देखा, तो उनके हृदय में असीम प्रेम और श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ा। राम को देखकर श्री जनक नंदिनी भजन उसी दिव्य क्षण का वर्णन करता है, जब जनकपुर में स्वयंवर के अवसर पर श्रीराम और माता सीता का मिलन हुआ। यह भजन केवल एक गीत नहीं, बल्कि भक्तों के लिए प्रेम, भक्ति और ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण की प्रेरणा है।

Ram Ko Dekh Kar Shri Janak Nandini Lyrics

राम को देखकर श्री जनक नंदिनी,
बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी,
राम देखे सिया माँ सिया राम को,
चारो अखियां लड़ी की लड़ी रह गयी।1।

थे जनकपुर गये देखने के लिए,
सारी सखियाँ झरोकन से झाँकन लगी,
देखते ही नजर मिल गयी प्रेम की,
जो जहाँ थी खड़ी की खड़ी रह गयी।2।

बोली है एक सखी राम को देखकर,
रच दिए है विधाता ने जोड़ी सुघर,
पर धनुष कैसे तोड़ेंगे वारे कुंवर,
मन में शंका बनी की बनी रह गयी।3।

बोली दूजी सखी छोट देखन में है,
पर चमत्कार इनका नहीं जानती,
एक ही बाण में ताड़िका राक्षसी,
उठ सकी ना पड़ी की पड़ी रह गयी।4।

राम को देखकर श्री जनक नंदिनी,
बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी,
राम देखे सिया माँ सिया राम को,
चारो अखियां लड़ी की लड़ी रह गयी।5।

माता सीता और प्रभु श्रीराम का मिलन केवल एक विवाह नहीं था, बल्कि यह धर्म, प्रेम और आदर्शों की स्थापना का दिव्य संकेत था। यह भजन हमें सिखाता है कि जब मन शुद्ध और भक्ति सच्ची हो, तो स्वयं भगवान हमारे जीवन का हिस्सा बन जाते हैं। यदि यह भजन आपको राम-सीता की पावन कथा से जोड़ रहा है, तो आप “अवधपुरी में दीप जले हैं सिया संग मेरे राम चले हैं, राम लला जब आएंगे खुल जाएंगे सोए भाग मेरे, राम नाम की महिमा, और “श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन” जैसे अन्य भजन और लेख भी पढ़ सकते हैं। 🚩 जय श्रीराम! 🚩

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