राम जी ने शबरी के खाए झूठे बेर

भगवान श्रीराम की भक्ति में जाति, कुल, धन या प्रतिष्ठा की कोई सीमा नहीं होती। राम जी ने शबरी के खाए झूठे बेर भजन हमें यही सिखाता है कि श्रीराम केवल प्रेम के भूखे हैं। जब भक्त अपने हृदय की सच्ची श्रद्धा और भक्ति अर्पित करता है, तो भगवान स्वयं उसे स्वीकार करते हैं। माता शबरी का श्रीराम के प्रति प्रेम और समर्पण इस बात का सबसे सुंदर उदाहरण है कि भगवान अपने भक्तों के प्रेम को किसी भी सांसारिक नियम से ऊपर रखते हैं।

Ram Ji Ne Shabari Ke Khaye Jhuthe Ber

भाव के है भूखे भगवन,
सुने सब की टेर,
राम जी ने,
शबरी के खाए झूठे बेर।1।

भाव में बंधे ना होते,
झोपड़ियां ना जाते,
झोपड़िया ना जाते ईश्वर,
दरश ना दिखाते,
बेर तो जरूरी है,
नहीं अंधेर,
राम जीं ने,
शबरी के खाए झूठे बेर।2।

राह निहारे शबरी,
दरस कब मिलेंगे,
दरस कब मिलेंगे ईश्वर,
दरस कब मिलेंगे,
दौड़े जाते ईश्वर देखा,
करते नहीं देर,
राम जीं ने,
शबरी के खाए झूठे बेर।3।

भाव के है भूखे भगवन,
सुने सब की टेर,
राम जी ने,
शबरी के खाए झूठे बेर।4।

श्रीराम का प्रेम और करुणा अपार है। वे अपने भक्तों के भाव को पहचानते हैं और उसी को स्वीकार करते हैं। शबरी के झूठे बेर खाना हमें यह सिखाता है कि ईश्वर को पाने के लिए धन-दौलत या बाहरी आडंबर की नहीं, बल्कि सच्चे हृदय और भक्ति की आवश्यकता होती है। यदि यह भजन आपके हृदय को छू गया, तो आप “राम नाम की महिमा, श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन, हनुमान जी के श्रीराम प्रेम की कथा, और “अवधपुरी में दीप जले हैं सिया संग मेरे राम चले हैं” जैसे अन्य भजन और लेख भी पढ़ सकते हैं। 🚩 जय श्रीराम! 🚩

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