कैकई अयोध्या की शान चली जाएगी लिरिक्स

कैकई अयोध्या की शान चली जाएगी यह भजन रामायण की एक महत्वपूर्ण घटना को दर्शाता है, जिसमें महारानी कैकई का निर्णय अयोध्या की शान को प्रभावित करता है। इस भजन में हमें उनकी निर्णय की कथा से जुड़ी भावनाओं का अनुभव होता है, और यह हमें राम के प्रति भक्ति और समर्पण की ओर प्रेरित करता है। यह भजन ना केवल एक ऐतिहासिक घटना को याद करता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे भगवान राम ने प्रत्येक परिस्थिति में धर्म का पालन किया और अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया।

Kaikai Ayodhya ki Shan Chali Jayegi Lyrics

कैकई अयोध्या की,
शान चली जाएगी
राम वन गए तो,
मेरी जान चली जाएगी
कैकईं अयोध्या की,
शान चली जाएगी।।

वर नहीं मांगे,
तीर दिल में मारे है
राम के बिना ओ रानी,
शान चली जाएगी
राम वन गए तो,
मेरी जान चली जाएगी
कैकईं अयोध्या की,
शान चली जाएगी।।

कहते है दशरथ,
तुझे भरत लाल प्यारे है
राम को वन भेज के,
क्यों कांटो पे चलाएगी
राम वन गए तो,
मेरी जान चली जाएगी
कैकईं अयोध्या की,
शान चली जाएगी।।

दो वर दिए थे तुमने,
अब आँख को चुराते हो
गर ना दिया तो कुल की,
रीत चली जाएगी
राम वन गए तो,
मेरी जान चली जाएगी
कैकईं अयोध्या की,
शान चली जाएगी।।

कैकई अयोध्या की,
शान चली जाएगी
राम वन गए तो,
मेरी जान चली जाएगी
कैकईं अयोध्या की,
शान चली जाएगी।।

कैकई अयोध्या की शान चली जाएगी भजन हमें राम के जीवन की एक कठिन घड़ी को याद दिलाता है, जब उनके पिता के फैसले और परिवार की जटिलताएं अयोध्या के भविष्य पर प्रभाव डालती हैं। यह भजन राम वन को जायेंगे तो हम भी संग में जायेंगे और कैकई की कचहरी में सुलह है शरण जैसे भजनों से भी गहरे रूप से जुड़ा हुआ है, जो हमें राम के प्रति हमारी निष्ठा और विश्वास को और मजबूत बनाते हैं। हर भजन में श्रीराम की उपस्थिति और उनका मार्गदर्शन हमें मुश्किलों में भी सच्चे रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है। जय श्रीराम!

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