जाऊं कहाँ तजि चरण तुम्हारे भजन लिरिक्स

जाऊं कहाँ तजि चरण तुम्हारे भजन हमें भगवान श्रीराम के चरणों की शरण में जाने की प्रेरणा देता है। यह भजन एक भक्त की स्थिति को व्यक्त करता है, जो संसार के सारे सुख-संसार को छोड़कर केवल भगवान के चरणों में शरण लेने की बात करता है। जीवन की तमाम परेशानियों और उलझनों से मुक्ति पाने के लिए केवल श्रीराम के चरणों में शरण ही एकमात्र मार्ग है। यह भजन हमारे भीतर समर्पण और भक्ति की भावना को जागृत करता है।

Jau Kaha Taji Charan Tumhare

जाऊं कहाँ तजि चरण तुम्हारे,
चरण तुम्हारे, चरण तुम्हारे
चरण तुम्हारे,
जाऊँ कहाँ तजि चरण तुम्हारे।।

काको नाम पतित पावन जग,
केहि अति दीन पियारे,
कौन देव बराइ बिरद हित
हठि हठि अधम उधारे,
जाऊँ कहाँ तजि चरण तुम्हारे।।

खग, मृग, व्याध, पषान, विटप जड़,
जवन कवन सुर तारे,
देव, दनुज, मुनि, नाग, मनुज सब

माया विवश विचारे,
जाऊँ कहाँ तजि चरण तुम्हारे।।

तिनके हाथ दास तुलसी प्रभु,
कहाँ अपन हो हारे,
तिनके हाथ दास तुलसी प्रभु
कहाँ अपन हो हारे,
जाऊँ कहाँ तजि चरण तुम्हारे।।

जाऊं कहाँ तजि चरण तुम्हारे,
चरण तुम्हारे, चरण तुम्हारे
चरण तुम्हारे,
जाऊँ कहाँ तजि चरण तुम्हारे।।

जाऊं कहाँ तजि चरण तुम्हारे भजन हमें यह सिखाता है कि जब हम श्रीराम के चरणों में शरण लेते हैं, तो हम संसार की सारी चिंता और परेशानियों से मुक्त हो जाते हैं। श्रीराम के चरणों में हमें हर प्रकार की शांति और आशीर्वाद मिलता है। इस भजन के माध्यम से हम राम के पवित्र नाम की महिमा और श्रीराम की शरण में शांति का अनुभव कर सकते हैं। जय श्रीराम!

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