हम वन के वासी नगर जगाने आए हिंदी लिरिक्स

प्रभु श्रीराम केवल अयोध्या के राजा ही नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि के मार्गदर्शक हैं। हम वन के वासी नगर जगाने आए भजन इस दिव्य सत्य को उजागर करता है कि वनवासी राम ने केवल लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए नहीं, बल्कि समूची मानवता को धर्म, सत्य और भक्ति का संदेश देने के लिए अवतार लिया। यह भजन हमें प्रेरित करता है कि हम भी उनके आदर्शों को अपनाकर अपने जीवन को प्रकाशित करें।

Ham Van ke Vasi Nagar jagane Aaye

दोहा –
वन वन डोले कुछ ना बोले,
सीता जनक दुलारी
फूल से कोमल मन पर सहती,
दुःख पर्वत से भारी।
धर्म नगर के वासी कैसे,
हो गए अत्याचारी
राज धर्म के कारण लूट गयी,
एक सती सम नारी।।

हम वन के वासी,
नगर जगाने आए
सीता को उसका खोया,
माता को उसका खोया
सम्मान दिलाने आए,
हम वन कें वासी,
नगर जगाने आए।।

जनक नंदिनी राम प्रिया,
वो रघुकुल की महारानी
तुम्हरे अपवादो के कारण,
छोड़ गई रजधानी
महासती भगवती सिया,
तुमसे ना गयी पहचानी
तुमने ममता की आँखों में,
भर दिया पिर का पानी
भर दिया पिर का पानी,
उस दुखिया के आंसू लेकर
उस दुखिया के आंसू लेकर,
आग लगाने आए
हम वन कें वासी,
नगर जगाने आए।।

सीता को ही नहीं,
राम को भी दारुण दुःख दीने
निराधार बातों पर तुमने,
हृदयो के सुख छीने
पतिव्रत धरम निभाने में,
सीता का नहीं उदाहरण
क्यों निर्दोष को दोष दिया,
वनवास हुआ किस कारण
वनवास हुआ किस कारण,
न्ययाशील राजा से उसका
न्ययाशील राजा से उसका,
न्याय कराने आए
हम वन कें वासी,
नगर जगाने आए।।

हम वन के वासी,
नगर जगाने आए
सीता को उसका खोया,
माता को उसका खोया
सम्मान दिलाने आए,
हम वन कें वासी,
नगर जगाने आए।।

प्रभु श्रीराम का वनवास केवल एक कथा नहीं, बल्कि हमें त्याग, मर्यादा और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। हम वन के वासी नगर जगाने आए भजन हमें यह सिखाता है कि राम के आदर्श संपूर्ण मानवता के लिए प्रकाशस्तंभ हैं। प्रभु श्रीराम की इस दिव्य महिमा को और अधिक अनुभव करने के लिए राम से बड़ा राम का नाम, श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन, राम नाम का जप लूं राम, अगर राघव के चरणों में जगह थोड़ी सी मिल जाए भजनों को भी पढ़ें और श्रीराम की भक्ति में रम जाएं। जय श्रीराम! 🙏🚩

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