भगवान को करने पार भगत की नाव चली

जब भक्त सच्चे मन से भगवान का स्मरण करता है, तो स्वयं प्रभु उसकी नैया पार लगाने के लिए आते हैं। भगवान को करने पार, भगत की नाव चली भजन इसी विश्वास और भक्ति का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि यदि श्रद्धा अटूट हो और मन निर्मल हो, तो भगवान स्वयं भक्त के सहायक बन जाते हैं और उसे हर संकट से उबारते हैं।

Bhagwan Ko Karne Par Bhagat Ki Naav Chali

देखो रे पहली बार,
मेरी जिंदगानी फली,
भगवान को करने पार,
भगत की नाव चली,
जय राम लखन जय जनक लली,
जय राम लखन जय जनक लली।1।

देखो रे मेरे राम की माया,
इस विमान को विरत बनाया,
एक जनम में सौ जन्मों का,
मैंने तो भाई फल पाया,
देखो प्रभु का ये उपकार,
मेरी दुनिया ही बदली,
भगवान को करनें पार,
भगत की नाव चली,
जय राम लखन जय जनक लली,
जय राम लखन जय जनक लली।2।

कहां मेरी छोटी सी यह नैया,
कहां यह भव सागर के खिवैया,
मैं दो हाथों वाला केवट,
इनके हाथ हज़ार है भैया,
लाखो के तर हर प्रभु,
यह बड़े है बलि,
भगवान को करनें पार,
भगत की नाव चली,
जय राम लखन जय जनक लली,
जय राम लखन जय जनक लली।3।

छोडे महल अयोध्या छोड़ी,
हम पतितो से प्रीत है जोड़ी,
धन्य है इनका प्यार अनोखा,
धन्य है यह सिया राम की जोड़ी,
यह वन को चले सुकुमार,
करम गति नाहीं टली,
भगवान को करनें पार,
भगत की नाव चली,
जय राम लखन जय जनक लली,
जय राम लखन जय जनक लली।4।

देखो रे पहली बार,
मेरी जिंदगानी फली,
भगवान को करने पार,
भगत की नाव चली,
जय राम लखन जय जनक लली,
जय राम लखन जय जनक लली।5।

प्रभु श्रीराम का सच्चा भक्त कभी अकेला नहीं होता, क्योंकि भगवान स्वयं उसकी नैया के खेवनहार बन जाते हैं। उनकी भक्ति में डूबकर ही जीवन के सागर को पार किया जा सकता है। यदि यह भजन आपको प्रभु की महिमा से जोड़ रहा है, तो आप “राम नाम की महिमा, श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन, हनुमान जी के श्रीराम प्रेम की कथा, और “अवधपुरी में दीप जले हैं सिया संग मेरे राम चले हैं” जैसे अन्य भजन और लेख भी पढ़ सकते हैं। 🚩 जय श्रीराम! 🚩

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