अयोध्या जाऊँगी सखी ना लौट के आउँगी यह भजन श्रीराम के प्रति अडिग श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करता है। यह भजन हमें बताता है कि श्रीराम के दर्शन के लिए हम अपने जीवन को समर्पित कर सकते हैं। भजन में एक सखी के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि जब तक हम अयोध्या और श्रीराम के दर्शन नहीं कर लेते, तब तक हमें सच्चे संतोष की प्राप्ति नहीं हो सकती। इस भजन के माध्यम से भक्ति का जो आकर्षण और निष्ठा का भाव व्यक्त होता है, वह हमें श्रीराम के चरणों में समर्पण करने के लिए प्रेरित करता है।
Ayodhya Jaungi Sakhi Laut Ke Aaungi
अयोध्या जाउंगी सखी,
ना लौट के आउंगी,
मेरे उठे विरह की पीर सखी,
अयोध्या जाउंगी।1।
छोड़ दिया मैंने भोजन पानी,
राम की याद में,
छोड़ मैंने भोजन पानी,
राम की याद में,
मेरे नैनन बरसे नीर,
सखी अयोध्या जाउंगी।2।
प्रभु राम की ऐसी मैं,
दीवानी हो गई,
प्रभु राम की ऐसी मैं,
दीवानी हो गई,
श्री राम नाम की माला ले,
जोगन हो जाउंगी।3।
इस दुनिया के रिश्ते नाते,
सब ही तोड़ दिए,
इस दुनिया के रिश्ते नाते,
सब ही तोड़ दिए,
तुझे कैसे दिखाऊं दिल चिर,
सखी अयोध्या जाउंगी।4।
जहाँ हनुमानगढ़ी में ध्वजा,
श्री राम की लहराए,
जहाँ हनुमानगढ़ी में ध्वजा,
श्री राम की लहराए,
बजरंगी हनुमान को भी मैं,
शीश झुकाऊँगी,
मेरे उठे विरह की पीर सखी,
अयोध्या जाउंगी।5।
करके सरयू स्नान,
ये तन मन पावन होता है,
करके सरयू स्नान,
ये तन मन पावन होता है,
फिर अपने राम लला के,
मैं तो दर्शन पाउंगी,
मेरे उठे विरह की पीर सखी,
अयोध्या जाउंगी।6।
श्री राम का मंदिर ऐसा,
सुन्दर बना हुआ,
श्री राम का मंदिर ऐसा,
सुन्दर बना हुआ,
सियाराम के दर्शन पाकर,
मैं धन्य हो जाउंगी,
मेरे उठे विरह की पीर सखी,
अयोध्या जाउंगी।7।
अयोध्या जाउंगी सखी,
ना लौट के आउंगी,
मेरे उठे विरह की पीर सखी,
अयोध्या जाउंगी।8।
अयोध्या जाऊँगी सखी ना लौट के आउँगी भजन एक श्रद्धालु के समर्पण और श्रीराम के प्रति उसकी गहरी भक्ति का प्रतीक है। यह हमें श्रीराम के अन्य भजनों अयोध्या में राम आए हैं और राम का नाम है प्यारा से भी जोड़ता है, जो श्रीराम के आशीर्वाद और उनके राज्य की महिमा का बखान करते हैं। जैसे इस भजन में श्रद्धालु अपनी यात्रा की दृढ़ता का संकल्प करती है, वैसे ही हमें भी अपने जीवन में श्रीराम के आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेना चाहिए। श्रीराम की भक्ति में खो जाने के बाद हमें किसी और का मन नहीं होगा, यही इस भजन का गहरा संदेश है। जय श्रीराम!
मैं आचार्य ब्रह्मदत्त, सनातन धर्म का एक साधक और आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचारक हूँ। मेरा जीवन देवी-देवताओं की आराधना, वेदों-पुराणों के अध्ययन और भक्ति मार्ग के अनुसरण में समर्पित है। सूर्य देव, खाटू श्याम, शिव जी और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का गुणगान करना मेरे लिए केवल एक लेखन कार्य नहीं, बल्कि एक दिव्य सेवा है। मैं अपने लेखों के माध्यम से भक्तों को पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान सरल भाषा में प्रदान करने का प्रयास करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने आध्यात्मिक पथ को सुगम और सार्थक बना सके। View Profile 🚩 हर हर महादेव 🚩