ऐसा कहते है सब लोग की जादू भरी पद रज है तुम्हारी

श्रीराम जी की भक्ति में जो रम जाता है, उसका जीवन स्वतः ही आनंद और शांति से भर जाता है। भक्तों का विश्वास है कि उनकी चरण रज भी जीवन को धन्य बना सकती है। ऐसा कहते हैं सब लोग कि जादू भरी पद रज है तुम्हारी भजन में प्रभु श्रीराम की महिमा और उनकी दिव्यता का गुणगान किया गया है। यह भजन हमें उनके चरणों की भक्ति में लीन होने की प्रेरणा देता है और उनके प्रति हमारी श्रद्धा को और गहरा कर देता है।

Aisa Kahte Hai Sab Log Ki Jadu Bhari Pad raj Hai Tumhari

दोहा –
आज्ञा पायी निषाद ने,
केवट लियो बुलाये,
पर केवट ने राम को,
दी यह मांग सुनाय,
पहले चरण पखारूंगा,
उनकी रज को झाड़ूंगा,
पान करूँगा चरणामृत,
नाव पे तब बैठारूंगा।1।

ऐसा कहते है सब लोग की,
जादू भरी पद रज है तुम्हारी,
इस पद रज का स्पर्श हुआ तो,
मौन शिला बनी सुन्दर नारी,
मेरे पास है बस एक नैया,
मेरे पास है बस एक नैया,
सारे कुटुंब की पालनहारी,
नाव बनी यदि नार तो आएगा,
मुझ निर्धन पे संकट भारी,
एक नारी का कठिन है पालन,
कैसे पालूंगा दो दो नारी।2।

केवट प्रभु के पाँव पखारन,
हेतु कठौती में जल भर लाया,
पाँव पखार पिया चरणामृत,
फिर प्रभु को नौका में बिठाया,
गंगा पार् पहुँच कर जब,
गंगा पार् पहुँच कर जब,
उतराई देने का अवसर आया,
देने लगी वैदेही अंगूठी,
तो ना में सर केवट ने हिलाया,
देने लगी वैदेही अंगूठी,
तो ना में सर केवट ने हिलाया।3।

सुनो मेरी विनती राम सरकार,
राम सरकार सिया सरकार,
नाइ धोबी धीवर केवट,
और लुहार सुनार,
एक दूजे से ले ना मजूरी,
जिनका एक व्यापार,
मैं नदियाँ का केवट,
तुम भवसागर तारणहार,
राम प्रभु मेरी मजदूरी,
तुम पर रही उधार,
आऊं मैं जब घाट तुम्हारे,
आऊं मैं जब घाट तुम्हारे,
कर दीजो बेड़ा मेरा पार,
सुनो मेरी विनती राम सरकार,
राम सरकार सिया सरकार।4।

केवट ने जो मांगी उतराई,
मन ही मन प्रण किया रघुराई,
उतराई अवश्य चुकानी है,
ये रामायण श्री राम की,
अमर कहानी है,
ये रामायण श्री राम की,
अमर कहानी है।5।

केवट को वचन देकर,
मुस्कुराते हुए विदा लेकर –

सिया सहित वन मार्ग पर,
चल दिए युगल किशोर,
हो लिया संग निषाद भी,
बंधा नेह की डोर।6।

सानुज सिया सहित रघुनन्दन,
गंगा जी का करके वंदन,
भरद्वाज के आश्रम आए,
मुनि को विनय प्रणाम जनाए।7।

ऋषि ने प्रभु को हृदय लगाया,
अकथनीय परमानन्द पाया,
कुशल पूछ आसन बैठारे,
पद पूजत मुनि भये सुखारे।8।

कंद-मूल फल परस कर,
अति प्रसन्न ऋषिराज,
ध्यान ज्ञान जप जोग तप,
सफल भये सब आज।9।

कर मुनि से सत्संग प्रभु,
किया तहाँ रेन प्रवास,
तंगला अवस्था में हुआ,
आध्यात्मिक आभास।10।

प्रात नहाये पुण्य त्रिवेणी,
सरिता त्रय मुद मंगल देनी,
राम प्रयाग महात्म बखाना,
तीर्थेश्वर यह सरस सुहाना।11।

नाम प्रयाग यज्ञ हुए अगणित,
कण कण मंत्रो से अनुगुंजित,
तीर्थेश्वर की महिमा गाकर,
आश्रम में पुनि आए रघुवर।12।

सुभाशीष मुनिराज से,
मांग रहे जगदीश,
पूछ रहे वनवास को,
जाये कहाँ मुनीश ?

मुनि बोले तुममें जगत बसा,
तुम विद्यमान सर्वत्र सदा,
तुमको क्या राह सुझानी है,
ये रामायण श्री राम की,
अमर कहानी है,
ये रामायण श्री राम की,
अमर कहानी है।13।

श्रीराम जी की कृपा और चरणों की महिमा अनंत है। उनकी भक्ति से न केवल आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि जीवन भी शुभता से भर जाता है। यह भजन हमें यह सिखाता है कि श्रीराम की भक्ति से बड़ा कोई साधन नहीं है, और उनकी चरण रज मात्र से ही जीवन धन्य हो जाता है। यदि आपको यह भजन पसंद आया, तो आप “राम नाम की महिमा, “श्रीरामचंद्र कृपालु भज मन, श्री रामचरण की वंदना, और “राम धुन के जप का महत्व” भी पढ़ सकते हैं। इन भजनों और लेखों से आपको श्रीराम जी की कृपा और भक्ति का और भी दिव्य अनुभव प्राप्त होगा। जय श्रीराम! 🚩🙏

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