भारत में कई प्रसिद्ध शिव पार्वती मंदिर हैं, जहाँ पर लाखों भक्त भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं। Shiv Parvati Mandir में आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इन मंदिरों में जाकर भक्तों को मानसिक शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। यहाँ आप कुछ प्रमुख शिव और पार्वती मंदिरों के बारे में जानेंगे, जो विशेष रूप से भक्तों के बीच प्रसिद्ध हैं।
प्रमुख शिव-पार्वती मंदिर
- कांची काङ्किनि शिव-पार्वती मंदिर (Kanchi Kankinai Shiva-Parvati Temple)
- कैलाश पर्वत, हिमालय (Mount Kailash, Himalayas)
- सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple)
- बद्रीनाथ मंदिर (Badrinath Temple)
- विवेकानंद रोका मंदिर (Vivekananda Rock Temple)
- महाकालेश्वर शिव-पार्वती मंदिर (Mahakaleshwar Shiva-Parvati Temple)
- तिरुवन्नमलाई मंदिर (Thiruvannamalai Temple)
1- कांची काङ्किनि शिव-पार्वती मंदिर
कांची काङ्किनि शिव-पार्वती मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है। इस मंदिर का इतिहास कई शताब्दियों पुराना है। यह मंदिर भगवान शिव और देवी पार्वती के पवित्र मिलन का प्रतीक है। इसे कांचीपुरम के प्रमुख शैव और शाक्त तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, कांचीपुरम शहर को भगवान शिव ने बृहस्पति और शनि ग्रहों के बीच स्थित किया था।
आने-जाने के साधन
- हवाई मार्ग: कांचीपुरम का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट Chennai International Airport है, जो लगभग 75 किमी दूर स्थित है।
- रेल मार्ग: कांचीपुरम रेलवे स्टेशन से भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी कनेक्टिविटी है।
- सड़क मार्ग: चेन्नई से बस, टैक्सी या निजी वाहन से कांचीपुरम तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।
विशेषताएं
- मंदिर खुलने का समय: सुबह 5:00 बजे से 12:00 बजे तक, फिर 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक।
- विशेष पूजा विधि: भगवान शिव और देवी पार्वती की विशेष पूजा यहाँ होती है। खासकर अभिषेकम, आर्चन और ध्यान पूजा प्रमुख हैं।
- विशेषता: मंदिर की वास्तुकला अद्भुत दक्षिण भारतीय शैली में बनाई गई है। साथ ही यहाँ देवी पार्वती के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, जो इस मंदिर को अन्य मंदिरों से अलग बनाता है।
- प्रमुख स्थल: कांची काङ्किनि शिव-पार्वती मंदिर के पास कांचीपुरम के शेष अन्य मंदिर जैसे कांची कामाक्षी मंदिर, कांची विश्वनाथ मंदिर, आदि भी प्रमुख हैं।
- उत्सव: महाशिवरात्रि, नवरात्रि और तमिल नववर्ष के समय यहाँ विशेष पूजा और कार्यक्रम होते हैं।
2- कैलाश पर्वत, हिमालय
कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है और इसे सबसे पवित्र पर्वत के रूप में पूजा जाता है। जो की तिब्बत में स्थित है। हिन्दू धर्म के अनुसार, यह पर्वत शिव और पार्वती के ध्यान और तपस्या का स्थल है। कैलाश पर्वत के दर्शन से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आने-जाने के साधन
- हवाई मार्ग: कैलाश पर्वत का नजदीकी हवाई अड्डा ल्हासा है, जो तिब्बत के प्रमुख शहर में स्थित है। इसके बाद यात्रा काठमांडू से शुरु होती है।
- सड़क मार्ग: काठमांडू से विशेष यात्रा के द्वारा कैलाश तक पहुँचा जा सकता है। यह यात्रा लगभग 15-20 दिन की होती है, जिसमें मुश्किल पहाड़ी रास्तों से होकर जाना होता है।
विशेषताएं
- समय और यात्रा: यात्रा करने का सबसे अच्छा समय मई से अक्टूबर के बीच होता है, क्योंकि इस समय मौसम सुहावना होता है। अन्य मौसमों में बर्फबारी के कारण यात्रा करना मुश्किल हो जाता है।
- विशेषता: कैलाश पर्वत का धार्मिक महत्व अतुलनीय है और इसे एक अत्यधिक तपस्वी स्थान माना जाता है। इसे चार धर्मों के अनुयायी पवित्र मानते हैं।
- प्रमुख स्थल: मान सरोवर: कैलाश पर्वत के पास स्थित यह झील अत्यधिक पवित्र मानी जाती है। इसके जल में स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं।
- उत्सव: कैलाश यात्रा का कोई विशेष उत्सव नहीं होता, लेकिन यहाँ के धार्मिक यात्रियों द्वारा किए जाने वाले विशेष अनुष्ठान और पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
3- सोमनाथ मंदिर
सोमनाथ मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। जो की भारत के गुजरात में स्थित है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इसका इतिहास बहुत पुराना है और इसे बार-बार आक्रमणों का सामना करना पड़ा था, लेकिन हर बार इसका पुनर्निर्माण हुआ। यह मंदिर भगवान शिव के महाशिवलिंग रूप में पूजा जाता है।
आने-जाने के साधन
- हवाई मार्ग: द्वारका एयरपोर्ट यहाँ का नजदीकी हवाई अड्डा है।
- रेल मार्ग: सोमनाथ रेलवे स्टेशन से भारत के प्रमुख शहरों से कनेक्टिविटी है।
- सड़क मार्ग: द्वारका और अन्य प्रमुख स्थानों से बस और टैक्सी के द्वारा सोमनाथ आसानी से पहुँचा जा सकता है।
विशेषताएं
- मंदिर खुलने का समय: सुबह 6:00 बजे से 9:00 बजे तक, फिर शाम को 6:00 बजे से 9:00 बजे तक।
- विशेष पूजा विधि: “भस्म आरती” यहाँ का प्रमुख पूजा विधि है, जिसके दौरान शिवलिंग को भस्म से स्नान कराया जाता है।
- विशेषता: मंदिर का स्थान समुद्र के किनारे है और यहाँ से समुद्र का दृश्य अत्यधिक सुंदर है।
- प्रमुख स्थल: सोरठी देवी मंदिर और रणछोड़ रानी मंदिर सोमनाथ के आसपास प्रमुख स्थल हैं।
- उत्सव: महाशिवरात्रि, दिवाली, और नवरात्रि के समय विशेष पूजा और आयोजनों का आयोजन किया जाता है।
4- बद्रीनाथ मंदिर
बद्रीनाथ मंदिर को चार धाम यात्रा का एक अहम हिस्सा माना जाता है। जो की भारत के उत्तराखंड में स्थित है। यह भगवान विष्णु के बद्री रूप में पूजा जाता है, लेकिन यहाँ शिव और पार्वती के दर्शन भी होते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, यह मंदिर महर्षि नारद ने भगवान विष्णु की तपस्या करने के लिए स्थापित किया था।
आने-जाने के साधन
- हवाई मार्ग: जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून से बद्रीनाथ तक लगभग 300 किमी की दूरी है।
- रेल मार्ग: ऋषिकेश और हरिद्वार रेलवे स्टेशन से बद्रीनाथ के लिए बस और टैक्सी उपलब्ध हैं।
- सड़क मार्ग: हरिद्वार से बद्रीनाथ के लिए सड़क मार्ग द्वारा यात्रा की जाती है।
विशेषताएं
- समय और यात्रा: बद्रीनाथ मंदिर मई से अक्टूबर तक खुला रहता है। नवंबर से अप्रैल तक यह बंद रहता है।
- विशेषता: यह स्थान मोक्ष की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है और यहाँ की यात्रा को पुण्यदायिनी माना जाता है।
- प्रमुख स्थल: कदारनाथ और गंगोत्री भी इस क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।
- उत्सव: दीपावली, नवरात्रि और गंगा दशहरा के समय विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
विवेकानंद रॉक मंदिर
विवेकानंद रॉक मंदिर स्वामी विवेकानंद की स्मृति में बनवाया गया था। यह स्थल उनके ध्यान और साधना का स्थान था। जो की तमिलनाडु के कन्याकुमारी में स्थित है। यहाँ भगवान शिव और पार्वती की पूजा होती है, और यह स्थान ध्यान और आत्मिक शक्ति का केंद्र माना जाता है।
आने-जाने के साधन
- हवाई मार्ग: त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट से कन्याकुमारी तक यात्रा की जाती है।
- रेल मार्ग: कन्याकुमारी रेलवे स्टेशन से रॉक मंदिर तक पहुंचने के लिए नाव की सुविधा है।
- समय और पूजा विधि: मंदिर खुलने का समय: सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक।
- विशेष पूजा विधि: यहाँ ध्यान साधना, पूजा और स्वामी विवेक
5- त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
त्रयंबकेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। जो की महाराष्ट्र के नासिक में पड़ता है। यह मंदिर गोदावरी नदी के उद्गम स्थल के पास स्थित है और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि यहां भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे और उन्होंने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। यहाँ शिवलिंग में तीन मुख हैं, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है।
आने-जाने के साधन
- हवाई मार्ग: नासिक का निकटतम हवाई अड्डा ओझार एयरपोर्ट (Nashik Airport) है, जो लगभग 30 किमी दूर है।
- रेल मार्ग: नासिक रोड रेलवे स्टेशन से त्रयंबकेश्वर तक बस और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।
- सड़क मार्ग: नासिक से त्रयंबकेश्वर तक जाने के लिए अच्छी सड़कें बनी हुई हैं और नियमित बसें चलती हैं।
विशेषताएं
- मंदिर खुलने का समय: सुबह 5:30 बजे से रात 9:00 बजे तक।
- विशेष पूजा विधि: यहाँ विशेष रूप से कालसर्प दोष निवारण पूजा और नारायण नागबली पूजा होती है।
- विशेषता: यह मंदिर भारत के पवित्र पंचतीर्थों में से एक है। यहाँ का शिवलिंग अद्वितीय है, क्योंकि इसमें भगवान शिव के साथ ब्रह्मा और विष्णु के भी प्रतीक स्वरूप हैं।
- प्रमुख स्थल: गोदावरी नदी का उद्गम स्थल, अंजनेरी पर्वत (हनुमानजी का जन्मस्थान), कपालेश्वर मंदिर
- उत्सव: महाशिवरात्रि, कुंभ मेला, और नवरात्रि में यहाँ विशेष अनुष्ठान होते हैं।
6- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे सबसे महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में से गिना जाता है। जो की मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह मंदिर विशेष रूप से इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि यहाँ महाकाल की भस्म आरती प्रतिदिन की जाती है। पुराणों में उल्लेख है कि उज्जैन का यह स्थान शिव के रुद्र रूप का वासस्थान है।
आने-जाने के साधन
- हवाई मार्ग: उज्जैन का निकटतम हवाई अड्डा इंदौर एयरपोर्ट है, जो लगभग 55 किमी दूर स्थित है।
- रेल मार्ग: उज्जैन रेलवे स्टेशन से मंदिर तक ऑटो, रिक्शा और टैक्सी आसानी से मिलती हैं।
- सड़क मार्ग: इंदौर, भोपाल और अन्य प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी कनेक्टिविटी है।
विशेषताएं
- मंदिर खुलने का समय: सुबह 4:00 बजे से रात 11:00 बजे तक।
- भस्म आरती: प्रातः 4:00 बजे होती है, जिसमें विशेष अनुमति लेनी होती है।
- विशेष पूजा: रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, कालसर्प दोष निवारण पूजा।
- विशेषता: यह भारत का एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहाँ की भस्म आरती संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है और यह मंदिर कालगणना (समय-निर्धारण) का प्रमुख केंद्र है।
- प्रमुख स्थल: काल भैरव मंदिर, संदीपनी आश्रम (जहाँ श्रीकृष्ण ने शिक्षा प्राप्त की थी), रामघाट (जहाँ कुंभ मेला आयोजित होता है) इत्यादि। यहाँ प्रमुख स्थल हैं।
- उत्सव: महाशिवरात्रि, श्रावण मास, और नवरात्रि में विशेष पूजा और उत्सव मनाए जाते हैं।
आपने शिव पार्वती मंदिरों के बारे में जाना और समझा कि ये मंदिर हमारे धार्मिक जीवन में कितने महत्वपूर्ण हैं। इन मंदिरों की सबसे बढ़ी विशेषता यह है की यह समय समय पर शिव चालीसा लिरिक्स, पार्वती माता चालीसा और पार्वती पंचाक जैसे पाठ का आयोजन होता रहता है जिससे मंदिर का वातावरण हमेशा भक्तिमय होता है।
अपने आध्यात्मिक यात्रा को और गहरा करने के लिए आप Om Namah Parvati Pataye Har Har Mahadev का नारा भी लगा सकतें हैं ।
FAQ
महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती के लिए ऑनलाइन बुकिंग कैसे करें?
महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती के लिए ऑनलाइन बुकिंग मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर की जा सकती है। बुकिंग के लिए पहचान पत्र (आधार कार्ड, वोटर आईडी) आवश्यक होता है।
क्या शिव पार्वती मंदिरों में विशेष पूजा विधियाँ होती हैं?
हां, विशेष अवसरों जैसे महाशिवरात्रि और शिवरात्रि के दौरान विशेष पूजा विधियाँ होती हैं, जिसमें भक्तों को उपवास, रुद्राभिषेक और विशेष मंत्रों का जाप करने का अवसर मिलता है।
केदारनाथ मंदिर साल में कितने महीने खुला रहता है?
केदारनाथ मंदिर अक्टूबर-नवंबर में बंद होता है और मई में खुलता है। सर्दियों के दौरान भारी बर्फबारी के कारण मंदिर बंद रहता है, और पूजा ऊखीमठ में की जाती है।

मैं आचार्य सिद्ध लक्ष्मी, सनातन धर्म की साधिका और देवी भक्त हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को धनवंतरी, माँ चंद्रघंटा और शीतला माता जैसी दिव्य शक्तियों की कृपा से परिचित कराना है।मैं अपने लेखों के माध्यम से मंत्र, स्तोत्र, आरती, पूजन विधि और धार्मिक रहस्यों को सरल भाषा में प्रस्तुत करती हूँ, ताकि हर श्रद्धालु अपने जीवन में देवी-देवताओं की कृपा को अनुभव कर सके। यदि आप भक्ति, आस्था और आत्मशुद्धि के पथ पर आगे बढ़ना चाहते हैं, तो मेरे लेख आपके लिए एक दिव्य प्रकाश बन सकते हैं। View Profile 🚩 जय माँ 🚩