Om Jai Shiv Omkara | ॐ जय शिव ओमकारा : मधुर आरती स्वर

ॐ जय शिव ओमकारा भगवान शिव की प्रसिद्ध आरती है, जिसे हिंदू धर्म के अनुयायी बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ गाते हैं। यह Om Jai Shiv Omkara आरती भगवान शिवजी के दिव्यता का गुणगान करती है और उनके शक्तिशाली, विनाशक और सृजनकर्ता रूप का बखान करती है। शिव जी को सभी देवताओं का देवता कहा जाता हैं, और उनकी आरती में उनके निराकार, अजर-अमर और अनंत स्वरूप का वर्णन किया जाता है।

इस आरती के द्वारा उन्हें संसार के सारे कष्टों का नाश करने वाले और भक्तों के जीवन में नई शुरुआत करने वाले के रूप में संबोधित किया जाता है। shiv aarti bhajan के स्वर शिव के प्रति समर्पण, आस्था और प्रेम को प्रकट करते हैं। इसे गाने से भक्तों के मन में अद्भुत शांति और ऊर्जा का संचार होता है, और उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान शिव के इस सम्पूर्ण आरती को हमने आपके लिए नीचे उपलब्ध कराया है।

ॐ जय शिव ओमकारा

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा,
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा।
॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे,
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे
॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे,
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे
॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी,
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी
॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे,
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे
॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता,
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता
॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका,
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका
॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी,
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी
॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे,
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे
॥ ॐ जय शिव…॥

इसके साथ -साथ आप भगवान शिव के Shiv Stuti, Shiv Panchakshar Stotra, Shiv Chalisa इत्यादि पाठों को कर सकते हैं जो आपके लिए भगवान शिव की कृपा को पाने का एक अच्छा साधन हो सकता है।

Om Jai Shiv Omkara आरती करने की विधि विस्तार से

  1. स्वछता: सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करके साफ-सुथरे कपडे पहन लें।
  2. पूजा का स्थल: इसके बाद पाठ करने के लिए पहले पूजा स्थल का चुनाव करना चाहिए। पूजा स्थल स्वच्छ और शांत होना चाहिए।
  3. मूर्ति स्थापन: स्थल पर शिव जी की मूर्ति को स्थापित करना चाहिए। आप चित्र की स्थापना भी कर सकते है।
  4. आवश्यक सामग्री: शिव ओंकारा आरती करने के लिए शिव जी की मूर्ति, बेलपत्र, धूप, दीप, कलश, पुष्प, बिल्वपत्र, रुद्राक्ष माला, वस्त्र आदि की आवश्यकता होती है।
  5. ध्यान: अब अपना ध्यान शिव जी की तरफ करें।
  6. पूजा: शिव जी की मूर्ति को बेलपत्र, फूल, धूप, दीप, वस्त्र आदि से पूजा करें।
  7. आरती का पाठ: अब आप ऊपर दिए गए आरती का पाठ करें और शिव जी की महिमा का गुणगान करिए। आरती को ऊँचे और मधुर स्वर में गायें। आरती में शामिल सभी लोग भी आरती का गायन कर सकते है।
  8. ताली और घंटी: आरती के साथ-साथ ताली और घंटी भी बजाएं इससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
  9. प्रसाद वितरण: अब आपके पास जो प्रसाद है उसे शिवजी को चढ़ाए सभी लोगो में वितरित करें।
  10. प्रार्थना: पूजा के अंत में भगवान से आशीर्वाद प्राप्ति के लिए धन्यवाद करें।

इस विधि के द्वारा आप ऊपर दिए गए आरती को श्रद्धा के साथ संम्पन्न कर सकते है और शिव की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते है।

आरती के लाभ

आरती करने से हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते है और जीवन धीरे-धीरे प्रेम और खुशियों से भर जाता है। आइये इस आरती से होने वाले विभिन्न लाभों को हम आपको बताते है जो कुछ इस प्रकार से है-

  • आध्यात्मिक सांत्वना: यह शिव भगवान की महिमा की स्तुति करता है और आपको आध्यात्मिक सांत्वना प्रदान करता है।
  • मानसिक शांति: इस आरती को करने से मन को शांति मिलाता है और तनाव से मुक्ति प्राप्त होती है।
  • जागरूकता: यह आपके आध्यात्मिक जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में सहायता प्रदान करता है और आपको जागरूक बनता है।
  • स्वास्थ्य: ऊपर दिए गए आरती को करने से आप शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहते हैं।
  • आध्यात्मिक उन्नति: इस भजन को करने से आपकी आध्यात्मिक उन्नति होती है और आपको आतंकिर शांति प्राप्त होती है।
  • दिव्यता: इस आरती को करने से आप दिव्यता की ओर जाते हैं और आपको भगवान के साथ एक संबंध स्थापित करता है।
  • मानवीय संबंध: यह आपके मानवीय संबंधों को मजबूत करता है और समाज में आदर्शता को प्रमोट करता है।
  • ध्यान: इस भजन को करने से व्यक्ति के पास ज्ञान और आध्यात्मिक अभ्यास में मदद मिलता है।

FAQ

इस आरती का वास्तविक रूप क्या है ?

यह एक प्रकार की आरती है जो भगवान शिव जी की महिमा की गुणगान करता है।

इस आरती का गुणगान केवल विशेष समय पर करना जरूरी होता है ?

क्या इस का पाठ करना आसान है?

क्या इस शिव आरती को रोज़ गाया जा सकता है?

क्या इसका पाठ समूह में किया जा सकता है?

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