नवग्रह शांति मंत्र: नवग्रहों के अशुभ प्रभाव को शांत करने वाला प्रभावशाली उपाय

जीवन में सुख, शांति और सफलता के लिए नवग्रह शांति मंत्र का जाप एक अत्यंत प्रभावशाली उपाय माना गया है। ये मंत्र नवग्रहों के अशुभ प्रभाव को शांत कर सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं। नियमित रूप से Navgrah Shanti Mantra का उच्चारण करने से ग्रह दोष दूर होकर जीवन में संतुलन आता है।

Navgrah Shanti Mantra

ॐ ब्रह्मामुरारि त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमिसुतो बुध च
गुरु च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वेग्रहा: शान्ति करा: भवन्तु।।

Navgrah Shanti Mantra

ॐ ब्रह्मामुरारि त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमिसुतो बुध च
गुरु च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वेग्रहा: शान्ति करा: भवन्तु।।

अगर आप अपने जीवन में ग्रहों की अशांति से परेशान हैं, तो श्रद्धा और नियमपूर्वक Navgrah Beej Mantra का जाप शुरू करें। यह ग्रह मंत्र न सिर्फ आपकी कुंडली के दोषों को शांत करता है, बल्कि मानसिक, आर्थिक और आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करता है। आप नवग्रह को शांत करने के लिए नवग्रह कवच, नवग्रह चालीसा और नवग्रह की आरती कर सकते हैं। जो आपके लिए अत्यंत लाभदायक हो सकता है।

नवग्रह शांति मंत्र की मुख्य जाप विधि

  1. शुद्धि एवं संकल्प: प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। एक पात्र में जल, अक्षत और फूल लेकर संकल्प करें, जिसमें अपना नाम, गोत्र और मनोकामना का उल्लेख करें।
  2. कलश एवं नवग्रह स्थापना: तांबे या पीतल के कलश में जल भरकर उसमें आम के पत्ते और नारियल रखें। कलश के समीप नवग्रहों के प्रतीक स्वरूप नौ स्थान बनाएं और हर ग्रह के अनुसार वस्त्र व फूल रखें, जैसे सूर्य के लिए लाल, चंद्र के लिए सफेद, शनि के लिए नीला आदि।
  3. नवग्रह आवाहन: हर ग्रह का ध्यान करके उनका आवाहन करें और उन्हें फूल, चंदन, अक्षत, धूप, दीप अर्पित करें। ग्रहों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्रद्धापूर्वक पूजन करें।
  4. मंत्र जप: प्रत्येक ग्रह का बीज मंत्र या शांति मंत्र 11, 21 या 108 बार जपें। उदाहरण: सूर्य के लिए “ॐ भास्कराय नमः”, चंद्र के लिए “ॐ सोमाय नमः” आदि।
  5. हवन, आरती एवं दान: संभव हो तो हवन करें और प्रत्येक मंत्र से आहुति दें। हवन के बाद नवग्रहों की आरती करें और पूजा का प्रसाद वितरित करें। अंत में ग्रहों से संबंधित वस्तुएं ब्राह्मण या ज़रूरतमंद को दान करें।

FAQ

यह पूजा कब करनी चाहिए?

यह पूजा किसी भी शुभ मुहूर्त, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति या ग्रहों से संबंधित वार (जैसे रविवार – सूर्य, शनिवार – शनि) को की जा सकती है। कुंडली के अनुसार ज्योतिषाचार्य से दिन तय करना सर्वोत्तम होता है।

क्या इसे घर पर भी किया जा सकता है?

मंत्र कितनी बार जपना चाहिए?

क्या सभी नवग्रहों को एक साथ शांत किया जा सकता है?

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