नवग्रह कवच एक शक्तिशाली वैदिक स्तोत्र है, जो जीवन में ग्रहों की अशुभ ऊर्जा से रक्षा करता है। Navgrah Kavach का नियमित पाठ नवग्रहों की कृपा दिलाता है और मानसिक, शारीरिक व आध्यात्मिक संतुलन बनाए रखता है। यह साधना ग्रह दोष निवारण और सुख-शांति के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है, विशेष रूप से तब जब कुंडली में ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल हो।
Navgrah Kavach
॥ब्रह्मोवाच॥
शिरो में पातु मार्तण्डो कपालं रोहिणीपतिः
मुखमंगारकः पातु कण्ठश्च शशिनन्दनः॥
बुद्धिं जीवः सदा पातु हृदयँ भृगुनन्दनः
जठरंच शनिः पातु जिह्वां में दितिनन्दनः॥
पादौ केतुः सदा पातु वाराः सर्वाङ्गमेव च
तिथयोष्टौ दिशः पान्तु नक्षत्राणि वपुः सदा॥
अंसौ राशिः सदा पातु योगाश्च स्थैर्यमेव च
गुह्यं लिङ्गं सदा पान्तु सर्वे ग्रहाः शुभप्रदाः
अणिमादिनी सर्वाणि लभते यः पठेद ध्रुवम॥
फलश्रुतिः
एतां रक्षां पठेद यस्तु भक्त्या स प्रयतः सुधीः
स चिरायुः सुखी पुत्री रणे च विजयी भवेत्॥|
अपुत्रो लभते पुत्रं धनार्थी धनमाप्नुयात
दारार्थी लभते भार्यां सुरूपां सुमनोहराम॥
रोगी रोगात्प्रमुच्येत बद्धो मुच्येत बंधनात
जले स्थले चान्तरिक्षे कारागरे विशेषतः॥
यः करे धारयेन्नित्यं भयं तस्य न विद्यते
ब्रह्महत्या सुरापानं स्तेयं गुर्वङ्गनागमः
सर्वपापैः प्रमुच्येत कवचस्य च धारणात॥
नारी वामभुजे धृत्वा सुखैश्वर्य समन्विता
काकवन्ध्या जन्मवंध्या मृतवत्सा च या भवेत्
बह्वपत्या जीववत्सा कवचस्य प्रसादतः॥
॥नवग्रह कवच सम्पूर्णं॥
Navgrah Kavach Stotra न केवल ग्रहों की अशुभ शक्तियों से आपकी रक्षा करता है, बल्कि यह जीवन में नई ऊर्जा, संतुलन और आत्मविश्वास भी लाता है। अगर आप इसे श्रद्धा और नियमपूर्वक पढ़ते हैं, तो धीरे-धीरे इसके प्रभाव को अपने जीवन में अनुभव कर पाएंगे। साथ ही नवग्रह बीज मंत्र, नवग्रह चालीसा और नवग्रह आरती के निरंतर पाठ से आप अपने गृह दोष को दूर कर सकते हैं।
नवग्रह कवच पाठ की मुख्य जाप विधि
- स्नान और स्वच्छता: सुबह ब्रह्ममुहूर्त या सूर्योदय के समय उठकर स्नान करें और साफ़, हल्के रंग के वस्त्र धारण करें। मानसिक और शारीरिक शुद्धता इस पाठ के लिए आवश्यक होती है।
- पूजा स्थान की तैयारी: घर के शांत और पवित्र स्थान को साफ़ करें। वहां एक आसन बिछाएं, दीपक, अगरबत्ती, तांबे या पीतल का जल पात्र और कुछ फूल रखें।
- दिशा और आसन: उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें। पीठ सीधी रखें और आंखें बंद करके नवग्रहों का ध्यान करें।
- संकल्प लें: मन में नवग्रहों को प्रणाम करें और संकल्प लें कि आप श्रद्धा व नियमपूर्वक नवग्रह कवच का पाठ कर रहे हैं, ताकि जीवन में शांति, संतुलन और सुरक्षा बनी रहे।
- नवग्रह कवच का पाठ करें: पूरे एकाग्र और शुद्ध मन से नवग्रह कवच का पाठ करें। चाहें तो पाठ से पहले और बाद में “ॐ नवग्रहाय नमः” मंत्र का 11 बार जाप करें। उच्चारण स्पष्ट और भावना सच्ची होनी चाहिए।
- प्रार्थना और आभार: पाठ के बाद नवग्रहों से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन से अशांति, रोग, कर्ज़ और अन्य परेशानियाँ दूर करें। उन्हें धन्यवाद दें।
- दान और समापन: पाठ के अंत में ग्रहों से संबंधित वस्तुएं जैसे तिल, गुड़, चावल, वस्त्र आदि किसी ज़रूरतमंद को दान करें। इससे आपकी साधना पूर्ण मानी जाती है और उसका फल बढ़ जाता है।
FAQ
इस कवच कब पढ़ना चाहिए?
इसे सुबह के समय, विशेषकर ब्रह्ममुहूर्त में या सूर्योदय से पहले पढ़ना श्रेष्ठ माना जाता है। शांत वातावरण और एकाग्र मन से इसका पाठ करना अधिक फलदायी होता है।
क्या ग्रह कवच रोज़ पढ़ा जा सकता है?
हाँ, इसे रोज़ पढ़ना अत्यंत शुभ होता है। नियमित पाठ से नवग्रहों का संतुलन बना रहता है और जीवन में आने वाली बाधाओं से रक्षा होती है।
क्या नवग्रह के कवच का पाठ करने से ग्रह दोष दूर हो जाते हैं?
यह कवच ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा को शांत करता है और शुभ फल को बढ़ाता है। विशेष रूप से यदि कुंडली में ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल हो, तो इसका प्रभाव और भी लाभकारी होता है।
मैं पंडित सत्य प्रकाश, सनातन धर्म का एक समर्पित साधक और श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता और माँ सरस्वती की भक्ति में लीन एक सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य इन दिव्य शक्तियों की महिमा को जन-जन तक पहुँचाना और भक्तों को उनके आशीर्वाद से जोड़ना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से इन महान विभूतियों की कथाएँ, आरती, मंत्र, स्तोत्र और पूजन विधि को सरल भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने जीवन में इनकी कृपा का अनुभव कर सके। View Profile 🚩 जय श्री राम 🚩