मेरे अंगना में आए भोलेनाथ सखी री मैं क्या मांगू

जब स्वयं भोलेनाथ कृपा बरसाने हमारे आंगन में पधारें, तो भला और क्या मांगने की आवश्यकता रह जाती है? “मेरे अंगना में आए भोलेनाथ सखी री मैं क्या मांगू” भजन उस भक्तिभाव को प्रकट करता है, जहां शिवजी के आगमन मात्र से मन संतुष्ट और आनंदित हो जाता है। जब हम इस भजन का पाठ करते हैं, तो यह अनुभूति होती है कि शिवजी की कृपा ही सबसे बड़ा वरदान है, और उनके चरणों में समर्पण ही सच्ची भक्ति है।

Mere Angna Me Aaye Bholenath Sakhi Ri Me Kya Mangu

मेरे अंगना में आए भोलेनाथ,
सखी री मैं क्या मांगू,
क्या मांगू मैं क्या मांगू,
क्या मांगू मैं क्या मांगू,
मेरे अँगना में आए भोले नाथ,
सखी री मैं क्या मांगू।1।

जब मैंने भोले जी के पैरों को देखा,
पैरों को देखा सखी पैरों को देखा,
मेरे हो गए चारों धाम,
सखी री मैं क्या मांगू,
मेरे अँगना में आए भोले नाथ,
सखी री मैं क्या मांगू।2।

जब मैंने भोले जी के हाथों को देखा,
हाथों को देखा सखी हाथों को देखा,
मुझे मिल गया आशीर्वाद,
सखी री मैं क्या मांगू,
मेरे अँगना में आए भोले नाथ,
सखी री मैं क्या मांगू।3।

जब मैंने भोले जी के मुखड़े को देखा,
मुखड़े को देखा सखी मुखड़े को देखा,
मैं तो हो गई भव से पार,
सखी री मैं क्या मांगू,
मेरे अँगना में आए भोले नाथ,
सखी री मैं क्या मांगू।4।

जब मैंने भोले जी के शीश को देखा,
शीश को देखा सखी शीश को देखा,
मैंने कर लिया गंगा स्नान,
सखी री मैं क्या मांगू,
मेरे अँगना में आए भोले नाथ,
सखी री मैं क्या मांगू।5।

मेरे अंगना में आए भोलेनाथ,
सखी री मैं क्या मांगू,
क्या मांगू मैं क्या मांगू,
क्या मांगू मैं क्या मांगू,
मेरे अँगना में आए भोले नाथ,
सखी री मैं क्या मांगू।6।

जिसके आंगन में भोलेनाथ स्वयं पधार जाएं, उसे किसी अन्य सुख-संपत्ति की चाह नहीं रहती। “मेरे अंगना में आए भोलेनाथ सखी री मैं क्या मांगू” भजन की तरह “मांगना है तो भोले से मांगो”, “हमको तो बस भोलेनाथ चाहिए”, “भोलेनाथ ने पकड़ा हाथ नहीं तो मैं बह जाता”, और “महाकाल की कृपा से सब काम हो रहा है” जैसे भजन भी हमें शिवजी की असीम कृपा और उनकी भक्ति में डूब जाने की प्रेरणा देते हैं। आइए, इन पावन भजनों का पाठ करें और शिवमय हो जाएं। 🔱🙏

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