मारुति स्तोत्र भगवान हनुमान की स्तुति और आराधना का एक प्रसिद्ध पाठ है, जो भक्तों द्वारा संकटों से मुक्ति और शक्ति प्राप्ति के लिए पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र, जिसे “हनुमान अष्टक” या “हनुमान चालिसा” के बाद सबसे प्रभावशाली स्तोत्रों में गिना जाता है, भगवान हनुमान की महिमा का गान है। हनुमान जी, जिन्हें “मारुति” के नाम से भी जाना जाता है, शक्ति, भक्ति, और साहस के प्रतीक माने जाते हैं।
Maruti Stotra रामदास स्वामी द्वारा रचित हनुमान स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है जिसका नियमित पाठ न केवल भक्तों को मानसिक और शारीरिक बल प्रदान करता है, बल्कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों से भी रक्षा करता है। भक्तों का मानना है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान हनुमान उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उन्हें हर प्रकार के भय, संकट, और रोगों से मुक्ति दिलाते हैं। यहाँ स्तोत्र का पाठ और पाठ की विस्तृत विधि दी गई है-
स्तोत्र
भीमरूपी महारुद्रा, वज्र हनुमान मारुती,
वनारी अंजनीसूता, रामदूता प्रभंजना ।1।
महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवीं बळें,
सौख्यकारी शोकहर्ता, धूर्त वैष्णव गायका ।2।
दिनानाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदंतरा,
पाताळ देवता हंता, भव्य सिंदूर लेपना ।3।
लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना,
पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना परतोषका ।4।
ध्वजांगे उचली बाहू, आवेशें लोटिला पुढें,
काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ।5।
ब्रह्मांड माईला नेणों, आवळें दंतपंगती,
नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा, भृकुटी त्राहिटिल्या बळें ।6।
पुच्छ तें मुरडिलें माथां, किरीटी कुंडलें बरीं,
सुवर्णकटीकासोटी, घंटा किंकिणी नागरा ।7।
ठकारे पर्वताऐसा, नेटका सडपातळू,
चपळांग पाहतां मोठें, महाविद्युल्लतेपरी ।8।
कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे,
मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधे उत्पाटिला बळें ।9।
आणिता मागुता नेला, गेला आला मनोगती,
मनासी टाकिलें मागें, गतीस तूळणा नसे ।10।
अणूपासोनि ब्रह्मांडा, येवढा होत जातसे,
तयासी तुळणा कोठें, मेरुमंदार धाकुटें ।11।
ब्रह्मांडाभोंवते वेढे, वज्रपुच्छ घालूं शके,
तयासि तूळणा कैचीं, ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ।12।
आरक्त देखिलें डोळां, गिळीलें सूर्यमंडळा,
वाढतां वाढतां वाढे, भेदिलें शून्यमंडळा ।13।
धनधान्यपशुवृद्धी, पुत्रपौत्र समग्रही,
पावती रूपविद्यादी, स्तोत्र पाठें करूनियां ।14।
भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही,
नासती तूटती चिंता, आनंदें भीमदर्शनें ।15।
हे धरा पंधराश्लोकी, लाभली शोभली बरी,
दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चंद्रकळागुणें ।16।
रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासी मंडण,
रामरूपी अंतरात्मा, दर्शनें दोष नासती ।17।
इति श्रीरामदासकृतं संकटनिरसनं मारुतिस्तोत्रं संपूर्णम्
इसके अलावा आप Hanuman Dwadash Naam Stotram, sunderkand lyrics का पाठ भी कर सकते है और हनुमान जी की कृपा को प्राप्त कर सकते है।
मारुति स्तोत्र की पाठ विधि:
अक्सर देखा जाता है की अधिकतर लोगो सोचते है की कही मंत्र जाप करते समय कोई गलती न हो जाये। इसलिए हमने कुछ पंडित जी से बात करने के बाद आपको स्तोत्र का पाठ करने की विधि को बताने जा रहे है जो की निम्नलिखित है –
- स्नान एवं शुद्धता: स्तोत्र का पाठ करने से पहले व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को भी स्वच्छ कर लें ताकि पूजा के दौरान सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
- पूजा स्थल की तैयारी: हनुमान जी की पूजा के लिए उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है। पूजा स्थल पर हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर रखें। आसन पर कुशा या कपड़े का प्रयोग करें, और शांत मन से पूजा की शुरुआत करें।
- सामग्री: पूजा के लिए ताजे फूल (विशेषकर लाल फूल), चावल, सिंदूर, घी का दीपक, अगरबत्ती, नैवेद्य (गुड़ और चने का प्रसाद), पवित्र जल आदि निम्नलिखित सामग्री की व्यवस्था करें।
- ध्यान और संकल्प: स्तोत्र पाठ से पहले भगवान हनुमान का ध्यान करें। आंखें बंद करके भगवान हनुमान की ध्यान मुद्रा में कल्पना करें। इसके बाद संकल्प लें कि आप हनुमान जी की स्तुति उनके आशीर्वाद और जीवन के कष्टों से मुक्ति के लिए कर रहे हैं।
- पूजा प्रारंभ: सर्वप्रथम हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र पर तिलक करें और फूल अर्पित करें। हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करें, क्योंकि सिंदूर हनुमान जी को विशेष रूप से प्रिय है। घी का दीपक जलाकर पूजा स्थल पर रखें और अगरबत्ती जलाएं।
- स्तोत्र का पाठ: अब शांत मन से हनुमान जी के समक्ष बैठें और स्तोत्र का पाठ करें। यदि संभव हो तो इसे 11 बार या 21 बार पढ़ें। यदि आप नियमित रूप से इसका पाठ करते हैं, तो यह शत्रुओं पर विजय और मानसिक शांति प्राप्त करने में सहायक होगा। पाठ के दौरान उच्चारण स्पष्ट और ध्यान के साथ करें। हनुमान जी की कृपा और शक्ति का अनुभव करने की कोशिश करें। स्तोत्र का पाठ धीमी गति से, श्रद्धा और समर्पण भाव से करें।
- आरती और समर्पण: पाठ समाप्त होने के बाद हनुमान जी की आरती करें। आरती के बाद हनुमान जी को जल और नैवेद्य अर्पित करें। अंत में हनुमान जी से अपने कष्टों के निवारण और शत्रुओं पर विजय की प्रार्थना करें।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद को ग्रहण करें और परिवार के अन्य सदस्यों में बांटें। इसे शांति और आस्था के साथ ग्रहण करें।
- नियमितता: इसका पाठ यदि प्रतिदिन किया जाए तो इससे अत्यधिक लाभ मिलता है। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को इसका पाठ करने से भगवान हनुमान की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
ध्यान और आदर्श से स्तोत्र का पाठ करने से, आप मारुति देव के आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
स्तोत्र का पाठ करने के लाभ
जब भी हम लोग या कोई भक्त स्तोत्र का पाठ करता है तो अनेको प्रकार के लाभ मिलता है। जैसी मन की शांति, सुख, आदि। कुछ ऐसे लाभ होते है जो की भक्तो को अनेक प्रकार से मिलता है। यह लाभ भक्तो को अलग अलग प्रकार से मिल सकता है-
- आत्मशक्ति में वृद्धि: रोजाना स्तोत्र का प्रात: कालिक पाठ करने से आपकी आत्मशक्ति और साहस में वृद्धि होती है, जिससे आप किसी भी चुनौती में अपने आप को संभाल सकते है।
- भक्ति और आस्था: लगातार पाठ करने से आपकी भक्ति और आस्था में वृद्धि होती है, जिससे आप अपने दिनचर्या को सकारात्मक और आध्यात्मिक बना पाते हैं।
- मारुति देव की कृपा: यदि आप पाठ करते है तो आपको मारुति देव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे आप सभी प्रकार की बुराइयों और कठिनाइयों का सामना आसानी से कर पाते है।
- मानसिक शांति: इस स्तोत्र का पाठ मानसिक शांति और सुख प्राप्ति के लिए सहायक होता है, और तनाव और सभी प्रकार की चिंता को दूर करता है।
- गुणवत्ता और उत्कृष्टता: पाठ करने से आपके कार्य में गुणवत्ता आती है, जिससे आपके सभी काम सफल होते है।
- रोग से मुक्ति: पाठ करने से आपको रोगों और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है और आपके जीवन में सुख और समृद्धि का अहसास होता है। जिससे आपके जीवन में खुशिया आती है।
- आत्मा के साथ जुड़ाई: पाठ करने से आपका आत्मा आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ता है, जिससे आप अपने आत्मा के साथ जुड़े रहते हैं।
- कर्मफल की सुन्दरता: पाठ करने से आपके कर्मफल बढ़ती है, और आपका कार्य करने का तरीका सकारात्मक बन जाता है।
- परिवारिक शांति: पाठ करने आपके परिवार के बीच आपसी सामंजस्य बना रहता है, जिससे घर में शांति का माहौल बना रहता है।
विशेष सुझाव:
- स्तोत्र का पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें और अन्य विचारों से मुक्त रहें।
- इसका पाठ मंदिर या किसी शुद्ध स्थान पर करना उत्तम होता है।
- अपने घर में भी इसे एक निश्चित स्थान पर प्रतिदिन करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- हनुमान जी का यह स्तोत्र भक्तों के जीवन में शक्ति, साहस, और आत्मविश्वास का संचार करता है और सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करता है।
FAQ
Maruti Stotra क्या है ?
यह एक प्राचीन हनुमान मंत्र है जो हनुमानजी की महिमा का गुणगान करता है।
इस स्तोत्र का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए ?
यह व्यक्ति की आवश्यकताओं और आस्था पर निर्भर करता है, लेकिन आमतौर पर 40 दिन या 11 दिनों तक पढ़ा जाता है।
क्या पाठ कोई विशेष नियमों के साथ करना चाहिए ?
इसे विश्वास और श्रद्धा के साथ पढ़ना चाहिए, और स्नान के बाद साफ सफाई से करना अच्छा होता है।
क्या स्तोत्र को कोई विशेष अवस्था में पढ़ना चाहिए ?
आप इसे शांत और ध्यान में पढ़ सकते हैं, और हनुमानजी की प्रति अपनी भक्ति और समर्पण की भावना बनाकर रखते हैं।
I am Shri Nath Pandey and I am a priest in a temple, which is located in Varanasi. I have been spending my life worshiping for the last 6 years. I have dedicated my soul completely to the service of God. Our website is a source related to Aarti, Stotra, Chalisa, Mantra, Festivals, Vrat, Rituals, and Sanatan Lifestyle.