धन्वंतरि मंत्र इन संस्कृत: रोग नाश और आरोग्यता के लिए दिव्य जाप

जब कोई व्यक्ति आयुर्वेदिक ऊर्जा और रोग निवारण की शक्ति को अपने जीवन में आमंत्रित करना चाहता है, तब भगवान धन्वंतरि मंत्र इन संस्कृत उसका सही और दिव्य मार्गदर्शक बनता है। यह मंत्र न केवल स्वास्थ्य प्रदान करता है, बल्कि मन, शरीर और आत्मा को भी संतुलन देता है। इसलिए हमने यहां आपके लिए Dhanvantri Mantra In Sanskrit को उपलब्ध कराया है-

Dhanvantri Mantra In Sanskrit

मंत्र

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय,
धन्वंतरये अमृतकलश हस्ताय
सर्वभय विनाशाय सर्वरोग निवारणाय,
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय
श्री महाविष्णवे नमः।

Dhanvantri Mantra In Sanskrit

मंत्र 

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय,
धन्वंतरये अमृतकलश हस्ताय
सर्वभय विनाशाय सर्वरोग निवारणाय,
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय 
श्री महाविष्णवे नमः।

अर्थ- मैं भगवान विष्णु के उस धन्वंतरि स्वरूप को नमन करता हूँ, जिनके हाथों में अमृत का कलश है, जो समस्त रोगों का निवारण करने वाले हैं, भय को नष्ट करने वाले हैं, और तीनों लोकों में आरोग्य और अमरत्व के प्रदाता हैं।

गायत्री मंत्र

ॐ वासुदेवाय विद्महे सुधाहस्ताय धीमहि,
तन्नो धन्वन्तरिः प्रचोदयात्।

गायत्री मंत्र

ॐ वासुदेवाय विद्महे सुधाहस्ताय धीमहि,
तन्नो धन्वन्तरिः प्रचोदयात्।

अर्थ- हम वासुदेव भगवान को जानने का प्रयास करते हैं, जिनके करकमलों अर्थात हाथों में अमृत कलश है, ऐसे भगवान का ध्यान करते हैं, वे भगवान धन्वंतरि हमारी बुद्धि को उत्तम मार्ग की ओर प्रेरित करें।

तारक मंत्र

ॐ धं धन्वन्तरये नमः।

तारक मंत्र

ॐ धं धन्वन्तरये नमः।

अर्थ- मैं भगवान धन्वंतरि को नमस्कार करता हूँ।

यदि आप स्वास्थ्य, दीर्घायु और रोगमुक्त जीवन की कामना रखते हैं, तो Dhanvantri Mantra In Sanskrit आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा ला सकता है। यदि आप धन्वंतरि यंत्र की स्थापना विधि, धन्वंतरि मंत्र की जाप विधि, या फिर धन्वंतरि स्लोकम इन तमिल जैसे विषयों पर जानकारी चाहते हैं, तो हमारे संबंधित लेख ज़रूर पढ़ें , जिससे आपकी साधना और भी प्रभावशाली हो सके।

जाप करने सरल और प्रभावी की विधि

यदि आप भगवान धन्वंतरि की कृपा पाना चाहते हैं और आरोग्य की दिशा में पहला कदम लेना चाहते हैं, तो धन्वंतरि मंत्र इन संस्कृत का जप सही उच्चारण और सही विधि से जाप अवश्य करें। नीचे पाठ करने की सरल विधि दी गई है-

  1. समय: धन्वंतरि मंत्र का जाप प्रातः ब्रह्ममुहूर्त, या संध्याकाल में किया जाए तो अधिक फलदायक होता है। विशेष रूप से गुरुवार, धनतेरस, और धन्वंतरि जयंती के दिन जाप करने से दोगुना लाभ मिलता है।
  2. आसन और स्थान: जप के लिए शांत और पवित्र स्थान का चयन करें और साथ ही स्नान के बाद पीले या सफेद वस्त्र धारण करें और कुशासन पर बैठकर पूजा करें।
  3. ध्यान: गंगाजल से हाथ-मुँह धोकर, दीपक और अगरबत्ती जलाएं और भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या फोटो के सामने बैठकर मन को शांत करके ध्यान लगाएं।
  4. जाप संख्या: अब ध्यान के साथ Dhanvantri Mantra In Sanskrit Madhva का जाप करना शुरू करें। प्रारंभ में 11, 21 या 108 बार जाप करना शुभ होता है।
  5. मानसिक भाव: जपते समय यह भावना रखें कि रोग दूर हो रहे हैं, शरीर और मन शुद्ध हो रहे हैं, और आप भगवान धन्वंतरि के संरक्षण में हैं।

धन्वंतरि मंत्र का नियमित और विधिपूर्वक जाप शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करता है।

FAQ

संस्कृत में धन्वंतरि मंत्र ही जपना जरूरी है?

शुद्ध संस्कृत में मंत्र का उच्चारण सबसे प्रभावशाली होता है, परन्तु भाव और श्रद्धा प्रधान है, इसका भाषा से कोई सम्बन्ध नहीं है।

इस मंत्र को कौन-कौन जप सकता है?

क्या धन्वंतरि मंत्र आयुर्वेद उपचार में भी सहायक होता है?

क्या इस मंत्र का जाप बिना यंत्र के भी किया जा सकता है?

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