मैया के दर दौड़ आया – भजन लिरिक्स

मैया के दर दौड़ आया भजन एक भक्त की गहरी श्रद्धा और मां के चरणों में शीश झुकाने की भावना को दर्शाता है। यह भजन बताता है कि जब जीवन में कोई रास्ता नहीं दिखता, जब सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं, तब मां का दर ही एकमात्र सहारा होता है। भक्त मां के द्वार पर आकर अपनी सारी चिंताओं को छोड़ देता है और बस उनकी कृपा की छाया में सुकून पाता है। आइए, इस भक्तिमय भजन के माध्यम से मां की महिमा का गुणगान करें।

Maiya Ke Dar Daun Aaya

धन माया महल अटारी,
सखा बंधु सुत नारी,
सब छोड़ आया,
मैया के दर दौड़ आया,
सब छोड़ आया,
मैया के दर दौड़ आया।1।

माँ को शेरावाली कहते है,
कोई माता काली कहते है,
मां के द्वारे ज्योत अखंड जले,
सब ज्योतावाली कहते है,
मैया तेरा नाम जपना,
भक्तों में नाम अपना,
मैं जोड़ आया,
मैया के दर दौड़ आया।2।

हर घर घर में हर मंदिर में,
मेला लगता नव रातों में,
मां के नौ दिन मैंने उपवास करे,
मैं रोज गया जगरातों में,
मैया बैठी ओढ़े चुनरी,
मेरी रातें कब गुजरी,
कब भोर आया,
मैया के दर दौड़ आया।3।

सुर नर मुनि मां को ध्याते है,
ब्रम्हा विष्णु गुण गाते है,
शिव शंकर मां का ध्यान करे,
यह वेद ‘पदम’ बतलाते है,
माँ की चोखट मेरी मंजिल,
लाया था एक नरियल,
वहीं फोड़ आया,
मैया के दर दौड़ आया।4।

धन माया महल अटारी,
सखा बंधु सुत नारी,
सब छोड़ आया,
मैया के दर दौड़ आया,
सब छोड़ आया,
मैया के दर दौड़ आया।5।

मां का दर ही वह स्थान है जहां हर दुख का अंत होता है और हर मनोकामना पूरी होती है। जो भी भक्त उनके चरणों में श्रद्धा से समर्पण करता है, मां उसे कभी खाली हाथ नहीं लौटातीं। यदि यह भजन आपको भक्तिरस में डुबो रहा है, तो आपको [“थोड़ी दया तो मेरी झोली में डाल दे माँ”](दूसरे भजन का लिंक डालें) भजन भी अवश्य सुनना चाहिए, जिसमें मां से दया और कृपा की विनती की गई है। आइए, मां की भक्ति में लीन होकर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को शुभ और मंगलमय बनाएं। जय माता दी! 🚩

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