पर्व पर्युषण द्वार पे आये अंतर मन से वधाओं रे

पर्युषण पर्व आत्मशुद्धि, अहिंसा और क्षमा का संदेश लेकर आता है। पर्व पर्युषण द्वार पे आए, अंतर मन से वधाओं रे भजन इसी भाव को प्रकट करता है और हमें यह याद दिलाता है कि यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि आत्मा के उत्थान का अवसर है। जब हम अपने मन, वचन और काया से शुद्ध होकर इस पर्व का स्वागत करते हैं, तो हमें आत्मिक शांति और धर्म का वास्तविक अनुभव होता है। आइए, इस भजन के माध्यम से पर्युषण पर्व की महिमा का गुणगान करें और अपने अंतरमन को शुद्ध करें।

Parv Payushan Dwar Pe Aaye Antar Man Se Vadhao Re

पर्व पर्युषण द्वार पे आये,
अंतर मन से वधाओं रे,
श्रद्धा भक्ति प्रेम सहित,
ये पर्व पर्युषण मनाओ रे,
पर्व की महिमा गाओ रे।1।

आठ दिनों का पर्व सुहाना,
पर्युषण कहलाता है,
जिओ ओर जीने दो का,
सिद्धांत हमे सिखलाता है,
प्रभु वीर की राह पे चलकर,
जीवन धन्य बनाओ रे,
श्रद्धा भक्ति प्रेम सहित,
ये पर्व पर्युषण मनाओ रे,
पर्व की महिमा गाओ रे।2।

पूजा भक्ति त्याग तप का,
यह त्यौहार निराला है,
कहती है ये जिन वाणी ये,
कर्म खपाने वाला है,
दिल मे बसाकर महापर्व को,
मोक्ष पद को पाओ रे,
श्रद्धा भक्ति प्रेम सहित,
ये पर्व पर्युषण मनाओ रे,
पर्व की महिमा गाओ रे।3।

संवत्सरी प्रतिक्रमण करके,
खमत ख़ामणा करते है,
क्षमावान बनकर के जग में,
मैत्री भाव से रहते है,
‘दिलबर’ हम सन्तान वीर की,
मिलकर पर्व मनाओ रे,
श्रद्धा भक्ति प्रेम सहित,
ये पर्व पर्युषण मनाओ रे,
पर्व की महिमा गाओ रे।4।

पर्व पर्युषण द्वार पे आये,
अंतर मन से वधाओं रे,
श्रद्धा भक्ति प्रेम सहित,
ये पर्व पर्युषण मनाओ रे,
पर्व की महिमा गाओ रे।5।

जैन जी के भजन हमें धर्म और आत्मचिंतन की गहराई तक ले जाते हैं। पर्व पर्युषण द्वार पे आए, अंतर मन से वधाओं रे भजन हमें सिखाता है कि यह पर्व केवल बाहरी आडंबर नहीं, बल्कि आत्मा की सच्ची आराधना का समय है। यदि यह भजन आपको प्रेरणादायक लगे, तो “क्षमावाणी महापर्व की महिमा , पर्युषण का सच्चा अर्थ , संयम और तपस्या का महत्व” और “अहिंसा ही सच्चा धर्म” जैसे अन्य भजन भी पढ़ें और पर्युषण पर्व की वास्तविक भावना को अपनाएं। 🙏

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