नंदनी खुदनी के नंदन करते हम तुमको वंदन भजन भगवान पार्श्वनाथ की महिमा और उनके प्रति भक्तों की श्रद्धा को व्यक्त करता है। यह भजन भगवान पार्श्वनाथ के अद्भुत आशीर्वाद और उनके दिव्य रूप की वंदना करता है। भक्त इस भजन के माध्यम से भगवान पार्श्वनाथ से आशीर्वाद की कामना करता है, और अपने जीवन में शांति, समृद्धि और आंतरिक शुद्धता की प्राप्ति के लिए उनके चरणों में समर्पित होता है। आइए, इस भजन के माध्यम से हम भगवान पार्श्वनाथ की पूजा और वंदना करें।
Nandani Khudani Ke Nandan Karte Hum Tumko Vandan
नंदनी खुदनी के नंदन,
करते हम तुमको वंदन,
पचासवां दीक्षा दिवस है,
हर्षित है गुरु भक्तो का मन,
जय गुरुवरम्म, जय गुरुवरम्म,
जय सुरिवरमम्म, जय सुरिवरमम्म,
जिनशासन की शान है,
तप चारित्र महान है,
श्री जिन मनोज्ञ सुरि गुरुराज तो,
हम भक्तो के है भगवन,
जय गुरुवरम्म, जय गुरुवरम्म,
जय सुरिवरमम्म, जय सुरिवरमम्म।1।
हो खरतर गच्छ के दिव्य सितारे,
स्वभाव है जिनका सरल,
वैराग्य के पथ पर बढ़ते जा रहै,
प्रण है जिनका अटल,
श्री कांति सूरि जी के शिष्य प्यारे,
श्री प्रताप सागर के राज दुलारे,
संघ समाज के हित चिंतक बन,
करते है चिंतन हरदम,
जय गुरुवरम्म, जय गुरुवरम्म,
जय सुरिवरमम्म, जय सुरिवरमम्म।2।
ब्रहमसर तीर्थ के है उधारक,
नागेंद्र तीर्थ के स्वप्न द्रस्ठा ।
कई मंदिर जीर्णोद्धार कराये,
कराई प्रभु की प्रतिस्ठा,
संघ एकता का बिगुल बजाया,
कई संघो का मतभेद मिटाया,
ऐसे उपकारी गुरुवर को,
आओ करे वन्दन,
जय गुरुवरम्म, जय गुरुवरम्म,
जय सुरिवरमम्म, जय सुरिवरमम्म।3।
हो पचासवें दीक्षा दिवस की,
बधाई बारम्बार,
त्यागी वैरागी गुरुवर,
जिन शासन सिणगार,
श्री जिन मनोज्ञ सूरि,
गुरुराज हमारी बधाई,
करो स्वीकार,
लख लख देता बधाई ‘दिलबर’,
गुरु भक्त परिवार,
जय गुरुवरम्म, जय गुरुवरम्म,
जय सुरिवरमम्म, जय सुरिवरमम्म।4।
नंदनी खुदनी के नंदन,
करते हम तुमको वंदन,
पचासवां दीक्षा दिवस है,
हर्षित है गुरु भक्तो का मन,
जय गुरुवरम्म, जय गुरुवरम्म,
जय सुरिवरमम्म, जय सुरिवरमम्म,
जिनशासन की शान है,
तप चारित्र महान है,
श्री जिन मनोज्ञ सुरि गुरुराज तो,
हम भक्तो के है भगवन,
जय गुरुवरम्म, जय गुरुवरम्म,
जय सुरिवरमम्म, जय सुरिवरमम्म।5।
भगवान पार्श्वनाथ के दर्शन और उनकी वंदना से भक्तों को आंतरिक शांति, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है। नंदनी खुदनी के नंदन करते हम तुमको वंदन जैसे भजन हमें भगवान पार्श्वनाथ के दर्शन की महिमा और उनके आशीर्वाद का अहसास कराते हैं। इस भक्ति को और गहरा करने के लिए भैरव दादा तेरे सिवा कहो कौन हमारा है, जीरावला पारस जय जय पारस भजन, सच्चे मन से नाकोड़ा भक्त जो भी जायेगा, फागुन का महीना चलो मालपुरा दरबार जैसे अन्य जैन भजनों को पढ़ें और अपनी भक्ति को सशक्त करें। 🙏
मैं धर्म पाल जैन, जैन धर्म का एक निष्ठावान अनुयायी और भगवान महावीर की शिक्षाओं का प्रचारक हूँ। मेरा लक्ष्य है कि लोग भगवान महावीर के संदेशों को अपनाकर अपने जीवन में शांति, संयम और करुणा का संचार करें और अपने जीवन को सदाचार और आध्यात्मिक शांति से समृद्ध कर सके। मैं अपने लेखों के माध्यम से भगवान महावीर के उपदेश, भक्तामर स्तोत्र, जैन धर्म के सिद्धांत और धार्मिक अनुष्ठान को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर जैन अनुयायी इनका लाभ उठा सके।View Profile ॐ ह्रीं अर्हं नमः 🙏