मन वच और काया से क्षमा याचना कर लेना

क्षमा ही वह महान गुण है, जो हमें अहंकार से मुक्त कर सच्चे आत्मज्ञान की ओर ले जाता है। मन वच और काया से क्षमा याचना कर लेना भजन में क्षमा की महिमा और उसके आत्मशुद्धि में महत्व को दर्शाया गया है। जैन धर्म में क्षमायाचना को आत्मिक उन्नति का एक महत्वपूर्ण साधन माना गया है, जिससे हम अपने कर्मों को हल्का कर सकते हैं। जब हम इस भजन का पठन करते हैं, तो हमें विनम्रता, शुद्धता और दूसरों को क्षमा करने की प्रेरणा मिलती है। आइए, इस भजन के भावों को आत्मसात करें और क्षमा धर्म को अपनाएं।

Man Vach Aur Kaya Se Chhama Yachana Kar Lena

मन वच और काया से,
क्षमा याचना कर लेना,
बेर भाव जो मन में हो,
उसे दिल मिटा देना।1।

संवत्सरी का शुभदिन,
नई रोशनी लाया है,
वेर भाव की गांठो को,
सुलझाने आया है,
ये समय बड़ा अनमोल,
ना व्यर्थ गंवा देना,
बेर भाव जो मन में हो,
उसे दिल मिटा देना।2।

वाणी में संयम हो,
शब्दों में होवे मिठास,
कटु शब्द न आवे कभी,
स्वप्न में भी हमारे पास,
यही प्रार्थना है भगवन,
मेरी विनती सुन लेना,
बेर भाव जो मन में हो,
उसे दिल मिटा देना।3।

जाने अनजाने में,
दिल किसी का दुखाया हो,
हो चाहे वो अपना,
या कोई पराया हो,
क्षमा वान बनकर के,
ख़मत ख़ामणा कर लेना,
बेर भाव जो मन में हो,
उसे दिल मिटा देना।4।

मन वच और काया से,
क्षमा याचना कर लेना,
बेर भाव जो मन में हो,
उसे दिल मिटा देना,
शुद्ध भावो से दिलबर,
यह पर्व मना लेना।5।

जैन जी के भजन हमें आत्मिक शुद्धता और धर्म के गहरे अर्थों से परिचित कराते हैं। मन वच और काया से क्षमा याचना कर लेना भजन हमें अहंकार त्यागकर सच्चे हृदय से क्षमा मांगने और देने की प्रेरणा देता है। यदि यह भजन आपको आत्मिक रूप से प्रेरित करे, तो “क्षमावाणी महापर्व की महिमा , अहिंसा परमो धर्म , जिनवाणी का सच्चा मार्ग” और “शुद्ध आत्मा की ओर अग्रसर” जैसे अन्य भजन भी पढ़ें और क्षमा धर्म को अपनाकर जीवन को सार्थक बनाएं। 🙏

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