जन्मे रे जन्मे रे वीर प्रभु जन्मे – जैन भजन लिरिक्स

जन्मे रे जन्मे रे वीर प्रभु जन्मे भजन जैन धर्म के महापुरुषों और उनके अद्वितीय योगदान की महिमा को प्रकट करता है। यह भजन उन वीरों और तीर्थंकरों के जन्म की ओर संकेत करता है, जिन्होंने धरती पर आकर धर्म की सच्चाई को फैलाया। उनके जन्म के साथ ही ज्ञान, आस्था और भक्ति की नई शुरुआत होती है। यह भजन हमें अपने आराध्य देवता की पूजा और उनके मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। आइए, इस भजन के माध्यम से हम जैन धर्म के वीर प्रभुओं की आराधना करें और उनके आदर्शों को जीवन में अपनाएं।

Janme Re Janme Re Veer Prabhu Janme

जन्मे रे जन्मे रे वीर प्रभु जन्मे,
क्षत्रिय कुल में आज रे,
हो जन्म लियो जिनराज रे,
आई है सखिजे गूंजे शहनाई,
पुष्प बरसे है नभ से आज रे,
हो जन्म लियो जिनराज रे।1।

चैत्र सुदी तेरस की,
मंगल घड़ी आई,
राजा सिद्धार्थ के,
आँगन खुशिया छाई,
त्रिशला का नंद आया,
मन मे आनंद छाया,
पुष्प बरसे है नभ से आज रे,
जन्म लियो जिनराज रे।2।

दुख की बदरी,
धीरे धीरे छटने लगी,
सुख की अनुभूति,
सबको होने लगी,
हर्षित है जन जन,
पुलकित हुआ ये मन,
पुष्प बरसे है नभ से आज रे,
जन्म लियो जिनराज रे।3।

करुणा के स्वामी,
प्रभु वीर पधारे,
सारे जहाँ में,
गूँजे है जयकारे,
यही भगवान है,
‘दिलबर’ पहचान ले,
पुष्प बरसे है नभ से आज रे,
जन्म लियो जिनराज रे।4।

जन्मे रे जन्मे रे वीर प्रभु जन्मे,
क्षत्रिय कुल में आज रे,
हो जन्म लियो जिनराज रे,
आई है सखियाँ देने बधाई,
ढोल नगाड़े बाजे गूंजे शहनाई,
पुष्प बरसे है नभ से आज रे,
हो जन्म लियो जिनराज रे।5।

“जन्मे रे जन्मे रे वीर प्रभु जन्मे” जैसे भजन हमें जैन धर्म के महानतम पुरुषों के योगदान और उनकी महिमा का अहसास कराते हैं। इन भजनों के माध्यम से हम अपने जीवन में शांति, सत्य और आस्था की शक्ति प्राप्त कर सकते हैं। इस भक्ति को और गहरा करने के लिए जिन शासन की आराधना, नवकार मंत्र की महिमा, धार्मिक उपदेशों की शक्ति, और जैन भजन की आराधना जैसे अन्य जैन भजनों को पढ़ें और अपनी भक्ति को सशक्त करें। 🙏

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