भक्तामर स्तोत्र 48 दिव्य और शक्तिशाली श्लोकों का संग्रह है, जिसे आचार्य मानतुंग ने आत्मबल और तपस्या से रचा था। Bhaktamar Stotra 48 श्लोक का नियमित पाठ जीवन में सुख समृद्धि और वैभव लेकर आता है। कई श्रद्धालु मानते हैं कि इन श्लोकों में हर समस्या का समाधान छुपा है, बस विश्वास और भावना की ज़रूरत है। यहां हमने आपके लिए bhaktamar stotra 48 lyrics को उपलब्ध कराया है-
Bhaktamar Stotra 48
॥ जिन-स्तुति-फल मंत्र ॥
स्तोत्र-स्रजं तव जिनेन्द्र गुणैर्निबद्धाम्
भक्त्या मया विविध-वर्ण-विचित्र-पुष्पाम्॥
धत्ते जनो य इह कण्ठ-गता-मजस्रं
तं मानतुंग-मवशा-समुपैति लक्ष्मी: ॥४८॥
अर्थ- हे जिनेन्द्र! मैंने आपके गुणों से युक्त इस स्तोत्र-माला को भक्ति से रचकर, सुंदर और रंग-बिरंगे पुष्पों से सजाया है। जो भी व्यक्ति इसे सदा अपने कंठ (गले/हृदय) से लगाए रखता है, उसे मां लक्ष्मी स्वयं आकर्षित होकर आश्रय देती हैं, वह सुख, समृद्धि और वैभव प्राप्त करता है।
भक्तामर स्तोत्र 48 वां श्लोक हमें यह विश्वास दिलाता है कि सच्ची भक्ति से रचित शब्दों में अपार शक्ति होती है। जो इसे श्रद्धा से अपने हृदय में धारण करता है, उसके जीवन में समृद्धि, शांति और लक्ष्मी का वास स्वतः होने लगता है। इसके अलावा आप रोगमुक्त जीवन के लिए Bhaktamar Stotra 45 का पाठ या फिर सम्पूर्ण भक्तामर स्तोत्र का पाठ कर सकते है।
इस स्तोत्र का जाप करने की विधि
- शुद्धि: सुबह स्नान के बाद साफ सुथरे कपड़ें पहन लें।
- स्थान: जहां प्रतिदिन पाठ कर सकें, ऐसा एक विशेष स्थान निर्धारित करें साथ पाठ करने का स्थान साफ और शांतिपूर्ण भी होना चाहिए।
- समय: जाप करने के लिए प्रातःकाल या संध्या का समय सर्वोत्तम माना गया है।
- दीप और धूप: पाठ आरंभ करने से पहले दीपक और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाएं।
- पाठ: अब श्रद्धा के साथ Bhaktamar Stotra 48 In Hindi श्लोक का जाप करें। उच्चारण स्पष्ट हो और भावनाएं सच्ची हों।
- ध्यान और प्रार्थना: श्लोकों का पाठ समाप्त होने के बाद कुछ देर आंखें बंद कर प्रभु का ध्यान करें और उन्हें धन्यवाद दें।
अगर आपने Bhaktamar Stotra 48 को सच्चे मन से पढ़ा या जपा है, तो आपने सिर्फ एक श्लोक नहीं, बल्कि एक जीवन बदल देने वाली ऊर्जा को आमंत्रित किया है। यही श्लोक विश्वास को फिर से जीवित कर सकता है।
FAQ
क्या 48वें श्लोक का जाप धन प्राप्ति में मदद करता है?
हाँ, मान्यता है कि इसका नियमित जाप समृद्धि और आर्थिक स्थिरता की प्राप्ति में सहायक होता है।
क्या इसे अकेले पढ़ सकते हैं या पूरे स्तोत्र के साथ ही पढ़ना चाहिए?
इसे अकेले भी पढ़ा जा सकता है, लेकिन पूरे भक्तामर स्तोत्र के साथ पढ़ना अधिक फलदायक माना जाता है।
क्या 48वां श्लोक पढ़ने से लक्ष्मी की कृपा मिलती है?
जी हाँ, इस श्लोक में लक्ष्मी स्वयं साधक की ओर आकर्षित होने की बात कही गई है।
क्या इस श्लोक को सुनने से भी लाभ होता है?
हाँ, श्रद्धा से सुनना भी मन और वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
मैं धर्म पाल जैन, जैन धर्म का एक निष्ठावान अनुयायी और भगवान महावीर की शिक्षाओं का प्रचारक हूँ। मेरा लक्ष्य है कि लोग भगवान महावीर के संदेशों को अपनाकर अपने जीवन में शांति, संयम और करुणा का संचार करें और अपने जीवन को सदाचार और आध्यात्मिक शांति से समृद्ध कर सके। मैं अपने लेखों के माध्यम से भगवान महावीर के उपदेश, भक्तामर स्तोत्र, जैन धर्म के सिद्धांत और धार्मिक अनुष्ठान को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर जैन अनुयायी इनका लाभ उठा सके।View Profile ॐ ह्रीं अर्हं नमः 🙏