भक्तामर स्तोत्र 45: श्लोक 45 का अर्थ और जाप विधि

भक्तामर स्तोत्र 45 यानी इस स्तोत्र का पैंतालिसवां श्लोक, एक ऐसा चमत्कारी मंत्र है जो नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर स्वस्थ लाभ और सुरक्षा प्रदान करता है। इस श्लोक को पढ़ने से सभी प्रकार का रोग दूर होता है और शारीरिक शक्ति बढ़ती है। जो लोग Bhaktamar Stotra 45 वे श्लोक का असर अनुभव करना चाहते हैं, उनके लिए यह आर्टिकल बहुत उपयोगी सिद्ध होगा-

Bhaktamar Stotra 45

॥ रोग-उन्मूलन मंत्र ॥

उद्भूत-भीषण-जलोदर-भार-भुग्ना:
शोच्यां दशा-मुपगताश्-च्युत-जीविताशा:॥
त्वत्पाद-पंकज-रजो-मृत-दिग्ध-देहा:
मत्र्या भवन्ति मकर-ध्वज-तुल्यरूपा:॥४५॥

Bhaktamar Stotra 45॥ रोग-उन्मूलन मंत्र ॥उद्भूत-भीषण-जलोदर-भार-भुग्ना:
शोच्यां दशा-मुपगताश्-च्युत-जीविताशा:॥
त्वत्पाद-पंकज-रजो-मृत-दिग्ध-देहा:
मत्र्या भवन्ति मकर-ध्वज-तुल्यरूपा:॥४५॥

हिंदी अर्थ: जो लोग भयंकर जलोदर (पेट की गंभीर बीमारी) से पीड़ित होकर जीवन की आशा भी खो चुके होते हैं और दयनीय दशा में पहुँच जाते हैं — जब उनके शरीर आपके चरणों की धूल से स्पर्शित होते हैं (या उस धूल से अभिसिक्त होते हैं), तो वे फिर से स्वस्थ, सुंदर और कामदेव के समान रूपवान हो जाते हैं।

Bhaktamar Stotra 45 श्लोक अपने भीतर अपार शक्ति समेटे हुए है। इसका नियमित जाप मानसिक संतुलन, भय से मुक्ति और आत्मिक शुद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी है। यदि आप इस स्त्रोत्र की पूरी श्रृंखला को पढ़ना चाहते हैं, तो भक्तामर स्तोत्र ज़रूर पढ़ें जिसमे आपको Bhaktamar Stotra 48 श्लोक के साथ- साथ सभी श्लोक एक स्थान पर आसानी से मिल जायेंगे।

जाप करने की सरल और प्रभावी विधि

Bhaktamar 45 Stotra का जाप सही विधि और श्रद्धा से किया जाए तो यह मानसिक शांति, रोग निवारण और आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है। इसकी विधि निम्नलिखित प्रकार से है-

  1. शुद्ध मन: सबसे पहले सुबह स्नान करके साफ कपड़ें पहन ले। ये शरीर और मन दोनों की शुद्धता के लिए आवश्यक होता है।
  2. स्थान: इसके बाद जाप के लिए किसी शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें। आप अपने घर के पूजा स्थान पर भी पाठ कर सकते है।
  3. मूर्ति या फोटो: प्रयास करे की आप जिस स्थान पर बैठे है वहां आदिनाथ भगवान की एक मूर्ति या होतो जरूर हो ताकि आप उनकी ओर ध्यान केंद्रित करते हुए इस श्लोक का जाप कर सकें।
  4. शुद्ध उच्चारण: अब पूरी श्रद्धा के साथ भक्तामर स्तोत्र 45 श्लोक को सही उच्चारण के साथ बोलें, ताकि उसकी ऊर्जा जागृत हो सके और साथ ही उसके अर्थ को भी समझने का प्रयास करें।
  5. भावपूर्ण पाठ: हर बार जाप करते समय प्रभु की महिमा का अनुभव करें। सिर्फ शब्द नहीं, भावना से बोलें।
  6. पाठ संख्या: इस श्लोक का प्रतिदिन 9 या 11 बार जाप करना अत्यंत शुभ माना गया है। नियमित रूप से इसका पाठ करें ताकि इसका प्रभाव शीघ्र प्राप्त हो सकें।

नियमित और विधिपूर्वक Bhaktamar Stotra 45 Shlok का जाप करने से चमत्कारी लाभ मिलते हैं। सच्चे मन से किया गया जाप साधक के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।

FAQ

इस श्लोक का कोई विशेष लाभ होता है?

हाँ, यह श्लोक आंतरिक एकाग्रता और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

क्या इसे अकेले पढ़ सकते हैं या गुरु की आवश्यकता होती है?

क्या इसे विशेष संख्या में पढ़ना जरूरी है?

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