नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। माँ चंद्रघंटा का स्वरूप अति मनोहर, दिव्य और तेजस्वी है। इसलिए माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि माता के पूजा में विशेष महत्व रखती है। Maa Chandraghanta Ki Puja Vidhi न केवल आध्यात्मिक शुद्धि प्रदान करती है, बल्कि साधक के जीवन से सभी प्रकार के कष्टों को भी दूर करती है। माता की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तों को सच्चे मन और सही विधि से उनकी आराधना करनी चाहिए।
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि को विधिपूर्वक करने से साधक को जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और वह सुख, शांति और समृद्धि की ओर अग्रसर होता है। यदि आप माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि को सही ढंग से करना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल को पूरा अवश्य पढ़ें-
मां चंद्रघंटा का स्वरूप और महत्व
मां चंद्रघंटा, देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित होता है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनका स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और दिव्य होता है। ये दस भुजाओं वाली देवी हैं, जिनके प्रत्येक हाथ में अस्त्र-शस्त्र हैं। माता सिंह पर सवार रहती हैं और उनकी कृपा से भक्तों को भय, रोग और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा का शुभ मुहूर्त
माँ चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है, और इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजन करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। माँ चंद्रघंटा की पूजा का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भिन्न हो सकता है, इसलिए सही मुहूर्त जानने के लिए तिथि, नक्षत्र और ग्रह स्थिति का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
शुभ मुहूर्त के प्रमुख तत्व
- ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 4:00 से 5:30 बजे के बीच पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:45 से 12:45 बजे के बीच इस समय पूजा करने से विशेष लाभ होता है।
- सर्वार्थ सिद्धि योग: यदि नवरात्रि के तीसरे दिन यह योग बनता है, तो पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
- विशेष चंद्र ग्रह स्थिति: माँ चंद्रघंटा के मस्तक पर चंद्र विराजमान हैं, इसलिए चंद्रमा की शुभ स्थिति में पूजा करना फलदायी होता है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
माँ चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए निम्नलिखित सामग्रियों की आवश्यकता होती है:
- माँ चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र
- अक्षत (चावल)
- कुमकुम और हल्दी
- फूल (विशेषकर लाल रंग के)
- गंगा जल
- शुद्ध घी का दीपक
- धूप और अगरबत्ती
- नारियल
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर)
- फल और मिठाई
- सिंदूर और सुहाग सामग्री (विशेष रूप से महिलाओं के लिए)
- माँ चंद्रघंटा का भोग (विशेषकर दूध से बनी खीर)
Maa Chandraghanta Ki Puja Vidhi
अधिकांशतः माता की पूजा करने की विधि सभी जगह एक समान नहीं होती है, इसलिए आप अपनी पारम्परिक विधि के अनुसार भी पूजा कर सकते है। लेकिन सही विधि से पूजा करना बहुत आवश्यक होता है, इस बात को ध्यान में रखते हुए हम पूजा करने की सही विधि को यहां दिया हुआ है जो निम्लिखित प्रकार से है-
- स्नान एवं संकल्प: सबसे पहले प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात माँ चंद्रघंटा की पूजा करने का संकल्प लें। हाथ में जल और फूल लेकर यह संकल्प बोलें- हे माँ चंद्रघंटा, मैं आज आपकी पूजा विधिपूर्वक कर रहा/रही हूँ, कृपया मुझ पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें।
- स्थापना: माँ की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें। गंगा जल छिड़ककर स्थान को शुद्ध करें। फिर माँ का ध्यान करें और निम्न मंत्र का जाप करें- ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः।
- आह्वाहन: सर्वप्रथम गणेश जी का स्मरण करें और मां चंद्रघंटा का आह्वान करें। माता को अक्षत, चंदन, रोली, लाल फूल, और धूप-दीप अर्पित करें।
- दीप प्रज्वलन: अब घी का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती अर्पित करें। माँ को पुष्प अर्पित करें और उन्हें अक्षत, कुमकुम व हल्दी चढ़ाएं।
- मंत्र जाप: माँ चंद्रघंटा के मंत्र का जाप करें- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे। ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः। इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
- पाठ: माँ की पूजा में दुर्गा सप्तशती पाठ, पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा, मंत्र जाप, घंटा ध्वनि और आरती करना बहुत शुभ माना जाता है। आप चाहें तो दुर्गा चालीसा का भी पाठ कर सकते है।
- भोग अर्पण: शास्त्रों और पुराणों में उल्लेख मिलता है कि माँ चंद्रघंटा को विशेष रूप से दूध और उससे बनी चीजें अत्यंत प्रिय हैं। इसलिए माँ को दूध, मखाने की खीर, फल, और मिठाई अर्पित करें।
- आरती: माँ चंद्रघंटा की आरती करें। आरती के समय घंटी बजाएं और भक्तिपूर्वक माँ का गुणगान करें। आरती समाप्त होने के बाद सभी भक्तों में प्रसाद वितरित करें।
- समापन: पूजा समाप्त होने के बाद कुछ देर माता के मूर्ति के सामने बैठकर ध्यान करें और माता से अपनी गलतियों को क्षमा करने की प्रार्थना करें।
माँ चंद्रघंटा की पूजा अत्यंत फलदायी और शुभ मानी जाती है। जो भी भक्त श्रद्धा और भक्ति से माँ की पूजा करता है, उसे माँ की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। नवरात्रि के तीसरे दिन इस विधि से पूजा करें और माँ का आशीर्वाद प्राप्त करें।
FAQ
क्या माँ चंद्रघंटा की पूजा रात्रि में की जा सकती है?
हाँ, यदि कोई विशेष कारण हो तो निशीथ काल में भी माँ की पूजा की जा सकती है, लेकिन प्रातःकालीन पूजा सबसे उत्तम मानी जाती है।
क्या पूजा में कोई विशेष रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए?
हाँ, माँ की पूजा के समय लाल या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।
क्या माँ चंद्रघंटा की पूजा के समय घंटा बजाना अनिवार्य है?
हाँ, माँ के पूजन में घंटा बजाने का विशेष महत्व है, क्योंकि यह नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा में कौन से फूल चढ़ाने चाहिए?
माता को लाल रंग के फूल, विशेष रूप से गुलाब और कमल अर्पित करना शुभ होता है।
मैं शिवप्रिया पंडित, माँ शक्ति का एक अनन्य भक्त और विंध्येश्वरी देवी, शैलपुत्री माता और चिंतापूर्णी माता की कृपा से प्रेरित एक आध्यात्मिक साधक हूँ। मेरा उद्देश्य माँ के भक्तों को उनके दिव्य स्वरूप, उपासना विधि और कृपा के महत्व से अवगत कराना है, ताकि वे अपनी श्रद्धा और भक्ति को और अधिक दृढ़ बना सकें। मेरे लेखों में इन देवी शक्तियों के स्तोत्र, चालीसा, आरती, मंत्र, कथा और पूजन विधियाँ शामिल होती हैं, ताकि हर भक्त माँ की आराधना सही विधि से कर सके और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भर सके। जय माता दी! View Profile 🙏🔱