लक्ष्मी अष्टोत्तरम एक पावन स्तोत्र है जिसमें माँ लक्ष्मी के 108 दिव्य नामों का उल्लेख है। ये पाठ श्रद्धा से करने पर जीवन में सौभाग्य, धन-धान्य और शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। Lakshmi Ashtothram का पाठ करने से मानसिक शुद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है। इसे लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली के नाम से भी जाना जाता है इसका लिरिक्स कुछ इस प्रकार से है-
Lakshmi Ashtothram
लक्ष्मी अष्टोत्तरम में माता के 108 नाम और उनके अर्थ इस प्रकार से है-
- ॐ प्रकृत्यै नमः – प्रकृति स्वरूपिणी को नमन।
- ॐ विकृत्यै नमः – विविध रूपों वाली देवी को नमन।
- ॐ विद्यायै नमः – ज्ञानस्वरूपा को नमन।
- ॐ सर्वभूतहितप्रदायै नमः – सभी जीवों का हित करने वाली को नमन।
- ॐ श्रद्धायै नमः – श्रद्धा स्वरूपा को नमन।
- ॐ विभूत्यै नमः – ऐश्वर्य देने वाली को नमन।
- ॐ सुरभ्यै नमः – सुगंधित और पवित्र देवी को नमन।
- ॐ परमात्मिकायै नमः – परमात्मा की शक्ति को नमन।
- ॐ वाचे नमः – वाणी की अधिष्ठात्री देवी को नमन।
- ॐ पद्मालयायै नमः – कमल में वास करने वाली देवी को नमन।
- ॐ पद्मायै नमः – स्वयं कमलमयी देवी को नमन।
- ॐ शुच्यै नमः – शुद्ध और पवित्र रूप वाली को नमन।
- ॐ स्वाहायै नमः – स्वाहा स्वरूपिणी को नमन।
- ॐ स्वधायै नमः – स्वधा स्वरूपा को नमन।
- ॐ सुधायै नमः – अमृतस्वरूपा को नमन।
- ॐ धन्यायै नमः – धन-धान्य से सम्पन्न करने वाली को नमन।
- ॐ हिरण्मय्यै नमः – स्वर्णमयी देवी को नमन।
- ॐ लक्ष्म्यै नमः – लक्ष्मी देवी को नमन।
- ॐ नित्यपुष्टायै नमः – सदैव पुष्ट और सम्पन्न करने वाली को नमन।
- ॐ विभावऱ्यै नमः – दिव्य प्रकाश स्वरूपा को नमन।
- ॐ अदित्यै नमः – अदिति स्वरूपा (देवमाता) को नमन।
- ॐ दित्यै नमः – दिति स्वरूपा (दैत्य माता) को नमन।
- ॐ दीप्तायै नमः – ज्योतिर्मयी देवी को नमन।
- ॐ वसुधायै नमः – पृथ्वी स्वरूपा को नमन।
- ॐ वसुधारिण्यै नमः – पृथ्वी को धारण करने वाली को नमन।
- ॐ कमलायै नमः – कमलवासी देवी को नमन।
- ॐ कान्तायै नमः – सुंदरता की अधिष्ठात्री देवी को नमन।
- ॐ कामाक्ष्यै नमः – इच्छाओं को पूर्ण करने वाली देवी को नमन।
- ॐ क्रोधसंभवायै नमः – क्रोध से उत्पन्न शक्ति को नमन।
- ॐ अनुग्रहपरायै नमः – कृपा करने वाली देवी को नमन।
- ॐ ऋद्ध्यै नमः – समृद्धि देने वाली को नमन।
- ॐ अनघायै नमः – निर्दोष, निष्पाप देवी को नमन।
- ॐ हरिवल्लभायै नमः – श्रीहरि की प्रिय देवी को नमन।
- ॐ अशोकायै नमः – दुःख नाशिनी को नमन।
- ॐ अमृतायै नमः – अमरत्व स्वरूपा को नमन।
- ॐ दीप्तायै नमः – प्रकाशमयी देवी को नमन।
- ॐ लोकशोक विनाशिन्यै नमः – संसार के दुःखों का नाश करने वाली को नमन।
- ॐ धर्मनिलयायै नमः – धर्म का निवासस्थान देवी को नमन।
- ॐ करुणायै नमः – दया और करुणा स्वरूपा को नमन।
- ॐ लोकमात्रे नमः – समस्त संसार की जननी को नमन।
- ॐ पद्मप्रियायै नमः – कमल को प्रिय देवी को नमन।
- ॐ पद्महस्तायै नमः – जिनके हाथों में कमल है, उन्हें नमन।
- ॐ पद्माक्ष्यै नमः – कमल-नयन वाली देवी को नमन।
- ॐ पद्मसुन्दर्यै नमः – कमल-सी सुंदर देवी को नमन।
- ॐ पद्मोद्भवायै नमः – कमल से उत्पन्न देवी को नमन।
- ॐ पद्ममुख्यै नमः – जिनका मुख कमल के समान है, उन्हें नमन।
- ॐ पद्मनाभप्रियायै नमः – भगवान विष्णु (पद्मनाभ) की प्रिय को नमन।
- ॐ रमायै नमः – रमणीयता और प्रेम की देवी को नमन।
- ॐ पद्ममालाधरायै नमः – जो कमल की माला धारण करती हैं, उन्हें नमन।
- ॐ देव्यै नमः – परम देवी को नमन।
- ॐ पद्मिन्यै नमः – कमलों में निवास करने वाली को नमन।
- ॐ पद्मगन्धिन्यै नमः – कमल की सुगंध वाली को नमन।
- ॐ पुण्यगन्धायै नमः – पवित्र सुगंध वाली देवी को नमन।
- ॐ सुप्रसन्नायै नमः – सदा प्रसन्न रहने वाली को नमन।
- ॐ प्रसादाभिमुख्यै नमः – कृपा प्रदान करने वाली देवी को नमन।
- ॐ प्रभायै नमः – तेजस्विनी देवी को नमन।
- ॐ चंद्रवदनायै नमः – जिनका मुख चंद्रमा के समान है, उन्हें नमन।
- ॐ चंद्रायै नमः – चंद्रमा स्वरूपा देवी को नमन।
- ॐ चंद्रसहोदर्यै नमः – चंद्रमा की बहन को नमन।
- ॐ चतुर्भुजायै नमः – चार भुजाओं वाली देवी को नमन।
- ॐ चंद्ररूपायै नमः – चंद्रमयी रूप वाली देवी को नमन।
- ॐ इन्दिरायै नमः – इन्दिरा (लक्ष्मी) देवी को नमन।
- ॐ इन्दुशीतलायै नमः – चंद्रमा-सी शीतलता देने वाली को नमन।
- ॐ आह्लादजनन्यै नमः – आनंद देने वाली माता को नमन।
- ॐ पुष्ट्यै नमः – पोषण देने वाली देवी को नमन।
- ॐ शिवायै नमः – कल्याण स्वरूपिणी को नमन।
- ॐ शिवकार्यै नमः – शिव के कार्यों में सहायक देवी को नमन।
- ॐ सत्यै नमः – सत्य स्वरूपिणी देवी को नमन।
- ॐ विमलायै नमः – निर्मल और निष्कलंक देवी को नमन।
- ॐ विश्वजनन्यै नमः – समस्त विश्व की जननी को नमन।
- ॐ तुष्ट्यै नमः – जो तृप्ति देने वाली हैं, उन्हें नमन।
- ॐ दारिद्र्य नाशिन्यै नमः – जो दरिद्रता का नाश करती हैं, उन्हें नमन।
- ॐ प्रीति पुष्करिण्यै नमः – प्रेमरूपी सरोवर समान देवी को नमन।
- ॐ शान्तायै नमः – शांत स्वरूपा देवी को नमन।
- ॐ शुक्लमाल्याम्बरायै नमः – जो सफेद पुष्पमालाओं और वस्त्रों से सुशोभित हैं, उन्हें नमन।
- ॐ श्रियै नमः – समृद्धि स्वरूपिणी लक्ष्मी को नमन।
- ॐ भास्कर्यै नमः – सूर्य के समान तेजस्विनी देवी को नमन।
- ॐ बिल्वनिलयायै नमः – बिल्ववृक्ष में वास करने वाली देवी को नमन।
- ॐ वरारोहायै नमः – सुंदर रूप में स्थित देवी को नमन।
- ॐ यशस्विन्यै नमः – यश प्रदान करने वाली देवी को नमन।
- ॐ वसुंधरायै नमः – वसुंधरा स्वरूपा (धरणी स्वरूपा) देवी को नमन।
- ॐ उदाराङ्गायै नमः – विशाल और उदार शरीरवाली देवी को नमन।
- ॐ हरिण्यै नमः – हरिणी के समान कोमलता वाली देवी को नमन।
- ॐ हेममालिन्यै नमः – स्वर्ण-मालाएं धारण करने वाली देवी को नमन।
- ॐ धनधान्य कार्यै नमः – धन और अन्न प्रदान करने वाली को नमन।
- ॐ सिद्धये नमः – सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी को नमन।
- ॐ स्त्रैण सौम्यायै नमः – स्त्रीसुलभ सौम्यता वाली देवी को नमन।
- ॐ शुभप्रदायै नमः – शुभ फल देने वाली देवी को नमन।
- ॐ नृपवेश्म गतानन्दायै नमः – राजाओं के महलों में आनंद फैलाने वाली देवी को नमन।
- ॐ वरलक्ष्म्यै नमः – वर देने वाली महान लक्ष्मी देवी को नमन।
- ॐ वसु्प्रदायै नमः – जो समृद्धि प्रदान करने वाली हैं, उन्हें नमन।
- ॐ शुभायै नमः – शुभता देने वाली देवी को नमन।
- ॐ हिरण्यप्राकारायै नमः – जिनके चारों ओर सोने का किला है, उन्हें नमन।
- ॐ समुद्र तनयायै नमः – समुद्र की बेटी (देवी लक्ष्मी) को नमन।
- ॐ जयायै नमः – विजय और सफलता देने वाली देवी को नमन।
- ॐ मंगलायै नमः – मंगल और शुभता देने वाली देवी को नमन।
- ॐ देव्यै नमः – परम देवी को नमन।
- ॐ विष्णु वक्षःस्थल स्थितायै नमः – जो विष्णु के छाती में स्थित हैं, उन्हें नमन।
- ॐ विष्णुपत्न्यै नमः – विष्णु की पत्नी (लक्ष्मी) को नमन।
- ॐ प्रसन्नाक्ष्यै नमः – जिनकी आँखें प्रसन्नता से भरी हैं, उन्हें नमन।
- ॐ नारायण समाश्रितायै नमः – जो नारायण के आश्रय में हैं, उन्हें नमन।
- ॐ दारिद्र्य ध्वंसिन्यै नमः – जो दरिद्रता का नाश करती हैं, उन्हें नमन।
- ॐ सर्वोपद्रव वारिण्यै नमः – जो सभी संकटों का नाश करती हैं, उन्हें नमन।
- ॐ नवदुर्गायै नमः – नौ रूपों वाली दुर्गा को नमन।
- ॐ महाकाल्यै नमः -महाकाल के समान महाकालि रूपा देवी को नमन।
- ॐ ब्रह्म विष्णु शिवात्मिकायै नमः – ब्रह्मा, विष्णु और शिव के तत्व में समाहित देवी को नमन।
- ॐ त्रिकाल ज्ञाना संपन्नायै नमः – जो तीनों कालों के ज्ञान में संपन्न हैं, उन्हें नमन।
- ॐ भुवनेश्वर्यै नमः – भुवन की ईश्वर्य (शक्ति) स्वरूपा देवी को नमन।

Lakshmi Ashtothram पाठ सिर्फ एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि माँ लक्ष्मी से जुड़ने का एक आत्मिक माध्यम है। यह हमें उनके हर रूप की स्मृति दिलाता है और जीवन में सच्चे सौंदर्य, सादगी और समृद्धि की ओर प्रेरित करता है। आप चाहें तो इसे Lakshmi Ashtakam या Sri Suktam के साथ जोड़कर अपनी भक्ति को और भी गहरा बना सकते हैं।
FAQ
इसका का पाठ कब करना चाहिए?
इसका पाठ शुक्रवार, दीपावली, धनतेरस, पूर्णिमा, और विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन के दिन करना उत्तम होता है।
क्या इसे पढ़ने से आर्थिक स्थिति सुधरती है?
कई श्रद्धालु मानते हैं कि नियमित पाठ से आर्थिक संकट दूर होते हैं और घर में लक्ष्मी का वास होता है।
क्या इसे घर में किसी भी समय पढ़ा जा सकता है?
हाँ, परंतु सुबह या संध्या काल का समय अधिक शुभ माना जाता है।
अगर संस्कृत समझ में न आए तो क्या करें?
आप इसका हिंदी अनुवाद या ट्रांसलिटरेशन वाला पाठ पढ़ सकते हैं, भाव ही मुख्य होता है।

मैं आचार्य सिद्ध लक्ष्मी, सनातन धर्म की साधिका और देवी भक्त हूँ। मेरा उद्देश्य भक्तों को धनवंतरी, माँ चंद्रघंटा और शीतला माता जैसी दिव्य शक्तियों की कृपा से परिचित कराना है।मैं अपने लेखों के माध्यम से मंत्र, स्तोत्र, आरती, पूजन विधि और धार्मिक रहस्यों को सरल भाषा में प्रस्तुत करती हूँ, ताकि हर श्रद्धालु अपने जीवन में देवी-देवताओं की कृपा को अनुभव कर सके। यदि आप भक्ति, आस्था और आत्मशुद्धि के पथ पर आगे बढ़ना चाहते हैं, तो मेरे लेख आपके लिए एक दिव्य प्रकाश बन सकते हैं। View Profile 🚩 जय माँ 🚩