लक्ष्मी सूक्तम्: सुख, समृद्धि और शांति का वैदिक रहस्य जानें

अगर आप लक्ष्मी सूक्तम् का पाठ करना चाहते हैं ताकि जीवन में मां लक्ष्मी की कृपा और समृद्धि बनी रहे, तो यह लेख आपके लिए है। Lakshmi Suktam एक वैदिक स्तुति है जो श्री सूक्त के नाम से भी जानी जाती है, और इसे देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। यह दिव्य मंत्र इस प्रकार से है-

Lakshmi Suktam

पद्मानने पद्मिनि पद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि॥
विश्वप्रिये विश्वमनोऽनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सन्निधत्स्व॥१॥

पद्मानने पद्मऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे॥
तन्मे भजसिं पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्‌॥२॥

अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने॥
धनं मे जुष तां देवि सर्वांकामांश्च देहि मे॥३॥

पुत्र पौत्र धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम्‌॥
प्रजानां भवसी माता आयुष्मंतं करोतु मे॥४॥

धनमाग्नि धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसु॥
धन मिंद्रो बृहस्पतिर्वरुणां धनमस्तु मे॥५॥

वैनतेय सोमं पिव सोमं पिवतु वृत्रहा॥
सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः॥६॥

न क्रोधो न च मात्सर्यं न लोभो नाशुभामतिः॥
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां सूक्त जापिनाम्‌॥७॥

सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुक गंधमाल्यशोभे॥
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरी प्रसीद मह्यम्‌॥८॥

विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम्‌॥
लक्ष्मीं प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम॥९॥

महादेव्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि॥
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्‌॥१०॥

चंद्रप्रभां लक्ष्मीमेशानीं सूर्याभांलक्ष्मीमेश्वरीम्‌॥
चंद्र सूर्याग्निसंकाशां श्रिय देवीमुपास्महे॥११॥

श्रीर्वर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाभिधाच्छ्रोभमानं महीयते॥
धान्य धनं पशु बहु पुत्रलाभम्‌ सत्संवत्सरं दीर्घमायुः॥१२॥

॥ इति श्रीलक्ष्मी सूक्तम्‌ संपूर्णम्‌ ॥

Lakshmi Suktam

पद्मानने पद्मिनि पद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि॥
विश्वप्रिये विश्वमनोऽनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सन्निधत्स्व॥१॥

पद्मानने पद्मऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे॥
तन्मे भजसिं पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्‌॥२॥

अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने॥
धनं मे जुष तां देवि सर्वांकामांश्च देहि मे॥३॥

पुत्र पौत्र धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम्‌॥
प्रजानां भवसी माता आयुष्मंतं करोतु मे॥४॥

धनमाग्नि धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसु॥
धन मिंद्रो बृहस्पतिर्वरुणां धनमस्तु मे॥५॥

वैनतेय सोमं पिव सोमं पिवतु वृत्रहा॥
सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः॥६॥

न क्रोधो न च मात्सर्यं न लोभो नाशुभामतिः॥
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां सूक्त जापिनाम्‌॥७॥

सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुक गंधमाल्यशोभे॥
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरी प्रसीद मह्यम्‌॥८॥

विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम्‌॥
लक्ष्मीं प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम॥९॥

महादेव्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि॥
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्‌॥१०॥

चंद्रप्रभां लक्ष्मीमेशानीं सूर्याभांलक्ष्मीमेश्वरीम्‌॥
चंद्र सूर्याग्निसंकाशां श्रिय देवीमुपास्महे॥११॥

श्रीर्वर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाभिधाच्छ्रोभमानं महीयते॥
धान्य धनं पशु बहु पुत्रलाभम्‌ सत्संवत्सरं दीर्घमायुः॥१२॥

॥ इति श्रीलक्ष्मी सूक्तम्‌ संपूर्णम्‌ ॥

लक्ष्मी सूक्तम् का नियमित और श्रद्धा-पूर्वक पाठ जीवन को आलोकित कर देता है। यदि आप देवी लक्ष्मी के अन्य मंत्र जैसे Lakshmi Beej Mantra, Lakshmi Gayatri Mantra या Kanakdhara Stotra का भी पाठ करते हैं, तो यह सूक्तम् और भी प्रभावी हो जाता है। मां लक्ष्मी की उपासना में यह एक अत्यंत शक्तिशाली साधना है – बस श्रद्धा, नियम और विश्वास बनाए रखें।

पाठ करने की विधि

Lakshmi Suktam Path मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का अचूक उपाय माना जाता है। आइए जानें इसकी सही और प्रभावशाली विधि-

  1. स्थान और समय: सुबह सूर्योदय से पहले या संध्या समय जाप करना उत्तम माना गया है। शांत और स्वच्छ स्थान चुनें जहाँ पूजा बाधित न हो।
  2. शुद्ध स्नान: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्त्रियाँ विशेष रूप से लाल वस्त्र पहन सकती हैं जो मां लक्ष्मी को प्रिय हैं।
  3. पूजा स्थल: लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी की फोटो स्थापित करें। सामने तांबे या पीतल की थाली में दीपक, अगरबत्ती, चावल, फूल, अक्षत, मिठाई आदि रखें।
  4. ध्यान: घी का दीपक जलाकर, मां लक्ष्मी का ध्यान करें और “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का स्मरण करें।
  5. पाठ करें: अब शांत चित्त होकर Lakshmi Suktam का पाठ करें। इसे आप 1, 3, 5 या 11 बार श्रद्धा अनुसार कर सकते हैं। कमल गट्टे की माला का प्रयोग करें।
  6. प्रसाद चढ़ाएं: जाप के बाद मां लक्ष्मी को पुष्प अर्पण करें, मिठाई या फल का भोग लगाएं और घंटी बजाएं।
  7. समापन:श्री लक्ष्मी स्तोत्र” या “लक्ष्मी आरती” गाएं। घर में शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। अंत में सबमें प्रसाद बांटें।

नियमित रूप से Shri Lakshmi Suktam का श्रद्धापूर्वक जाप जीवन में धन, सौभाग्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है। यह साधना आपको मां लक्ष्मी के सान्निध्य की अनुभूति कराती है।

FAQ

इसका का जाप कब करना सबसे उत्तम माना जाता है?

इसका जाप शुक्रवार, पूर्णिमा, दीपावली अथवा प्रतिदिन सुबह-संध्या के समय करना श्रेष्ठ माना गया है।

सूक्तम् कितनी बार पढ़ना चाहिए?

इसका पाठ करने से क्या लाभ होता है?

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