लक्ष्मी नारायण की आरती: एक दिव्य और सुखदायी विधि

लक्ष्मी नारायण की आरती भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के पूजा का एक अहम हिस्सा है। यह आरती करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सुख-समृद्धि का वास होता है। विशेष रूप से, जब दीपावली जैसे त्योहारों पर Lakshmi Narayan ki Aarti का पाठ किया जाता है, तो इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह आरती इस प्रकार से है-

Lakshmi Narayan Ki Aarti

जय लक्ष्मी-विष्णो, जय लक्ष्मीनारायण।
जय लक्ष्मी-विष्णो, जय माधव, जय श्रीपति।

जय, जय, जय विष्णो…

जय लक्ष्मी-विष्णो,
जय चम्पा सम-वर्णेजय नीरदकान्ते,
जय मन्द स्मित-शोभेजय अदभुत शान्ते।

जय लक्ष्मी-विष्णो…

कमल वराभय-हस्तेशङ्खादिकधारिन्,
जय कमलालयवासिनिगरुडासनचारिन्।

जय लक्ष्मी-विष्णो…

सच्चिन्मयकरचरणेसच्चिन्मयमूर्ते,
दिव्यानन्द-विलासिनिजय सुखमयमूर्ते।

जय लक्ष्मी-विष्णो…

तुम त्रिभुवन की माता,तुम सबके त्राता,
तुम लोक-त्रय-जननी,तुम सबके धाता।

जय लक्ष्मी-विष्णो…

तुम धन जन सुखसन्तित जय देनेवाली,
परमानन्द बिधातातुम हो वनमाली।

जय लक्ष्मी-विष्णो…

तुम हो सुमति घरों में,तुम सबके स्वामी,
चेतन और अचेतनके अन्तर्यामी।

जय लक्ष्मी-विष्णो…

शरणागत हूँ मुझ परकृपा करो माता,
जय लक्ष्मी-नारायणनव-मन्गल दाता।

जय लक्ष्मी-विष्णो…

जय लक्ष्मी-विष्णो, जय लक्ष्मीनारायण।
जय लक्ष्मी-विष्णो, जय माधव, जय श्रीपति॥

Lakshmi Narayan Ki Aarti

जय लक्ष्मी-विष्णो, जय लक्ष्मीनारायण। 
जय लक्ष्मी-विष्णो, जय माधव, जय श्रीपति। 

जय, जय, जय विष्णो...

जय लक्ष्मी-विष्णो,
जय चम्पा सम-वर्णेजय नीरदकान्ते,
जय मन्द स्मित-शोभेजय अदभुत शान्ते। 

जय लक्ष्मी-विष्णो...

कमल वराभय-हस्तेशङ्खादिकधारिन्,
जय कमलालयवासिनिगरुडासनचारिन्। 

जय लक्ष्मी-विष्णो...

सच्चिन्मयकरचरणेसच्चिन्मयमूर्ते,
दिव्यानन्द-विलासिनिजय सुखमयमूर्ते। 

जय लक्ष्मी-विष्णो...

तुम त्रिभुवन की माता,तुम सबके त्राता,
तुम लोक-त्रय-जननी,तुम सबके धाता। 

जय लक्ष्मी-विष्णो...

तुम धन जन सुखसन्तित जय देनेवाली,
परमानन्द बिधातातुम हो वनमाली। 

जय लक्ष्मी-विष्णो...

तुम हो सुमति घरों में,तुम सबके स्वामी,
चेतन और अचेतनके अन्तर्यामी। 

जय लक्ष्मी-विष्णो...

शरणागत हूँ मुझ परकृपा करो माता,
जय लक्ष्मी-नारायणनव-मन्गल दाता। 

जय लक्ष्मी-विष्णो...

जय लक्ष्मी-विष्णो, जय लक्ष्मीनारायण। 
जय लक्ष्मी-विष्णो, जय माधव, जय श्रीपति॥

Lakshmi Narayan ki Aarti न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आपके जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि का संचार करती है। साथ ही, इसके साथ Lakshmi MantraVishnu Mantra” और “Lakshmi Stotra” का पाठ भी करें ताकि लक्ष्मी माता और भगवान विष्णु का आशीर्वाद आपके जीवन में हमेशा बना रहे।

आरती करने की सरल विधि

अगर आप लक्ष्मी नारायण की आरती विधिपूर्वक करना चाहते हैं, तो यह विधि आपके लिए बहुत लाभकारी होगी। इस साधारण और सरल पूजा विधि से आप घर में सुख-शांति और समृद्धि का अनुभव कर सकते हैं-

  1. पूजा स्थल: सबसे पहले पूजा स्थल अच्छे से साफ करके उसको पवित्र बनाएं और वहां दीपक और अगरबत्तियां रखें।
  2. तैयारी: आरती का पाठ शुरू करने से पहले हाथों में साफ पानी लें और भगवान लक्ष्मी और नारायण की मूर्ति को स्थापित करें।
  3. दीपक जलाएं: पूजा स्थल पर दीपक जलाएं। यह दीपक भगवान को समर्पित होगा और पूजा के दौरान शुभता का प्रतीक बनेगा।
  4. आरती: अब पूरी निष्ठा से Lakshmi Narayan Ji Ki Aarti करें। इसे श्रद्धा के साथ और ध्यानपूर्वक करें।
  5. प्रार्थना: आरती के दौरान मन में समर्पण और श्रद्धा से भगवान लक्ष्मी और विष्णु से आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
  6. समाप्ति: आरती समाप्त होने के बाद भगवान को ताजे फूलों से पूजा अर्पित करें और फिर दीपक को घुमाते हुए आरती करें।
  7. प्रसाद: अंत में, भगवान को मिठाई या फल अर्पित करें और पूजा का प्रसाद परिवार के सभी सदस्य को वितरित करें।

ब जब आप Shri Lakshmi Narayan Ji Ki Aarti की विधि को सही ढंग से समझ गए हैं, तो इसे आजमाएं और अपने घर को आशीर्वाद से भरें। इस पूजन विधि से आपका जीवन सकारात्मक ऊर्जा से भर जाएगा।

FAQ

इस आरती को करने का सबसे अच्छा समय कब है?

इस पूजा को सुबह या संध्याकाल, दोनों समय किए जाने की परंपरा है, लेकिन विशेष रूप से रात को पूजा करने का महत्व होता है।

आरती को किस दिन करना शुभ माना जाता है?

लक्ष्मी नारायण आरती किसके लिए शुभ है?

क्या इस आरती का पाठ घर में अकेले भी किया जा सकता है?

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