Lakshmi Ganesh Aarti | लक्ष्मी गणेश आरती: समृद्धि और सुख-शांति की प्रार्थना

लक्ष्मी गणेश आरती एक महत्वपूर्ण भक्ति गीत है जो विशेष रूप से देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश दोनों की पूजा के लिए गाई जाती है। इन दोनों देवी-देवताओं को समृद्धि, सुख और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। Lakshmi Ganesh Aarti दोनों देवताओं से उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करता है, ताकि जीवन में सुख, समृद्धि और विघ्नों का नाश हो सके। आरती के दौरान, भक्त भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करके अपने जीवन से दरिद्रता और कष्टों को दूर करने की कामना करते हैं।

लक्ष्मी जी और गणेश जी के आरती के बोल भगवान गणेश की विद्या, बुद्धि और विघ्नों को नष्ट करने वाली शक्तियों का गुणगान करते हैं, वहीं लक्ष्मी माता की पूजा में धन, संपत्ति और समृद्धि की प्राप्ति की कामना की जाती है। यह आरती घर में समृद्धि और खुशहाली लाने का एक तरीका मानी जाती है। इस आरती को हमने आपके लिए नीचे उपलब्ध कराया है-

लक्ष्मी जी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता।

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता।


तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता।

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता।

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता,
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।

भगवान गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

एक दंत दयावंत,चार भुजा धारी,
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी।

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा।

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।


जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।


सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी,
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी।

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा,
माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा।

इसके अलावा आप Ganesh Mantra, Ganesh Bhajan Lyrics, Ganesh Bhagwan Ke 108 Naam को भी अपने पाठ में शामिल कर सकते है।

Lakshmi Ganesh Aarti करने की विधि

आरती का सही तरीका और विधि से करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पूजा न केवल समृद्धि और सुख की प्राप्ति के लिए होती है, बल्कि यह भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। निम्नलिखित विधि से आप इस आरती को कर सकते हैं:

  1. शुद्ध स्थान: पूजा करने के लिए सबसे पहले एक स्वच्छ और पवित्र स्थान का चयन करें। यह स्थान आपके घर का पूजा कक्ष हो सकता है, जहां भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियाँ स्थापित की गई हों।
  2. स्वच्छता: पूजा से पहले अपने शरीर को शुद्ध करें। स्नान करें और पवित्र कपड़े पहनें। शुद्धता पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह मानसिक और शारीरिक शुद्धता को बढ़ाता है।
  3. दीपक: पूजा स्थल पर दीपक और अगरबत्ती जलाएं। दीपक भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की उपस्थिति को प्रतीक मानकर जलाया जाता है, जबकि अगरबत्ती वातावरण को शुद्ध करती है।
  4. मूर्ति स्थापना: भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों या चित्रों को पूजा स्थल पर रखें। उन्हें अच्छे से सजाएं। गणेश जी को मोदक और लक्ष्मी माता को फूल, फल और मिठाइयां अर्पित करें।
  5. पूजा सामग्री: धूप, दीपक, कपूर, फूल, चावल, फल, मिठाई, कुमकुम, हल्दी, नारियल, पान, सुपारी। चांदी या मिट्टी के दीये जलाएं।
  6. प्रसाद चढ़ाये: पूजा की शुरुआत में भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी को प्रसाद अर्पित करें।
  7. आमंत्रण: ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः” और “ॐ श्री गणाधिपतये नमः” का उच्चारण करके देवी-देवताओं का आवाहन करेमूर्तियों पर जल, अक्षत, फूल और चंदन अर्पित करें।
  8. आरती का प्रारंभ: एक दीपक जलाएं और आरती के लिए तैयार करें। अब ऊपर दिए गए लक्ष्मी गणेश आरती को गाएं।
  9. समाप्ति: आरती समाप्त होने के बाद गणेश जी और लक्ष्मी जी को पुष्प अर्पित करें। प्रसाद बांटें और परिवार के साथ आनंदित माहौल में पूजा का समापन करें।

यह पूजा विधि श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाए तो घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

आरती करने के लाभ

इसका नियमित रूप से पाठ करने से न केवल आंतरिक शांति और मानसिक संतुलन मिलता है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव भी लेकर आता है। भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा से संबंधित इस आरती के निम्नलिखित लाभ हैं:

  1. धन-समृद्धि: देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं। इस आरती को गाने से घर में धन और संपत्ति की वृद्धि होती है। यदि आप व्यापार करते हैं या किसी आर्थिक समस्या का सामना कर रहे हैं, तो यह आरती विशेष रूप से लाभकारी होती है। यह आपके जीवन में आर्थिक प्रगति और समृद्धि का मार्ग खोलती है।
  2. सुख-शांति: यह आरती घर के वातावरण को सकारात्मक और शांतिपूर्ण बनाती है। यह न केवल परिवार में प्रेम और सौहार्द बढ़ाती है, बल्कि घर में सुख और शांति का वास होता है।
  3. विघ्नों का नाश: आरती का नियमित पाठ करने से जीवन के सभी प्रकार के विघ्न, परेशानियां और संकट समाप्त होते हैं। कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और जीवन में आगे बढ़ने के रास्ते खुलते हैं।
  4. मानसिक शांति: इस आरती के पाठ से मन को शांति मिलती है। यह तनाव और चिंता को दूर करती है और मानसिक रूप से संतुलित बनाए रखती है। आरती के दौरान ध्यान केंद्रित करने से मनोबल बढ़ता है और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति: आरती के माध्यम से व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करता है। यह पूजा न केवल भौतिक सुखों की कामना करती है, बल्कि व्यक्ति को मानसिक और आत्मिक शांति भी प्रदान करती है।

FAQ

आरती को किस समय करना चाहिए?

आरती का पाठ विशेष रूप से लक्ष्मी पूजा, गणेश चतुर्थी, दीपावली, या किसी भी शुभ अवसर पर किया जा सकता है। इसे रोजाना भी गाया जा सकता है।

क्या लक्ष्मी जी और गणेश जी की आरती का पाठ सामूहिक रूप से किया जा सकता है?

क्या इस आरती का पाठ बच्चों को भी करना चाहिए?

क्या आरती को घर में भी गाया जा सकता है?

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