कृष्ण गायत्री मंत्र: भगवान कृष्ण को समर्पित एक दिव्य और कल्याणकारी वैदिक मंत्र

भगवान श्रीकृष्ण केवल एक देव नहीं, बल्कि जीवन के प्रत्येक पहलू में मार्गदर्शन देने वाले योगेश्वर, प्रेमावतार और ज्ञानरूप हैं। यदि आप कृष्ण गायत्री मंत्र खोज रहे हैं, तो यहां आपको Krishna Gayatri Mantra का शुद्ध रूप में मिलेगा — साथ ही इसका गूढ़ अर्थ और जप विधि यहाँ विस्तार से समझाए गए हैं।

Krishna Gayatri Mantra Lyrics

॥ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नः कृष्णः प्रचोदयात्॥

Krishna Gayatri Mantra Lyrics॥ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नः कृष्णः प्रचोदयात्॥

मंत्र का अर्थ: हम देवकीनंदन श्रीकृष्ण को जानें, वासुदेव रूप का ध्यान करें, और वह श्रीकृष्ण हमें भक्ति, प्रेम और आत्मज्ञान की प्रेरणा दें।

Shri Krishna Gayatri Mantra का नियमित जाप न केवल भक्ति में गहराई लाता है, बल्कि यह जीवन में प्रेम, शांति और आत्मिक संतुलन को भी सुदृढ़ करता है। यदि आप भगवान कृष्ण से जुड़े अन्य मंत्रों को जानना चाहते हैं, तो श्रीकृष्ण आरती, गोविंद स्तुति, और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मंत्र जैसे पवित्र पाठ भी अवश्य पढ़ें- जो आपको श्रीकृष्ण भक्ति के अनंत सागर में डुबो देंगे।

Krishna Gayatri Mantra की जाप विधि

  1. जाप का सही समय: कृष्ण गायत्री मंत्र का जाप दिन के किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन इसे विशेष रूप से सुबह के समय, ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में करना उत्तम होता है। साथ ही, शनिवार या मंगलवार को इस मंत्र का जाप अधिक फलदायक होता है।
  2. स्थान और तैयारी: शुद्ध स्थान पर आसन पर बैठकर और सफेद या पीले वस्त्र पहनकर इस मंत्र का जाप करें।
  3. पूजन सामग्री: इस मंत्र का जाप करते समय पीले फूल, घी का दीपक, धूपबत्ती, और तुलसी के पत्तों का प्रयोग करें।
  4. मंत्र का उच्चारण: इस मंत्र को सही उच्चारण के साथ 108 बार रुद्राक्ष माला से जाप करें। इस मंत्र का जाप विशेष रूप से मानसिक शांति और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
  5. जाप के बाद ध्यान: जाप के बाद भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करें और उन्हें अपनी श्रद्धा और भक्ति अर्पित करें। साथ ही, उनका आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए प्रार्थना करें।

FAQ

क्या इस मंत्र से मानसिक शांति मिलती है?

हाँ, यह मंत्र मानसिक शांति, खुशी और भगवान श्री कृष्ण की कृपा को आकर्षित करने में सहायक होता है।

इस मंत्र को किस उद्देश्य से जपते हैं?

क्या तुलसी की माला इस मंत्र के लिए उपयुक्त है?

क्या इस मंत्र को घर पर नियमित रूप से जप सकते हैं?

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