वो मुरली याद आती है—यह भजन कृष्ण प्रेम में डूबी उस भावना को दर्शाता है, जब भक्त को कान्हा की बांसुरी की मधुर धुन याद आती है। श्रीकृष्ण की मुरली सिर्फ एक वाद्य यंत्र नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति और मोहकता का प्रतीक है। यह भजन हमें उसी दिव्य प्रेम और भक्ति की अनुभूति कराता है।
Wo Murli Yaad Aati Hai
वो मुरली याद आती है,
दोहा – बंसी वारे मोहना,
बंसी ऐसी बजाए,
तेरी मुरली मेरे मन बसी,
मोहे घर अंगना ना सुहाए।
ये तेरी रस भरी मुरली,
मेरे मन को तड़पाती है,
वो मुरली याद आती है,
सुनa कान्हा सुन,
सुन कान्हा सुन,
मुरली ना बजा।।
तुम्हारी याद में कान्हा,
मैं दिन दिन भटकती हूँ,
जो आई रात बैरन तो,
मैं मछली सी तड़पती हूँ,
ये तेरी सांवरी सूरत,
मेरे मन को तड़पाती है,
वो सूरत याद आती है,
वो सूरत याद आती है।।
सुना है आपने मथुरा में,
पापी कंस को मारा,
बचाए देवकी वसुदेव,
कुमारा नन्द के लाला,
बचायी लाज द्रोपद की,
घटी ना पांच गज साड़ी,
वो साड़ी याद आती है,
वो सूरत याद आती है।।
बहाना गेंद का लेकर,
कूदे यमुना में तुम धाए,
नर्तन फन फन पर कर कान्हा,
कालिया नाग नथ डाले,
वो ग्वालन मण्डली में मिल,
माखन चोरी से खाता है,
वो चोरी याद आती है,
वो चोरी याद आती है।।
ये तेरी रस भरी मुरली,
मेरे मन को तड़पाती है,
वो मुरली याद आती हैं,
सुन कान्हा सुन,
सुन कान्हा सुन,
मुरली ना बजा।।
कृष्ण की मुरली की धुन आज भी भक्तों के हृदय में गूंजती है और उन्हें कान्हा के प्रेम में डुबो देती है। यह भजन हमें कृष्ण भक्ति के रस में सराबोर करने और उनकी लीलाओं को हृदय से महसूस करने की प्रेरणा देता है। यदि यह भजन आपको अच्छा लगा, तो हे कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी , तुझसे ना कुछ छिपा है तुझको तो सब पता है, और श्रृंगार तेरा देखा तो तुझ में खो गया हूँ जैसे भजनों को भी अवश्य पढ़ें और कान्हा की मधुरता को हृदय में बसाएं। जय श्री कृष्ण! 🙏🎶