तेरा दरबार मैं नहीं छोड़ना

तेरा दरबार मैं नहीं छोड़ना भजन एक गहरी भावनात्मक अभिव्यक्ति है, जिसमें भक्त अपने जीवन के सबसे कठिन क्षणों में भी श्री कृष्ण के दरबार से अपनी शरण लेने की संकल्पनाएं व्यक्त करता है। यह भजन हमें यह सिखाता है कि कृष्ण के दरबार में हर दर्द और दुख से मुक्ति मिल सकती है। चाहे जीवन में कितनी भी परेशानियां आ जाएं, भगवान के दर पर विश्वास और भक्ति से सब कुछ आसान हो जाता है।

Tera Darbar Main Nahi chhodna

जो मिला श्याम हमको,
बस तुझसे मिला,
फिर दूजो के दर क्यूं है जाना,
तेरे जैसा दयालु मिला सांवरा,
खाटू जैसा मिला जब ठिकाना,
तेरे घर को छोड़कर नहीं जाएंगे,
तेरे लिए चाहे जग पड़ छोड़ना।।

तेरे जैसा पिता मात मिले यार जो,
भाई तुझसा मिला क्या कहूं मैं,
मेरे जीने की इक तू वजह सांवरे,
दूर तुझसे बता क्यों रहूं मैं,
दूर तुझसे बता क्यों रहूं मैं,
तेरे संग प्यार मैं नहीं छोड़ना,
तेरे लिए चाहे जग पड़ छोड़ना।।

तेरा दरबार मैं नहीं छोड़ना,
तेरे लिए चाहे जग पड़े छोड़ना।।

यह भजन प्रभु के दरबार में शरण की भावना और उनके प्रति पूर्ण विश्वास को दर्शाता है। जैसे “तेरे भजनों में है जादू” और “तू सोच ना पायेगा ऐसा ये खेल रचायेगा” भजन भी इसी मार्ग को दर्शाते हैं कि भगवान का सच्चा प्रेम और आस्था ही जीवन को सही दिशा देती है। शरण में आने से ही जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं, और अंततः हम अपने प्रभु के दरबार से न कभी दूर हो पाएंगे।

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