सतरंगी फागुण आयो रे

सतरंगी फागुण आयो रे यह भजन फागुन माह के रंगीन और उल्लासपूर्ण वातावरण का प्रतीक है। इसमें फागुन की सतरंगी रंगों से भरी होली का जिक्र है, जो भक्तों को श्याम बाबा के संग इस मौसम का आनंद लेने के लिए प्रेरित करता है। रंगों के इस उत्सव में बाबा श्याम के प्रति भक्ति और प्रेम की भावना को भी प्रदर्शित किया गया है, जिसमें भक्तों की आस्था और श्रद्धा फागुन के रंगों में रंगी रहती है।

Satrangi Fagun Aayo Re

उड़े इत्र अवीर गुलाल,
सतरंगी फागुण आयो रे,
सतरंगी फागण आयो रे,
सतरंगी फागण आयो रे,
होरी खेले लखदातार,
सतरंगी फागण आयो रे।।

फागण है रंग रंगीला रे,
मेरा श्याम है छैल छबीला रे,
रंग बरसे श्याम दरबार,
सतरंगी फागण आयो रे,
होरी खेले लखदातार,
सतरंगी फागण आयो रे।।

तन मन और अंग अंग रंगवाने,
आए है श्याम के दीवाने,
नीला पीला लाल गुलाल,
सतरंगी फागण आयो रे,
होरी खेले लखदातार,
सतरंगी फागण आयो रे।।

रंग ऐसा श्याम ने बरसायो,
सूखा कोई बच ना पायो,
रंग गया ‘मधुप’ संसार,
सतरंगी फागण आयो रे,
होरी खेले लखदातार,
सतरंगी फागण आयो रे।।

उड़े इत्र अवीर गुलाल,
सतरंगी फागुण आयो रे,
सतरंगी फागण आयो रे,
सतरंगी फागण आयो रे,
होरी खेले लखदातार,
सतरंगी फागण आयो रे।।

उड़े इत्र अवीर गुलाल,
सतरंगी फागुण आयो रे,
सतरंगी फागण आयो रे,
सतरंगी फागण आयो रे,
होरी खेले लखदातार,
सतरंगी फागण आयो रे।।

“सतरंगी फागुण आयो रे” भजन भक्तों को श्याम बाबा के संग इस रंगीन और उल्लासपूर्ण पर्व को मनाने का आह्वान करता है। इस भजन में फागुन के रंगों के माध्यम से बाबा की कृपा और प्रेम की महिमा को भी महसूस किया जाता है। होली का पर्व श्याम के दर्शन और उनकी भक्ति का अवसर बन जाता है, जहां भक्त खुशी और श्रद्धा के साथ उनकी आराधना करते हैं। जय श्री श्याम!

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