हो रंगीली होरी में हाँ रंगीली होरी में

हो रंगीली होरी में हाँ रंगीली होरी में भजन में भक्त अपनी भावनाओं को रंगों के माध्यम से श्री कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति में व्यक्त करते हैं। होली का यह पर्व सिर्फ रंगों और उमंगों का नहीं, बल्कि भगवान श्री कृष्ण के साथ बिताए गए दिव्य क्षणों का प्रतीक है। इस भजन के माध्यम से भक्त श्री कृष्ण के साथ होली खेलने के आनंद को महसूस करते हैं, जहाँ उनके प्रेम में रंगीन हो जाते हैं।

Ho Rangili Hori Mien Haan Rangili Hori Mien

हो रंगीली होरी में,
हाँ रँगीली होरी में,
रंग दिनो नन्द को लाल,
बिरज की गोरी ने,
हो रँगीली होरी में,
हाँ रँगीली होरी में।।

हो तोहे रंग डारूंगी,
हाँ तोहे रंग डारूंगी,
सुन रसिया खोल के कान,
ना तोते हारूंगी,
हो तोहे रंग डारूंगी,
हो रँगीली होरी में,
हाँ रँगीली होरी में।।

हो मजा चखाउंगी,
हाँ मजा चखाउंगी,
सखियन के बीच ओ रसिया,
तोहे नचाऊंगी,
हो मजा चखाउंगी,
हो रँगीली होरी में,
हाँ रँगीली होरी में।।

ओ सुन नंद के लाला,
हाँ सुन नंद के लाला,
बरसाने में पड़ गया तेरा,
सखियों से पाला,
ओ सुन नंद के लाला,
हो रँगीली होरी में,
हाँ रँगीली होरी में।।

हो होरी को जयकारो,
हाँ होरी को जयकारो,
पागल भए ‘चित्र विचित्र’ के,
तन मन धन वारो,
हो होरी को जयकारो,
हो रँगीली होरी में,
हाँ रँगीली होरी में।।

हो रंगीली होरी में,
हाँ रँगीली होरी में,
रंग दिनो नन्द को लाल,
बिरज की गोरी ने,
हो रँगीली होरी में,
हाँ रँगीली होरी में।।

इस भजन की हर एक पंक्ति हमें रंगों के अद्भुत संसार में ले जाती है, जहाँ श्री कृष्ण का प्रेम हमारे दिलों को रंगीन कर देता है। जैसे “होली खेल रहे बांके बिहारी” और “होरी खेले राधा संग ये नटखट नंद किशोर” भजन हमें श्री कृष्ण की लीलाओं में रमाने के लिए प्रेरित करते हैं, वैसे ही यह भजन भी कृष्ण के साथ इस होली के अवसर पर प्रेम और उल्लास का अनुभव दिलाता है। रंगों में श्री कृष्ण का दर्शन करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को संजीवनी प्रदान करें। जय श्री कृष्ण!

Leave a comment