फागुन का मेला आया की देखो क्या कमाल हो गया

फागुन का महीना आते ही ब्रज की गलियों में राधा-कृष्ण के रंगों की बौछार शुरू हो जाती है। फागुन का मेला आया की देखो क्या कमाल हो गया भजन इस पावन अवसर की रसमय छटा बिखेरता है, जब सारा ब्रज कृष्ण प्रेम में डूबकर उल्लास से झूम उठता है। इस भजन के जरिए हम भी कान्हा की होली का आनंद ले सकते हैं और उनके रंग में रंग सकते हैं।

Fagun Ka Mela Aaya Ki Dekho Kya Kamaal Ho Gaya

फागुन का मेला आया,
की देखो क्या कमाल हो गया,
रंग भक्तों ने इतना उड़ाया,
की सारा खाटू लाल हो गया,
लगता है मुझको प्यारा,
मेले का गजब नजारा,
देखो सात रंगों से सजा है,
ये खाटू धाम हमारा,
जब श्याम ने बंसी बजाई,
तो चंग पे धमाल हो गया,
रंग भक्तों ने इतना उड़ाया,
की सारा खाटू लाल हो गया।।

लेकर के नौ मन केसर,
आई भक्तों की टोली,
मंदिर से आज निकलकर,
सांवरिया खेले होली,
जिसे श्याम ने रंग लगाया,
वो समझो निहाल हो गया,
रंग भक्तों ने इतना उड़ाया,
की सारा खाटू लाल हो गया।।

झूमे सारे मतवाले,
मुट्ठी भर रंग उछाले,
बारी बारी सब मिलकर,
सांवरिया पर रंग डाले,
मुरली जब छीन के तोड़ी,
कान्हा का बुरा हाल हो गया,
रंग भक्तों ने इतना उड़ाया,
की सारा खाटू लाल हो गया।।

सब घेर लियो ब्रज नारी,
सारे मिल देते गारी,
चोली चुनरी पहनाई,
पीतांबर श्याम की फारी,
ताली दे दे के नचाया,
कन्हैया तो निढाल हो गया,
रंग भक्तों ने इतना उड़ाया,
की सारा खाटू लाल हो गया।।

फागुन का मेला आया,
की देखो क्या कमाल हो गया,
रंग भक्तों ने इतना उड़ाया,
की सारा खाटू लाल हो गया,
लगता है मुझको प्यारा,
मेले का गजब नजारा,
देखो सात रंगों से सजा है,
ये खाटू धाम हमारा,
जब श्याम ने बंसी बजाई,
तो चंग पे धमाल हो गया,
रंग भक्तों ने इतना उड़ाया,
की सारा खाटू लाल हो गया।।

फागुन में कृष्ण प्रेम का रंग ऐसा चढ़ता है जो कभी उतरता नहीं। इस भक्ति और प्रेम से सराबोर होने के लिए इन मधुर भजनों को पढ़ें और करें – “मेरा यार सुदामा आया है”, “देखे बिना तुझे सांवरे मेरा दिल ना लगेगा”, “जय जय हो प्यारे नंदलाल की जय बोलो गोपाल की” और “वृन्दावन में मैं चला आया”। कृष्ण भक्ति का यह रंग जीवनभर हमारे मन को आनंद से भरता रहेगा।

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