श्याम बाबा अपने भक्तों के हर दुख-सुख के साथी हैं, लेकिन जब भक्त को लगता है कि बाबा ने उससे मुंह मोड़ लिया है, तो उसका हृदय व्याकुल हो उठता है। ऐसे कैसे रूठे मोहन, अपना यूँ मुंह मोड़ लिया भजन इसी भावना को व्यक्त करता है, जहाँ भक्त अपने प्रिय मोहन से मनुहार करता है, उनसे पुनः अपनी कृपा दृष्टि बरसाने की विनती करता है। यह भजन हमें सिखाता है कि प्रेम और भक्ति में समर्पण सबसे बड़ा होता है। आइए, इस भजन को पढ़ें और श्री श्याम की अनुकंपा का अनुभव करें।
Aise Kaise Ruthe Mohan Apna Yun Munh Mod Liya
ऐसे कैसे रूठे मोहन,
अपना यूँ मुंह मोड़ लिया,
एक मीरा के प्राण बचाए,
दूजी को क्यों छोड़ दिया,
एक मीरा के प्राण बचाए,
दूजी को क्यों छोड़ दिया।।1।।
दीवानी थी श्याम नाम की,
नित्य ध्वजा लहराती थी,
जयकारा श्री श्याम नाम का,
गलियों में लगाती थी,
सांसों में थे श्याम बसे क्यों,
बंधन तुमने तोड़ लिया,
एक मीरा के प्राण बचाए,
दूजी को क्यों छोड़ दिया।।2।।
श्याम बहादुर आलू सिंह थे,
इनकी बात निराली थी,
इनसे थोड़ी कम ही सही पर,
श्याम तेरी मतवाली थी,
सुना था हमने ताला तुमने,
मोरछड़ी से खोल दिया,
एक मीरा के प्राण बचाए,
दूजी को क्यों छोड़ दिया।।3।।
दीनदयाल दया के सागर,
जग में तुम कहलाते हो,
भक्तो के तुम भाग्य बदलने,
दौड़े दौड़े आते हो,
ठेंस लगी थी मीरा को,
सिंहासन क्यों न डोल गया,
एक मीरा के प्राण बचाए,
दूजी को क्यों छोड़ दिया।।4।।
भोला भाला ‘रितु’ तेरी,
माया को ना जान सका,
जनम मरण की लीला को,
शायद मैं ना पहचान सका,
क्या तुमने अब पाप पुण्य का,
तोलन करना छोड़ दिया,
एक मीरा के प्राण बचाए,
दूजी को क्यों छोड़ दिया।।5।।
ऐसे कैसे रूठें मोहन,
अपना यूँ मुंह मोड़ लिया,
एक मीरा के प्राण बचाए,
दूजी को क्यों छोड़ दिया,
एक मीरा के प्राण बचाए,
दूजी को क्यों छोड़ दिया।।6।।
श्याम बाबा कभी भी अपने सच्चे भक्तों से दूर नहीं जाते, वे हमेशा उनकी हर पुकार सुनते हैं। उनकी इस अपार कृपा और प्रेम को हारे के सहारे श्याम, मुझे गले लगा लो ना, आँखों के आँसू हर पल पुकारे, आजा हारे के सहारे, श्याम पे रख विश्वास, वो पार लगाएगा, जबसे हमने श्याम तेरा दीदार कर लिया जैसे अन्य भजनों में भी अनुभव किया जा सकता है। आइए, इन भजनों को भी पढ़ें और श्याम बाबा की भक्ति में लीन होकर उनके प्रेम और आशीर्वाद का अनुभव करें। जय श्री श्याम! 🙏💛