खाटू श्याम नाम का महत्व अपार है। Khatu Shyam Name केवल एक उपास्य देवता का नाम नहीं, बल्कि आस्था, श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। खाटू श्याम जी को कलियुग के सबसे कृपालु और शीघ्र फल देने वाले भगवान के रूप में जाना जाता है। Khatu Shyam Real Name बर्बरीक था। यहां हमने खाटू श्याम के 108 नाम और उनके जाप की विधि को बताया है, जो इस प्रकार है-
Khatu Shyam Name – 11 प्रसिद्ध नाम
- बर्बरीक
- मौर्वी नंदन
- तीन बाण धारी
- शीश के दानी
- लखदातार
- कलियुग के अवतारी
- नीले घोड़े का सवार
- श्रीश्याम
- हारे का सहारा
- खाटू नरेश
- मोरछड़ी धारक
खाटू श्याम के 108 नाम
- अचला – अटल और अडिग भगवान
- अच्युत – जो कभी गलत न हो, अचूक प्रभु
- अद्भुत – जिनकी महिमा अनोखी और चमत्कारी हो
- आदिदेव – देवताओं के भी आरंभिक देव
- अनया – जिनका कोई स्वामी नहीं है
- अजंमा – जिनकी शक्ति अनंत और असीमित है
- अजया – जो जन्म और मृत्यु पर विजय पा चुके हैं
- अक्षरा – जो अविनाशी और सदा रहने वाले हैं
- अमृत – जिनका स्वरूप अमृत के समान है
- अनादि – जो सृष्टि के आरंभ से भी पहले थे
- आनंद सागर – कृपा और आनंद के महासागर
- अनंत – जिनका कोई अंत नहीं
- अनंतजित – जो सदा विजयी होते हैं
- अदित्या – देवी अदिति के पुत्र
- अनिरुद्ध – जिनको कोई रोक नहीं सकता
- अपराजित – जिन्हें कभी कोई हरा नहीं सकता
- अव्यक्त – जो स्पष्टता से परे हैं
- बालगोपाल – भगवान कृष्ण का बाल रूप
- बलि – असीम शक्ति के स्वामी
- चतुर्भुज – जिनकी चार भुजाएँ हैं
- दानवेंद्रो – वरदान देने वाले
- दयालु – करुणा से परिपूर्ण
- दयानिधि – सब पर कृपा करने वाले
- देवाधिदेव – देवों के भी देवता
- देवकीनंदन – माता देवकी के प्रिय पुत्र
- देवेश – सभी देवताओं के स्वामी
- धर्माध्यक्ष – धर्म के पालनकर्ता
- द्वारकाधीश – द्वारका के राजा
- ऋषिकेश – सभी इंद्रियों के दाता
- गोपालप्रिया – ग्वालों के प्रिय
- गोविंद – जो गायों और भूमि के रक्षक हैं
- ज्ञानेश्वर – ज्ञान के देवता
- हरि – सृष्टि के पालनहार
- हिरण्यगर्भ – ब्रह्मांड के सृजनकर्ता
- गोपाल – ग्वालों के साथ खेलने वाले
- जगद्गुरु – समस्त संसार के गुरु
- जगदीश – ब्रह्मांड के स्वामी
- जगन्नाथ – पूरी सृष्टि के स्वामी
- जनार्दन – सबका कल्याण करने वाले
- कृष्ण – सुंदर सांवले स्वरूप वाले
- ज्योतिरादित्य – सूर्य की भांति प्रकाशवान
- कमलनाथ – देवी लक्ष्मी के स्वामी
- कमलनयन – जिनके नेत्र कमल के समान हैं
- कामसंतक – कंस का वध करने वाले
- कंजलोचन – जिनकी आँखें कमल के समान हैं
- केशव – सुंदर केश वाले भगवान
- जयंत – जो सदैव अपने शत्रुओं को हराते हैं
- लक्ष्मीकांत – लक्ष्मी के स्वामी
- लोकाध्यक्ष – संपूर्ण लोकों के स्वामी
- मदन – प्रेम के प्रतीक
- माधव – ज्ञान और भक्ति के भंडार
- मधुसूदन – मधु राक्षस का वध करने वाले
- महेंद्र – इंद्र के भी स्वामी
- नंदगोपाल – नंद बाबा के पुत्र
- मनोहर – अति सुंदर स्वरूप वाले
- मयूर – जिनके मुकुट पर मोर पंख सुशोभित है
- मोहन – जिनका रूप सभी को आकर्षित करता है
- मुरली – बांसुरी बजाने वाले
- मुरलीधर – बांसुरी को धारण करने वाले
- मुरलीमनोहर – बांसुरी बजाकर मन मोहने वाले
- मनमोहन – सबके हृदय को आकर्षित करने वाले
- नारायण – सबको शरण देने वाले
- निरंजन – जो सर्वोत्तम हैं
- निर्गुण – जिनमें कोई दोष नहीं
- पद्महस्त – जिनके हाथ कमल के समान हैं
- पद्मनाभ – जिनकी नाभि कमल के समान है
- परब्रह्म – परम सत्य स्वरूप
- रविलोचन – जिनका नेत्र सूर्य के समान है
- परमपुरुष – सबसे श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले
- पार्थसारथी – अर्जुन के सारथी
- प्रजापति – सभी प्राणियों के रक्षक
- पुण्य – जिनका व्यक्तित्व पवित्रता से परिपूर्ण है
- पुरुषोत्तम – उत्तम पुरुष
- परमात्मा – संपूर्ण आत्माओं के स्वामी
- सहस्राकाश – हजारों नेत्रों वाले
- सहस्रजित – हजारों को हराने वाले
- सहस्रपात – जिनके हजारों चरण हैं
- साक्षी – समस्त घटनाओं के गवाह
- सनातन – जो अनादि और अनंत हैं
- सर्वज्ञ – जो सब कुछ जानते हैं
- सर्वपालक – संपूर्ण सृष्टि के पालनकर्ता
- सर्वेश्वर – सबसे बड़े ईश्वर
- सत्यवचन – जो सदा सत्य बोलते हैं
- सत्यवत – जिनका अस्तित्व सत्य पर टिका है
- शांत – जिनका स्वभाव शांत है
- सुमेध – असीम ज्ञान से संपन्न
- श्रीकांत – सुंदरता और ऐश्वर्य के स्वामी
- श्याम – सांवले रंग वाले
- श्यामसुंदर – सांवले होने पर भी अति सुंदर
- सुदर्शन – जो अत्यंत रूपवान हैं
- श्रेष्ठ – महान और उत्तम
- सुरेशम – सभी जीवों के देव
- स्वर्गपति – स्वर्ग के स्वामी
- त्रिविक्रम – तीनों लोकों के विजेता
- उपेंद्र – इंद्र के छोटे भाई
- वैकुंठनाथ – वैकुंठ लोक के स्वामी
- वर्धमान – जिनका कोई सीमित रूप नहीं है
- योगी – योग विद्या के ज्ञाता और मार्गदर्शक
- विष्णु – संपूर्ण सृष्टि के पालनकर्ता
- विश्वदक्षिण – सबसे अधिक कुशल
- विश्वकर्मा – ब्रह्मांड के निर्माता
- विश्वमूर्ति – पूरे ब्रह्मांड का स्वरूप
- विश्वरूप – ब्रह्मांड के हित में रूप धारण करने वाले
- विश्वात्मा – संपूर्ण ब्रह्मांड की आत्मा
- वृषपर्व – धर्म के प्रतीक
- यदवेंद्र – यादवों के राजा
- वासुदेव – संपूर्ण विश्व में विद्यमान
- योगिनाम्पति – योगियों के मार्गदर्शक और स्वामी
ऐसा कहा जाता है कि Khatu Shyam Name का सच्चे मन से जाप करने से भक्तों को मानसिक शांति, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। श्याम बाबा की महिमा अपरंपार है और जो भी निस्वार्थ भाव से उनकी आराधना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
खाटू श्याम नाम जाप विधि
- स्नान और शुद्धता – प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- ध्यान और संकल्प – श्याम बाबा का ध्यान करें और सच्चे मन से संकल्प लें।
- माला जाप – रुद्राक्ष या तुलसी की माला से “ॐ श्री श्यामाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- आरती और भजन – जाप के बाद खाटू श्याम जी की आरती करें और भजन गाएं।
- प्रसाद और सेवा – प्रसाद चढ़ाकर उसे भक्तों में वितरित करें और जरूरतमंदों की सेवा करें।
- नियमित जाप – प्रतिदिन या विशेष रूप से एकादशी, पूर्णिमा, और रविवार को यह जाप करें।
इस विधि से Khatu Shyam Name का जाप करने से बाबा श्याम की कृपा प्राप्त होती है और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
FAQ
खाटू श्याम जी को यह नाम कैसे मिला?
भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक की बलिदान से प्रसन्न होकर उन्हें श्याम नाम दिया और वचन दिया कि कलियुग में वे खाटू श्याम के रूप में पूजे जाएंगे।
खाटू श्याम जी का नाम लेने का शुभ समय क्या है?
ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) और रात्रि में सोने से पहले उनका नाम लेना शुभ माना जाता है।
खाटू श्याम जी का प्रमुख मंदिर कहाँ स्थित है?
राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गाँव में इनका प्रसिद्ध मंदिर स्थित है, जिसे खाटू श्याम धाम कहा जाता है।
क्या खाटू श्याम जी और श्रीकृष्ण एक ही हैं?
हाँ, खाटू श्याम जी को भगवान श्रीकृष्ण का ही दूसरा स्वरूप माना जाता है, क्योंकि उन्होंने उन्हें वरदान दिया था कि वे कलियुग में उनकी ही तरह पूजे जाएंगे।