क्या आप जानते है की खाटू श्याम कौन हैं? उनकी महिमा इतनी अद्भुत है कि जो भी भक्त खाटू श्याम जी का सच्चे मन से स्मरण करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती हैं। परंतु बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि Khatu Shyam Kon Hai? उनका इतिहास क्या है और उनकी पूजा क्यों की जाती है?
खाटू श्याम जी को कलियुग के देवता और श्रीकृष्ण के साक्षात अवतार के रूप में पूजा जाता है। भक्तों की आस्था के अनुसार, वे महाभारत के महान योद्धा बर्बरीक के रूप में जन्मे थे। आइये हम आपको विस्तार से बताते है की खाटू श्याम कौन हैं–
Khatu Shyam Kon Hai
खाटू श्याम जी का असली नाम बर्बरीक था। वे महाबली भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे, जबकि उनकी माता का नाम मोरी (कमकंता) था। जन्म से ही बर्बरीक अद्भुत शक्ति और वीरता से संपन्न थे। वे शस्त्र विद्या में निपुण थे और उन्हें देवताओं से तीन अमोघ बाण प्राप्त हुए थे। इन बाणों की शक्ति इतनी अद्वितीय थी कि वे केवल तीन तीरों से सम्पूर्ण महाभारत के युद्ध को समाप्त कर सकते थे। इस कारण उन्हें तीन बाणधारी के नाम से भी जाना जाता था।
जब महाभारत का युद्ध प्रारंभ होने वाला था, तब बर्बरीक अपनी माता से युद्ध में भाग लेने की अनुमति लेकर कुरुक्षेत्र की ओर बढ़े। उनकी प्रतिज्ञा थी कि वे सदैव पराजित पक्ष का साथ देंगे। श्रीकृष्ण को जब यह ज्ञात हुआ, तो उन्होंने बर्बरीक की परीक्षा लेने का निश्चय किया।
ब्राह्मण वेश में श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि वे युद्ध में किस ओर से लड़ेंगे। बर्बरीक ने उत्तर दिया कि वे हमेशा हारने वाले पक्ष का समर्थन करेंगे। श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि उनकी इस प्रतिज्ञा के कारण युद्ध में संतुलन बिगड़ जाएगा, क्योंकि जिस पक्ष में वे लड़ेंगे, वही अजेय हो जाएगा और युद्ध कभी समाप्त नहीं होगा।
परिस्थिति को देखते हुए, श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान करने का आग्रह किया। बर्बरीक ने इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया, लेकिन उन्होंने एक विनती की कि वे इस महायुद्ध को अपनी आँखों से देखना चाहते हैं। श्रीकृष्ण ने उन्हें दिव्य दृष्टि प्रदान की और उनका शीश एक ऊँचे स्थान पर स्थापित कर दिया, जहाँ से उन्होंने सम्पूर्ण युद्ध देखा।
महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद, श्रीकृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक को वरदान दिया कि कलियुग में वे श्याम नाम से पूजे जाएंगे, और जो भी भक्त सच्चे मन से उनकी भक्ति करेगा, उसकी मनोकामनाएँ पूर्ण होंगी।
अब तो आप जान गए होंगे की Khatu Shyam Kon Hai। तो, यदि आप भी जीवन में सुख, शांति और सफलता चाहते हैं, तो खाटू श्याम जी की भक्ति करें और उनकी कृपा प्राप्त करें।
खाटू श्याम जी का प्रसिद्ध मंदिर
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर दुनिया भर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। यहाँ बाबा श्याम का दिव्य शीश प्रतिष्ठित है, जिसे उनके बलिदान के बाद पवित्र भूमि में स्थापित किया गया था। हर साल यहाँ फाल्गुन मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें लाखों भक्त खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं।
खाटू श्याम जी की पूजा विधि
- सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- बाबा श्याम के समक्ष दीप जलाएँ और धूप-गुग्गुल से पूजा करें।
- ॐ श्री श्याम देवाय नमः मंत्र का जाप करें।
- खाटू श्याम चालीसा और खाटू श्याम स्तुति का पाठ करें।
- भोग में मिश्री, चूरमा या हलवा अर्पित करें।
- अंत में आरती करें और बाबा श्याम से मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
खाटू श्याम जी के भक्तों की मान्यता
- जो भी खाटू श्याम जी का नाम सच्चे मन से जपता है, उसकी मनोकामनाएँ अवश्य पूर्ण होती हैं।
- किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले “जय श्री श्याम” बोलने से सफलता प्राप्त होती है।
- बाबा श्याम जी के मंदिर में 11 मंगलवार दर्शन करने से जीवन की सभी बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं।
खाटू श्याम जी केवल एक देवता ही नहीं, बल्कि श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक हैं। उनके मंदिर में एक बार जाकर जो भी उनकी जय जयकार करता है, उसकी सारी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं। आप खाटू श्याम जी की कहानी पढ़ सकते हैं, जहाँ उनके जन्म से लेकर श्रीकृष्ण के वरदान तक की पूरी जानकारी उपलब्ध है।
यदि आप खाटू श्याम जी मंदिर दर्शन की योजना बना रहे हैं, तो उनके मंदिर के समय और यात्रा मार्ग की पूरी जानकारी पहले से प्राप्त कर लें। इसके अलावा, आप खाटू श्याम जी की चालीसा और उनकी स्तुति के माध्यम से उनकी लीलाओं का अनुभव कर सकते हैं।
FAQ
खाटू श्याम जी को श्याम नाम क्यों मिला?
श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया था कि वे कलियुग में श्याम के नाम से पूजे जाएंगे, इसलिए वे “श्याम” नाम से प्रसिद्ध हुए।
खाटू श्याम जी का मुख्य मंदिर कहाँ स्थित है?
खाटू श्याम जी का प्रमुख मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित है।
खाटू श्याम जी का मेला कब लगता है?
हर साल फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को भव्य खाटू श्याम मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
खाटू श्याम जी की कृपा पाने के लिए क्या करना चाहिए?
सच्चे मन से भक्ति करनी चाहिए, निःस्वार्थ सेवा करनी चाहिए और उनके नाम का सुमिरन करना चाहिए।