भक्तों, जब मन व्याकुल होता है और जीवन में कोई राह नहीं दिखती, तब बस एक ही पुकार हृदय से निकलती है—”बाबा, अब तो आओ!” श्याम बाबा अपने भक्तों की पुकार कभी अनसुनी नहीं करते, वे प्रेम से बंधकर दौड़े चले आते हैं। आज हम जिस भजन बाबा को बुलाओ खाटू से आयो रे की चर्चा कर रहे हैं, वह भक्त की उसी गहरी आस और प्रेम भरी पुकार को दर्शाता है।
Baba Ko Bulao Khatu Se Aayo Re
बाबा को बुलाओ खाटू से आयो रे
बैगा चलो रे, बाबा को बुलाओ,
खाटू से आयो रे,।
बैगा चलो रे।
बैगा चलो, बैगा चलो।
पैदल चलो रे, बैगा चलो रे।
फागुन के मेला के माही।
श्याम धणी बुलावे रे।
श्याम धणी भागता ने,
झालो देर बुलावे रे।।
बैगा चलो,,
रींगस से जो ,पैदल जावेऊके।
बाबो सागे चाले रे।
आगे आगे श्याम धणी चाले
भग्त ये पाछे रे।।
बैगा चलो रे,
जो भी जावे ,श्याम धणी के।
वो खाली नही आवे रे।
श्याम धणी बाबो ,सबका मन की
पूरी कर देवेरे।।
बैगा चलो रे,
श्याम धणी बाबो,खाटू में,
दरबार लगा के बेठियो रे
भागता री किस्मत रो तालो।
बडा प्यार से खोले रे।
बैगा चलो रे।
राजा खाटू नगरी को बाबो,
जगत सेठ कहलावे रे।
जांगिड़ यो सबकी खाली,
झोली भर देवे रे।
बैगा चलो रे
श्याम बाबा अपने भक्तों की पुकार पर सदैव कृपा बरसाते हैं, वे प्रेम और श्रद्धा से बंधकर अपने भक्तों के जीवन में उजाला भर देते हैं। यह भजन हमें उनकी अपार दयालुता और भक्तवत्सलता का एहसास कराता है। ऐसे ही अन्य भजनों जैसे “अब तो आजा श्याम”, “हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा”, “बड़ी दूर से चलकर आया हूँ”, और “तेरे भरोसे खाटू वाले रहता है मेरा परिवार” को भी अवश्य करें और श्याम प्रेम में सराबोर हो जाएं।