कार्तिकेय जी, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं, और गणेश जी के छोटे भाई हैं, हिंदू धर्म में युद्ध और पराक्रम का देवता माना जाता हैं। कार्तिकेय जी की आरती उनकी भक्ति और आराधना का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसे विशेष रूप से दक्षिण भारत में बड़े भक्तिभाव से गाया जाता है। Kartikeya Ji Ki Aarti में उनके तेजस्वी रूप, उनकी वीरता और भक्तों की रक्षा करने की शक्ति का वर्णन किया गया है। इस आरती के बोल सरल होते हैं, जिसे सभी लोग आसानी से गा सकते हैं।
इनकी आराधना से व्यक्ति में साहस, आत्मविश्वास और नकारात्मक शक्तियों के प्रति विजय की भावना जागृत होती है। ऐसा माना जाता है कि कार्तिकेय जी की कृपा से जीवन में आने वाली हर प्रकार की बाधा और संकट दूर होते हैं। विशेष रूप से, यें युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत माने जाते हैं। कार्तिकेय जी की सम्पूर्ण आरती को विस्तार से नीचे वर्णित किया गया है जो कुछ इस प्रकार से है –
कार्तिकेय जी की आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला..
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा।
जय जय आरती वेंकटरमणा,
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम।
जय जय आरती गौरी मनोहर,
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर।
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि,
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी।
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता,
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार।
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश,
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।
भगवान का कृपा प्राप्त करने के लिए आप इनके आरती के साथ – साथ shiv aarti bhajan और parvati mata ki aarti का पाठ भी कर सकते हैं। क्योंकि कार्तिकेय जी इन्ही के पुत्र है।
Kartikeya Ji Ki Aarti करने की विधि
आपके धार्मिक कार्यों को आसान और सरल बनाने के लिए हमने आरती करने की सम्पूर्ण विधि को विस्तार से नीचे बताया है जिसे आप आसानी से पढ़ सकते है।
- स्नान – सबसे पहले सुबह उठकर अपने नित्यकर्म करके स्नान करे और साफ कपड़े पहने।
- व्रत का संकल्प – इसके बाद आप व्रत का संकल्प ले।
- सफायी – अब अपने पूजाघर की अच्छे से सफाई कर लें।
- प्रतिमा की स्थापना – एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछा कर उसपर कार्तिकेय भगवान के साथ-साथ शिव और पार्वती जी की प्रतिमा की स्थापना करें।
- शुद्धि – गंगाजल से खुद को पूजाघर को और प्रतिमा की शुद्धि करें।
- आसन – अब आप एक आसन पर बैठकर पूजा की तैयारी करें।
- चढ़ाये – कार्तिकेय भगवान को आप धूप, चंदन, रोली, अक्षत, हल्दी, केसर, फूल, माला इत्यादि चढ़ाये।
- प्रसाद – अब आप भगवान को प्रसाद चढ़ाये।
- मन्त्र जाप – गाय के घी से दीपक जलाकर मन्त्रों और कार्तिकेय चालीसा का जाप करें।
- आरती – इसके बाद आप पूरी श्रद्धा के साथ ऊपर दिए गए आरती को करें।
- आशीर्वाद – आरती समाप्त करने के बाद आप भगवान कार्तिकेय से अपनी त्रुटि के लिए क्षमा मांगे और उनसे अच्छे जीवन के लिए विनती कर आशीर्वाद मांगे।
- फलाहार – पूजा समाप्त करने के बाद आप फलाहार खाकर अपने व्रत को खोल सकतें है।
कार्तिकेय भगवान की आरती करने से होने वाले लाभ
- समृद्धि: ऊपर दिए गए आरती को करने से आप का घर सदा समृद्ध रहता है।
- कीर्ति और यश: इनकी आरती करने से आप अपने जीवन में कीर्ति और यश की प्राप्ति करते हैं।
- संतान प्राप्ति: भगवान कार्तिकेय की आरती करने से निःसंतान को संतान सुख की प्राप्ति होता है।
- संतान पीड़ा से मुक्ति: कार्तिकेय भगवान की आरती करने से आप संतान की कष्टों से मुक्त होते हैं।
- परिवार में सुख: इनकी आरती करने से परिवार में सुख -शांति बनी रहती है।
- सौभाग्य: श्री कार्तिकेय की आरती करने से आप को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- जागरूकता: यह आपके आध्यात्मिक जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में सहायता प्रदान करता है और आपको जागरूक बनता है।
- मानवीय संबंध: यह आपके मानवीय संबंधों को मजबूत करता है और और समाज में आपके सम्मान को बढ़ता है।
- स्वास्थ्य: ऊपर दिए गए आरती को करने से आप शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहते हैं।
- आध्यात्मिक विकास: आरती करने से व्यक्ति को भौतिक सुखों के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान भी प्राप्त होती है। यह आरती व्यक्ति के मन को शांति और संतोष देती है, जिससे वह धन और वैभव के सही मायने समझ पाता है।
इस प्रकार, इनकी आरती करने से न केवल धन-संपत्ति में वृद्धि होती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
FAQ
आरती कब करना चाहिए ?
हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि जिसे स्कंद षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है, को इनके जन्मदिन दिवस पर इनकी पूजा अवश्य करें।
कार्तिकेय किसके पुत्र हैं ?
भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं।
इनकी आरती कौन-कौन कर सकता है ?
इनकी आरती को कोई भी कर सकता है बच्चे, बूढ़े, औरत, युवा सभी लोग कार्तिकेय की आरती कर सकते है।
क्या इस आरती का पाठ रोज किया जा सकता है ?
हाँ, आप अपनी श्रद्धा के अनुसार प्रतिदिन इस आरती का गान कर सकतें है।
I am Shri Nath Pandey and I am a priest in a temple, which is located in Varanasi. I have been spending my life worshiping for the last 6 years. I have dedicated my soul completely to the service of God. Our website is a source related to Aarti, Stotra, Chalisa, Mantra, Festivals, Vrat, Rituals, and Sanatan Lifestyle.