कार्तवीर्य अर्जुन स्तोत्रम्: शक्तिशाली राजा के स्मरण का दिव्य स्तोत्र

हिंदू धर्म में कार्तवीर्य अर्जुन स्तोत्रम् एक अत्यंत प्रभावशाली और शक्ति प्रदान करने वाला स्तोत्र माना जाता है। Kartavirya Arjuna Stotram भगवान दत्तात्रेय के परम भक्त और महान चक्रवर्ती सम्राट कार्तवीर्य अर्जुन को समर्पित है, जिनकी सहस्त्र भुजाएँ और अद्वितीय पराक्रम की कथा पुराणों में वर्णित है। यदि आप Kartavirya Arjuna Mantra Lyrics की तलाश में है तो आप सही जगह पर आए हैं हमने यहां आपके लिए नीचे संपूर्ण लिरिक्स को उपलब्ध कराया है।

Kartavirya Arjuna Stotram

कार्तवीर्यार्जुनो नाम राजा बाहुसहस्रवान्।
तस्य स्मरणमात्रेण गतं नष्टं च लभ्यते ॥1॥

कार्तवीर्यः खलद्वेषी कृतवीर्यसुतो बली।
सहस्रबाहुः शत्रुघ्नो रक्तवासा धनुर्धरः ॥2॥

रक्तगन्धो रक्तमाल्यो राजा स्मर्तुरभीष्टदः।
द्वादशैतानि नामानि कार्तवीर्यस्य यः पठेत् ॥3॥

सम्पदस्तत्र जायन्ते जनस्तत्र वशं गतः।
आनयत्याशु दूरस्थं क्षेमलाभयुतं प्रियम् ॥4॥

कार्तवीर्य महाबाहो सर्वदिष्टविबर्हण।
सर्वं रक्ष सदा तिष्ठ दुष्टान्नाशय पाहि माम् ॥5॥

सहस्रबाहुसशरं महितं
सचापं रक्ताम्बरं रक्तकिरीटकुण्डलम्।
चोरादि-दुष्टभय-नाशं इष्टदं तं
ध्यायेत् महाबल-विजृम्भित-कार्तवीर्यम् ॥6॥

यस्य स्मरणमात्रेण सर्वदुःखक्षयो भवेत्।
यन्नामानि महावीर्यश्चार्जुनः कृतवीर्यवान् ॥7॥

हैहयाधिपतेः स्तोत्रं सहस्रावृत्तिकारितम्।
वाञ्चितार्थप्रदं नृणां स्वराज्यं सुकृतं यदि ॥8॥

॥ इति कार्तवीर्य द्वादशनाम स्तोत्रम्॥

Kartavirya Arjuna Stotram

कार्तवीर्यार्जुनो नाम राजा बाहुसहस्रवान्।
तस्य स्मरणमात्रेण गतं नष्टं च लभ्यते ॥1॥

कार्तवीर्यः खलद्वेषी कृतवीर्यसुतो बली।
सहस्रबाहुः शत्रुघ्नो रक्तवासा धनुर्धरः ॥2॥

रक्तगन्धो रक्तमाल्यो राजा स्मर्तुरभीष्टदः।
द्वादशैतानि नामानि कार्तवीर्यस्य यः पठेत् ॥3॥

सम्पदस्तत्र जायन्ते जनस्तत्र वशं गतः।
आनयत्याशु दूरस्थं क्षेमलाभयुतं प्रियम् ॥4॥

कार्तवीर्य महाबाहो सर्वदिष्टविबर्हण।
सर्वं रक्ष सदा तिष्ठ दुष्टान्नाशय पाहि माम् ॥5॥

सहस्रबाहुसशरं महितं
सचापं रक्ताम्बरं रक्तकिरीटकुण्डलम्।
चोरादि-दुष्टभय-नाशं इष्टदं तं
ध्यायेत् महाबल-विजृम्भित-कार्तवीर्यम् ॥6॥

यस्य स्मरणमात्रेण सर्वदुःखक्षयो भवेत्।
यन्नामानि महावीर्यश्चार्जुनः कृतवीर्यवान् ॥7॥

हैहयाधिपतेः स्तोत्रं सहस्रावृत्तिकारितम्।
वाञ्चितार्थप्रदं नृणां स्वराज्यं सुकृतं यदि ॥8॥

॥ इति कार्तवीर्य द्वादशनाम स्तोत्रम्॥

कार्तवीर्य अर्जुन का जीवन, उनकी भक्ति और उनके चमत्कारी गुण हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखते हैं। यदि आप कार्तवीर्य अर्जुन की शक्तियों और उनके जीवन से जुड़े अन्य रहस्यों को जानना चाहते हैं, तो इससे संबंधित अन्य पाठों को भी अवश्य पढ़ें। इस स्तोत्र का नियमित पाठ आपके जीवन में अखंड विजय, ऐश्वर्य और समृद्धि ला सकता है।

कार्तवीर्य अर्जुन स्तोत्रम् पाठ विधि

  1. स्नान एवं शुद्धिकरण: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को गंगाजल या स्वच्छ जल से साफ करें।
  2. पूजन सामग्री एकत्र करें: भगवान दत्तात्रेय और कार्तवीर्य अर्जुन की पूजा के लिए पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, चंदन, और नैवेद्य अर्पित करें।
  3. मानसिक एवं शारीरिक शुद्धता: स्तोत्र पाठ से पहले मन को शांत करें और एकाग्र होकर भगवान का ध्यान करें।
  4. स्तोत्र का पाठ करें: अब श्रद्धापूर्वक Karthaveeryarjuna Mantra का उच्चारण करें। इसे नियमित रूप से करने से अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं।
  5. आरती एवं समर्पण: स्तोत्र पाठ के बाद भगवान दत्तात्रेय की आरती करें और अपने संकल्प को दोहराते हुए आशीर्वाद प्राप्त करें।

FAQ

क्या इस स्तोत्रम् का पाठ हर कोई कर सकता है?

हाँ, इसे कोई भी श्रद्धालु भक्त कर सकता है।

क्या इसे किसी विशेष दिन पर पढ़ना चाहिए?

क्या इस स्तोत्र को कंठस्थ करना आवश्यक है?

इस स्तोत्र का क्या लाभ है?

कार्तवीर्य अर्जुन मंत्र का पाठ कब करना चाहिए?

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