Jai Ambe Gauri Aarti | जय अम्बे गौरी आरती : दिव्य भक्ति गीत

जय अम्बे गौरी आरती हिंदू धर्म में माँ दुर्गा की स्तुति में गाई जाने वाली एक अत्यंत लोकप्रिय आरती है। Jai Ambe Gauri Aarti का यह मधुर स्वरूप भक्तों को माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की महिमा का बखान करता है और श्रद्धालुओं को माँ की शक्ति, करुणा और उनकी मातृवत प्रेम की अनुभूति कराता है। यह आरती माँ दुर्गा के उन गुणों का गान करती है, जिनसे समस्त संसार का कल्याण होता है।

यह माँ की दिव्य शक्तियों और उनके विभिन्न स्वरूपों का स्मरण कराते हुए हमारे जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति लाने की प्रार्थना करता है। इस दुर्गा आरती के दौरान भक्त अपने मन को एकाग्र कर माँ की महिमा का ध्यान करते हैं और उन्हें अपने जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देने की विनती करते हैं। इस आरती के सम्पूर्ण लिरिक्स को हमने आपके लिए नीचे उपलब्ध कराया है –

जय अम्बे गौरी आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।
ॐ जय अम्बे गौरी…

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको।
ॐ जय अम्बे गौरी…

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।
ॐ जय अम्बे गौरी…

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी।
ॐ जय अम्बे गौरी…

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती।
ॐ जय अम्बे गौरी…

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती।
ॐ जय अम्बे गौरी…

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।
ॐ जय अम्बे गौरी…

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।
ॐ जय अम्बे गौरी…

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।
ॐ जय अम्बे गौरी…

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुख हरता , सुख संपति करता।
ॐ जय अम्बे गौरी…

भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।
ॐ जय अम्बे गौरी…

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती।
ॐ जय अम्बे गौरी…

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे।
ॐ जय अम्बे गौरी…

॥समाप्त॥

इस आरती में माँ दुर्गा के प्रति अटूट श्रद्धा और आस्था प्रकट होती है। यह आरती एक प्रकार का ध्यान है, जिससे भक्त माँ की कृपा प्राप्त करते हैं। अतः आरती न केवल पूजा का एक माध्यम है बल्कि यह आत्मिक शांति और माँ के प्रति समर्पण का भी प्रतीक है। अगर आप माता के अन्य रूपों की आराधना करने चाटें है तो, Chandraghanta Mata Ki Aarti, Brahmacharini Mata ki Aarti और Shailputri Mata Aarti आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकती है।

Jai Ambe Gauri Aarti करने की विधि:

  1. पूजा स्थल: आरती शुरू करने से पहले पूजा स्थल की सफाई करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठकर पूजा की शुरुआत करें। सबसे पहले पूजा स्थान पर मूर्ति की स्थापना करें और वहां दीपक, अगरबत्ती, चंदन, फूल, सिंदूर, और अन्य पूजा सामग्री रखें।
  2. ध्यान: आरती करने से पहले देवी अम्बे का ध्यान करें। यह आपको मानसिक रूप से तैयार करता है और पूजा को विधिपूर्वक करने की भावना उत्पन्न करता है।
  3. मंत्र जाप: आप “ॐ दुं दुर्गायै नमः” या “ॐ देवी अम्बे महाक्रूरी नमः” जैसे दुर्गा देवी मंत्रम का जाप करके देवी का आह्वान करें।
  4. आरती का पाठ: अब आरती का पाठ करना शुरू करें। आरती बहुत ही सरल और प्रभावशाली है, और आरती करते समय इसे पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ गाएं, हर शब्द में विश्वास और प्रेम होना चाहिए।
  5. दीपक और कपूर: आरती के दौरान दीपक को माता की मूर्ति या चित्र के सामने रखें और उसे चारों ओर घुमाएं। यह एक महत्वपूर्ण भाग है क्योंकि दीपक का प्रकाश माता के चरणों में ऊर्जा का संचार करता है। इसके साथ-साथ कपूर जलाकर उसका धुआं भी देवी को समर्पित करें।
  6. घंटी बजाना: घंटी की आवाज वातावरण को शुद्ध करती है और देवी के प्रति श्रद्धा और भक्ति को प्रदर्शित करती है। आरती के हर चरण के साथ घंटी बजाकर उस शांति को महसूस करें जो आरती के साथ आती है।
  7. प्रसाद वितरण: आरती के बाद देवी अम्बे को भोग अर्पित करें। लड्डू, फल, मिठाई, या अन्य पारंपरिक भोग जो आमतौर पर देवी को अर्पित किए जाते हैं, उन्हें अर्पित करें। बाद में वह प्रसाद भक्तों में बांटें ताकि सबको देवी की कृपा का भागीदार बनाया जा सके।
  8. समापन: आरती के बाद एक बार फिर देवी अम्बे का धन्यवाद करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें। प्रार्थना करें कि माता आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास करें।

आरती के लाभ

  • दुख और कष्ट: आरती करने से जीवन के सभी प्रकार के दुख, कष्ट और विघ्न समाप्त होते हैं। यह आरती उन सभी परेशानियों से मुक्ति दिलाने में मदद करती है, जो व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक या भावनात्मक रूप से कष्ट देती हैं।
  • ऐश्वर्य का वास: नियमित रूप से इस आरती का पाठ करने से घर में सुख-शांति का वास होता है और आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होती है। देवी की कृपा से घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती और सभी कार्यों में समृद्धि आती है।
  • मन की शांति: जब व्यक्ति देवी अम्बे की आरती करता है, तो वह शांति, संतुलन और सुकून महसूस करता है, जिससे वह अपने जीवन में बेहतर निर्णय लेने में सक्षम होता है।
  • स्वास्थ्य सुधार: यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाती है। अगर किसी व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक बीमारी हो, तो यह आरती उसे राहत देने में मदद करती है और रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है।
  • दुशमन से रक्षा: आरती का पाठ करने से शत्रुओं और दुश्मनों के बुरे प्रभाव से बचाव होता है। यह आरती व्यक्ति को शत्रुओं से सुरक्षित रखती है और उनके नकारात्मक प्रभावों से बचाती है।
  • परिवार में सद्भावना: यह आरती परिवार में प्रेम, शांति और सामंजस्य लाने में मदद करती है। घर में सुखमय वातावरण और परिवारिक संबंधों में मधुरता बनी रहती है।
  • जीवन में सफलता: इस आरती के पाठ से व्यक्ति के जीवन में सफलता और विजय की प्राप्ति होती है। देवी अम्बे की कृपा से व्यक्ति अपने सभी कार्यों में सफल होता है, चाहे वह शिक्षा हो, करियर हो या व्यक्तिगत जीवन
  • समाधान: यह आरती जीवन में आने वाली समस्याओं और बाधाओं का समाधान करने में सहायक होती है, और किसी भी कार्य में रुकावटों या विघ्नों का सामना करने पर यह आरती शीघ्र समाधान का मार्ग खोलती है।
  • सकारात्मकता: जब आप देवी अम्बे की आरती करते हैं, तो आपके जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।

FAQ

यह आरती कब गाई जाती है?

यह आरती विशेष रूप से नवरात्रि के दिनों में की जाती है, लेकिन इसे वर्षभर मंदिरों और घरों में भी गाया जाता है, विशेषकर माँ दुर्गा की पूजा के समय।

इस आरती को गाने का सही तरीका क्या है?

आरती के समय किन वस्तुओं का उपयोग किया जाता है?

क्या आरती का गायन किसी विशेष भाषा में करना आवश्यक है?

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