स्वर्ण पर्वताकार शरीरा श्री हनुमान कहावे लिरिक्स

“स्वर्ण पर्वताकार शरीरा, श्री हनुमान कहावे” भजन भगवान हनुमान जी के दिव्य स्वरूप और अद्भुत शक्ति का गुणगान करता है। इस भजन में उनके गौरवशाली व्यक्तित्व, स्वर्णिम आभा और पर्वताकार विशाल शरीर का वर्णन किया गया है, जो यह दर्शाता है कि वे शक्ति, भक्ति और वीरता के प्रतीक हैं। यह भजन भक्तों को उनकी महिमा का स्मरण कराता है और उनके अद्भुत चमत्कारों पर प्रकाश डालता है।

Swarn Parvatakar Sharira Shree Hanuman Kahave Lyrics

स्वर्ण पर्वताकार शरीरा, श्री हनुमान कहावे,
सालासर के स्वर्ण कलश पर, लाल ध्वजा लहराये।।

सालासर में सोना बरसे, जब चाहे अजमालो,
इस पारस पत्थर को छु लो, जीवन सफल बनालो,
स्वर्ण अवसर मिल गया कही ये, अवसर निकल ना जाये,
सालासर के स्वर्ण कलश पर, लाल ध्वजा लहराये।।

सवामणी का धणी देव ये, करता काम सवाया,
सवामणी ने ना जाने, कितनों का भाग्य जगाया,
सवामणी का भोग चुरमा, सरजिवन बन जाये,
सालासर के स्वर्ण कलश पर, लाल ध्वजा लहराये।।

केशरीनंदन के चरणों से, रंग केशरी पा लो,
पवन कुंड के हवन कुंड की, भस्मी अंग रमा लो,
इस भस्मी से मिट्टी की, काया कंचन हो जाये,
सालासर के स्वर्ण कलश पर, लाल ध्वजा लहराये।।

भक्त शिरोमणी मोहनदास जी, स्वर्ण में अलख जगाया,
सालासर दरबार सजीला, स्वर्ण छत्र की छाया,
भक्तीभाव की गुणमाला, ‘राजेन्द्र’ आज चढ़ाये,
सालासर के स्वर्ण कलश पर, लाल ध्वजा लहराये।।

स्वर्ण पर्वताकार शरीरा, श्री हनुमान कहावे,
सालासर के स्वर्ण कलश पर, लाल ध्वजा लहराये।।

Swarn Parvatakar Sharira Shree Hanuman Kahave Lyrics” भजन हमें यह सिखाता है कि हनुमान जी की उपासना करने से मनुष्य हर प्रकार के भय और कष्टों से मुक्त हो जाता है। उनके विशाल स्वरूप का दर्शन मात्र ही भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करता है।

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