सीता माता की गोदी में हनुमत डाली मूंदड़ी भजन हनुमान जी की भक्ति, बुद्धि और निष्ठा को दर्शाता है। यह भजन उस प्रसंग की याद दिलाता है जब हनुमान जी ने अपनी चतुराई और भक्ति से माता सीता को भगवान श्रीराम की निशानी देकर उन्हें आश्वस्त किया था। यह केवल एक कथा नहीं, बल्कि श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है, जो भक्तों को प्रेम, त्याग और निस्वार्थ सेवा का संदेश देता है।
Sita Mata ke Godi Mein hanumat Dali Mundali
सुनकर जामवंत की बात,
बजरंग मारी एक छलांग।
हिरदै ध्यान राम को राख,
सागर कूद पड़े हनुमान।
शीश पर राखी मुन्दडी,
सीता माता की गोदी मे,
हनुमत डाली मूंदड़ी।।
बजरंग फिर फिर लंका जाई,
खबर नहीं सिता की पाई।
वहां बतलावे कोई नाही,
बजरंग जाए खड़े पनघट पे।
बातें कर रही सुन्दरी,
सीता माता की गोदी मे,
हनुमत डाली मूंदड़ी।।
बातें सुन सुन पतों लगायो,
बजरंग दौड़ बाग़ में आयो।
सिता जी को दर्शन पायो,
सिता झुरे विरह के माहि।
बजरंग डाली मुंदरी,
सीता माता की गोदी मे,
हनुमत डाली मूंदड़ी।।
सिता देखत ही पहचानी,
या श्री रघुवर की सेनाणी।
इसको कौन जानवर आणि,
किस विध उतरयो सागर पार।
कैसे लायो मुंदरी,
सीता माता की गोदी मे,
हनुमत डाली मूंदड़ी।।
तब बोल्यो बजरंग वाणी,
माता तू क्यों चिंता आणि।
रघुवर भेजी है सेंदानी,
मुझको भेज्यो श्री रघुवर।
जाय कर दे दो मुंदरी,
सीता माता की गोदी मे,
हनुमत डाली मूंदड़ी।।
मैं तोही जानत नाही वीर,
मेरे लगी कालजे तीर।
मन में किस विध आवे धीर,
या तो नहीं राक्षसी माया।
छलकर लायो मुंदरी,
सीता माता की गोदी मे,
हनुमत डाली मूंदड़ी।।
मैं हूँ रामचन्द्र को पायक,
मेरे राम है सदा सहायक।
उनको नाम अति सुखदायक,
मत कर सोच फिकर तू माता।
या नहीं छल की मुंदरी,
सीता माता की गोदी मे,
हनुमत डाली मूंदड़ी।।
वनचर देख सिया मुस्कानी,
मुख से बोली ऐसी वाणी।
तेरी छोटी सी जिंदगानी,
किस विध कूद गयो तू सागर।
यहाँ पर लायो मुंदरी,
सीता माता की गोदी मे,
हनुमत डाली मूंदड़ी।।
माता छोटो सो मत जाण,
मैं हूँ बहुत बड़ो बलवान।
बल मोहि दीन्हो श्री भगवान,
रघुपति किरपा मोपे किन्ही।
तब मैं लायो मुंदरी,
सीता माता की गोदी मे,
हनुमत डाली मूंदड़ी।।
सिता सुनकर ऐसी बात,
अपने मन में धीरज लाय।
इसको भेज्यो श्री रघुनाथ,
सिता बैठी बाग़ के माय।
पल पल निरखे मुंदरी,
सीता माता की गोदी मे,
हनुमत डाली मूंदड़ी।।
लंका फिर फिर के जलाई,
एक विभीषण को घर नाही।
बाकी सब घर आग लगाई,
जग को काज कियो हनुमान।
पूंछ बुझावे मुंदरी,
सीता माता की गोदी मे,
हनुमत डाली मूंदड़ी।।
हनुमत गए रघुवर के पास,
उनको खबर दई है खास।
मेट्यो सिता को सब त्रास,
तो सम नहीं कोई बलवान।
सराहे रघुवर मुंदरी,
सीता माता की गोदी मे,
हनुमत डाली मूंदड़ी।।
जो कोई ध्यान राम को लावे,
मुख से गुण रघुवर को गावे।
उनका जन्म मरण छुट जावे,
रघुवर पाप देय सब खोय।
जो कोई गावे मूंदड़ी,
सीता माता की गोदी में,
हनुमत डाली मूंदड़ी।।
हनुमान जी की भक्ति केवल शक्ति और पराक्रम तक सीमित नहीं थी, बल्कि उनकी बुद्धिमत्ता और श्रीराम के प्रति उनकी अटूट निष्ठा भी उतनी ही महान थी। सीता माता की गोदी में हनुमत डाली मूंदड़ी भजन हमें यह सिखाता है कि जब प्रेम और भक्ति सच्ची होती है, तो असंभव भी संभव हो जाता है। इस भजन को गाकर हम हनुमान जी के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं और उनसे जीवन में धैर्य, साहस और भक्ति का आशीर्वाद मांगते हैं। जय श्री राम! जय बजरंग बली!

I am Shri Nath Pandey and I am a priest in a temple, which is located in Varanasi. I have been spending my life worshiping for the last 6 years. I have dedicated my soul completely to the service of God. Our website is a source related to Aarti, Stotra, Chalisa, Mantra, Festivals, Vrat, Rituals, and Sanatan Lifestyle. View Profile