जय कपि बलवंता प्रभु जय कपि बलवंता आरती लिरिक्स

जय कपि बलवंता प्रभु जय कपि बलवंता यह भजन भगवान हनुमान की महिमा और उनकी अद्वितीय शक्तियों को समर्पित है। इस आरती में हनुमान जी के बल, साहस और उनकी भगवान राम के प्रति निष्ठा की स्तुति की जाती है। यह भजन न केवल हनुमान जी के अद्वितीय कार्यों को सराहता है, बल्कि भक्तों के दिलों में विश्वास और साहस का संचार भी करता है। हनुमान जी की आराधना से भक्तों को मानसिक शांति और शक्ति मिलती है, जो उन्हें जीवन की चुनौतियों से पार पाने की प्रेरणा देती है।

Jay Kapi Balwanta Prabhu Jay Kapi Balvanta

जय कपि बलवंता,
प्रभु जय कपि बलवंता…
सुर नर मुनिजन वंदित,
सुर नर मुनिजन वंदित,
पदरज हनुमंता…
जय कपि बळवंता,
प्रभु जय कपि बलवंता।।

प्रौढ़ प्रताप पवनसुत,
त्रिभुवन जयकारी…
प्रभु त्रिभुवन जयकारी,
असुर रिपु मद गंजन,
असुर रिपु मद गंजन…
भय संकट हारी,
जय कपि बळवंता,
प्रभु जय कपि बलवंता।।

भूत पिशाच विकट ग्रह,
पीड़त नही जम्पे…
प्रभु पीड़त नही जम्पे,
हनुमंत हाक सुनीने…
हनुमंत हाक सुनीने,
थर थर थर कंपे…
प्रभु थर थर थर कंपे,
जय कपि बळवंता,
प्रभु जय कपि बलवंता।।

रघुवीर सहाय ओढंग्यो,
सागर आती भारी…
प्रभु सागर आती भारी,
सीता सोध ले आए…
सीता सोध ले आए,
कपि लंका जारी…
जय कपि बळवंता,
प्रभु जय कपि बलवंता।।

राम चरण रतिदायक,
शरणागत त्राता…
प्रभु शरणागत त्राता,
प्रेमानंद कहे हनुमत…
प्रेमानंद कहे हनुमंत,
वांछित फल दाता…
जय कपि बळवंता,
प्रभु जय कपि बलवंता।।

जय कपि बळवंता,
प्रभु जय कपि बळवंता…
सुर नर मुनिजन वंदित,
सुर नर मुनिजन वंदित…
पदरज हनुमंता,
जय कपि बळवंता,
प्रभु जय कपि बलवंता।।

जय कपि बलवंता प्रभु जय कपि बलवंता इस आरती में हनुमान जी की महिमा का बखान किया गया है, जो हर संकट को हरता है और अपने भक्तों को संकटों से उबारता है। जैसे हनुमान जी के अन्य भजनों में भी उनकी अद्वितीय शक्तियों और भगवान राम के प्रति उनकी निष्ठा को चित्रित किया गया है, वैसे ही इस आरती में भी उनके दिव्य रूप और भक्ति की गहरी भावना को व्यक्त किया गया है। इस भजन के माध्यम से हम हनुमान जी से आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं ताकि वह हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और शक्ति का वास करें।

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